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लग्जरी कारों पर सेस बढ़ाए जाने के प्रस्ताव से कंपनियां नाराज

कार निर्माताओं ने बड़ी कारों और एसयूवी पर जीएसटी के तहत सेस बढ़ाकर 25% किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है

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लग्जरी कार निर्माताओं ने बड़ी कारों और एसयूवी पर GST के तहत सेस बढ़ाकर 25% किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. निर्माताओं के मुताबिक इस कदम से 'मेक इन इंडिया जैसी मुहिम में रुकावट आएगी.

इस सेक्टर की नामी कंपनियां टोयोटा किर्लोस्कर मोटर, मर्सिडिज, ऑडी और बीएमडब्ल्यू ने बड़ी, लग्जरी कारों और एसयूवी पर सेस बढ़ाने का एकसाथ विरोध किया है.

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कारोबार पर पड़ेगा नकारात्मक असर

कार निर्माताओं का कहना है की जीएसटी लागू होने से ये कारें सस्ती हो गयी थीं लेकिन सेस बढ़ने से उद्योग पर असर पडे़गा. निर्माताओं ने ये भी कहा कि नीतियों में लगातार बदलाव से बाजार की लॉन्ग टर्म योजनाएं जोखिम भरी हो जाएंगी और इसका देश के फाइनेंशियल रेटिंग पर नकारात्मक असर पडे़गा.

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस प्रेसिडेंट और फुल टाइम डायरेक्टर शेखर विश्वनाथन ने बताया, 'इस तरह के कदमों से हमें ये संदेश मिल रहा है कि सरकार आर्थिक विकास को गति देने के लिए ऑटो सेक्टर पर बिलकुल ध्यान नहीं दे रही है.'

उन्होंने आगे कहा, 'बड़ी कारों और एसयूवी पर सेस बढ़ाने से कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचेगा लेकिन बाकी कंपनियों को नुकसान उठाना पडे़गा.

केंद्र सरकार ने एसयूवी पर सेस को 15% से बढ़ाकर 25% करने का प्रस्ताव रखा है. फिलहाल इन गाड़ियों पर 28% जीएसटी के साथ कुल 43% टैक्स लगता है. लेकिन अगर केंद्र सरकार सेस बढ़ाती है तो यह टैक्स बढ़कर 53% हो जाएगा. वहीं छोटी गाड़ियों पर पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के हिसाब से 1% और 3% का सेस लगता है.

रुकावट बन सकता है ये फैसला

मर्सीडिज-बेंज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ रोलां फोल्गर ने कहा कि 'इस कदम से उनकी कंपनी काफी निराश हुई है.' उन्होंने अपने बयान में कहा, 'एक कार निर्माता होने के कारण ये कदम मेक इन इंडिया के तहत विस्तार की हमारी भविष्य की योजनाओं को प्रभावित करेगा.

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मजदूरों और कर्मचारियों पर भी पडे़गा असर

ऑडी इंडिया के चीफ राहिल अंसारी ने भी इसी तरह की बातें बताते हुए कहा, 'यह कदम बाजार के सिद्धांतों के प्रतिकूल है और हम सिर्फ इस पर दोबारा सोचने की अपील कर सकते हैं. सेस में इस तरह की बढ़ोतरी, बिक्री पर प्रभाव डालेगी. '

उन्होंने आगे कहा कि ‘सेस में प्रस्तावित बढोतरी न केवल कंपनी, डीलरों और उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर करेगी बल्कि इस उद्योग में काम करने वाले मजदूरों एवं कर्मचारियों पर भी इसका असर पडे़गा.'

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