जीएसटी कंपनसेशन के मुद्दे पर आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है. इस मुद्दे को लेकर पिछले कई महीनों से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद चल रहा था. लेकिन अब केंद्र सरकार ने कहा है कि वो स्पेशल विंडो के तहत अलग-अलग हिस्सों में करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगी. जिसके बाद इसी कर्ज को राज्यों में कर्ज के रूप में ही बांटा जाएगा. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इससे केंद्र सरकार के फिस्कल डेफिसिट पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा.
बता दें कि गैर बीजेपी शासित राज्य लगातार मांग कर रहे थे कि उनके कंपनसेशन बकाए का भुगतान केंद्र सरकार कर्ज लेकर करे. इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल की कई बैठकों में उठाया गया था, लेकिन बात नहीं बन पाई थी.
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने सरकार के इस फैसले के बाद ट्विटर पर कहा कि वो स्टैंड बदलने के बाद लिए गए फैसला का स्वागत करते हैं. उन्होंने लिखा,
“अगर केंद्र सरकार ने 1.1 लाख करोड़ का कर्ज लेकर इसे राज्यों को लोन के तौर पर देने का फैसला किया है तो मैं उनके इस बदले हुए स्टैंड का स्वागत करता हूं. साथ ही मैं सभी इकनॉमिस्ट, एकेडमिक्स और न्यूजपेपर एडिटर्स को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने हमारे स्टैंड को सपोर्ट किया.”
वित्तमंत्री ने क्या कहा था?
इस पूरे मामले को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों से बात नहीं बनने को लेकर कहा था, “21 राज्यों ने तय किया है कि वो ऑप्शन 1 चुनेंगे. इसमें ये जरूरी है कि राज्य कर्ज लें और उसका ब्याज कंपनसेशन सेस से भरा जाए. इस केस में सेस का कलेक्शन 5 साल से ज्यादा वक्त तक किया जाए. कुछ राज्य तीसरा ऑप्शन चाहते हैं. लेकिन कुछ राज्य हैं जो किसी भी विकल्प को न चुनकर चाहते हैं कि केंद्र सरकार कर्ज लेकर कंपनसेशन का भुगतान करें. तो इस पर हमारी सहमति नहीं बन पाई. हम चर्चा के लिए तैयार हैं.”
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