देशभर में सोने की मांग में तेजी बनी हुई है. साल की दूसरी तिमाही में पूरे देश में सोने की डिमांड 37 फीसदी बढ़कर 167.4 टन पर पहुंच गई. पिछले साल इसी समय पर ये मांग 122.1 टन थी. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC)ने ये जानकारी दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक मौसमी मांग आने, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का विश्वास सुधरने के कारण मांग में तेजी आई है. कीमत के आधार पर भी सोने की मांग तेज हुई है.
- अप्रैल से जून के दौरान ये मांग 43,600 करोड़ रुपये पहुंच गई.
- पिछले साल इसी अवधि में ये मांग 33,090 करोड़ रुपये थी
- इस साल 32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
बता दें कि ये आंकड़े देश में GST लागू होने से पहले के हैं. 1 जुलाई से GST लागू किया गया है.
इससे पहले, जनवरी से मार्च महीने में भी देश में सोने की मांग में 15 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया था. वहीं दुनियाभर में इस दौरान 18 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
5 साल के औसत से कम रही मांग
WGC के मैनेजिंग डायरेक्टर सोमासुंदरम ने बताया-
GST की घबराहट के बीच दूसरी तिमाही की मांग पिछले 5 साल के औसत से कम रही हालांकि तिमाही के आखिरी दौर में लोगों ने GST से पहले सोने की अग्रिम खरीद बढ़ा रखी थी.
उन्होंने बताया कि पिछले साल दूसरी तिमाही में ज्वैलर्स के हड़ताल से सोने का बाजार प्रभावित हुआ था. ज्वैलरी पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगाए जाने के खिलाफ व्यापारियों ने वो हड़ताल की थी.
ज्वैलरी की मांग में 41% इजाफा
रिपोर्ट के मुताबिक देश में इसी अवधि के दौरान ज्वैलरी की मांग पिछले साल के 89.8 टन की तुलना में 41% बढ़कर 126.7 टन पर पहुंच गई. कीमतों की बात करें तो ये मांग 36 % बढ़कर 33 हजार करोड़ रपये रही. पिछले साल इस दौरान कुल मांग 24350 करोड़ रुपये रपये की रही थी.
इस दौरान सोने की रिसाइकलिंग का काम पिछले साल के 23.8 टन से बढ़कर 29.6 टन पर पहुंच गया.
क्यों आई है ये तेजी?
सोमासुंदरम ने कहा, ' 'मौसमी मांग आने और ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वास बढ़ने से सोने की मांग में तेजी दर्ज की गई. ज्वैलरी और निवेश दोनों में भी पिछले साल की सुस्ती के बावजूद अच्छी तेजी देखी गई. ' '
उन्होंने कहा कि GSTऔर दूसरे कदमों के बारे में बढती चिंता के बीच अच्छे मानसून की संभावना के कारण सकारात्मक धारणा लौटी है. ये अक्षय तृतीया के दौरान बिक्री में भी दिखा और इसे इस साल शादी के मुहूर्तों की संख्या अधिक होने से भी समर्थन मिला.
साल की दूसरी छमाही के लिए क्या हैं कयास
साल की दूसरी छमाही के बारे में उन्होंने कहा कि कस्टमर्स और कारोबार नए टैक्स सिस्टम को अपनाने में लगा रहेगा, अच्छे मानसून के बावजूद ग्रोथ सीमित रहेगी.
उन्होंने कहा कि पूरे साल भर की मांग का अनुमान 650 से 750 टन के बीच ही रहेगा और अनिश्चित बनी रहेगी क्योंकि ज्वैलर्स के नकदी में कारोबार करने को तरजीह देने से अवैध कारोबार बढ़ेगा.
ग्लोबल लेवल पर मांग में कमी
WGC ने इस रिपोर्ट में बताया कि ग्लोबल लेवल पर सोने की मांग इस साल की दूसरी तिमाही के दौरान 10 फीसदी गिरकर 953 टन पर आ गई है. पिछले साल इसी समय में ये मांग 1055.6 टन थी.
सोने की मांग में गिरावट का मुख्य कारण पिछले साल की पहली छमाही में ETF के रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंचने के बाद आयी सुस्ती है. इस दौरान आभूषणों की वैश्विक मांग में आठ प्रतिशत की तेजी दर्ज की गयी है और यह पिछले साल के 447 टन से बढ़कर 481 टन पर पहुंच गयी.
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