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HDFC Ltd और HDFC बैंक मर्जर के फायदे, चुनौतियां और मार्केट पर असर

HDFC मर्जर पूरा होने के बाद HDFC लिमिटेड की सहायक कंपनियों और सहयोगियों को HDFC बैंक में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

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4 अप्रैल को हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (HDFC) ने घोषणा की कि उसके बोर्ड ने एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और एचडीएफसी लिमिटेड (HDFC Ltd) के बीच विलय को मंजूरी दे दी है. यह मर्जर यानी कि विलय देश के फाइनेंसियल सेक्टर की एक महत्वपूर्ण डील है. हम आपको इस स्टोरी के जरिए उस मर्जर के मैकेनिज्म के बारे में बताने जा रहे है जिसे एक्सपर्ट्स ने भारत के फाइनेंसियल सर्विस सेक्टर का 'सबसे बड़ा और परिवर्तनकारी' सौदा बताया है. और ये भी समझाएंगे कि आखिर इसका असर क्या होगा?

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विलय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब यह प्रभाव में आएगा तब एचडीएफसी लिमिटेड की सहायक कंपनियों और सहयोगियों को एचडीएफसी बैंक में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. इस डील या मर्जर को पूरा होने में 12 से 18 महीने का समय लगने की उम्मीद है. कंपनी के चेयरमैन दीपक पारेख के मुताबिक इस मर्जर का प्रमुख उद्देश्य कंपनी की बैलेंस शीट में विस्तार करना और इसकी नेटवर्थ में वृद्धि करना है, इसके साथ ही साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रेडिट ग्रोथ यानी कि ऋण वृद्धि की गति को तेज करना है.

ये मर्जर अभी क्यों हो रहा है?

ब्लूमबर्गक्विंट की एग्जीक्यूटिव एडिटर इरा दुग्गल ने दोनों संस्थाओं के विलय पर कहा कि दोनों के मर्जर को लेकर वर्षों से अटकलें लगाई जा रहीं थीं लेकिन अब इसकी घोषणा हो चुकी है. मर्जर का निर्णय अभी क्यों लिया गया इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं. जो आपस में जुड़े हुए हैं.

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रमुख तौर तीन फैक्टर्स ने बोर्ड को इस मर्जर पर निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया है.

पहला नॉन-बैंकिंग फायनेंसियल कंपनीज (NBFC’s) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC's) के नियमों में हुआ बदलाव था.

इरा दुगल कहती हैं कि 'पिछले कुछ वर्षों में NBFC और हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर में कई ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं जो इस क्षेत्र के लिए ठीक नहीं रहीं. दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) ध्वस्त हो गया. इस घटना के बाद से आरबीआई RBI एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए अपने नियमों को सख्त कर दिया था. अब आप उन नियमों को एक साथ देखना शुरू कर रहे हैं.' दुग्गल ने आगे कहा कि एचडीएफसी लिमिटेड के लिए HFC बने रहना और बैंक का हिस्सा न होना कम फायदेमंद था.

दूसरा कारक यह है कि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें "बहु-दशक के निचले स्तर" पर थीं.

दुगल कहती है कि जब भी ये दोनों संस्थाएं विलय का फैसला करेंगी तब कानूनी अनुपातों को पूरा करने की महत्वपूर्ण अवश्यकता होगी. जैसे कि कैश रिजर्व रेशियो (CRR) जिसे बैंक को अलग रखना होगा या स्टैच्ट्री लिक्यूडिटी रेशियो, जोकि वह राशि होती है जिसे बैंक सरकारी प्रतिभूतियों यानी कि गवर्नमेंट सिक्योरिटी में डालते हैं.

इसके परिणाम स्वरूप अगर एचडीएफसी बैंकिंग क्षेत्र में आता है तो उन्हें और अधिक पूंजी जुटाने की जरूरत होगी. चूंकि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें कई दशक के निचले स्तर पर हैं इसलिए अब वह पूंजी वर्तमान में अच्छी कीमत पर आ रही है. जो उन्हें कुछ हद तक मदद करेगी.

इस फैसले को प्रभावित करने वाला तीसरा कारक विलय की बातचीत में हिस्सा लेने वालों के बीच व्यक्तित्व में बदलाव से संबंधित था.

दुगल के मुताबिक एचडीएफसी बैंक के लंबे समय तक सीईओ रहे आदित्य पुरी, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, वह कभी भी विलय के पक्ष में नहीं थे.

कुछ ऐसे ही दीपक पारेख और केकी मिस्त्री के विचार थे. दीपक पारेख कई वर्षों से एचडीएफसी लिमिटेड के अध्यक्ष है वहीं केकी मिस्त्री जो एचडीएफसी लिमिटेड फ्रेंचाइजी को संभालते हैं और अब इसके उपाध्यक्ष भी हैं ये दोनों भी रिटायरमेंट की उम्र के करीब पहुंच रहे हैं.

दुगल जोर देकर कहती हैं कि

'इसके परिणाम स्वरूप इस समय एक विलय ने एचडीएफसी लिमिटेड की उत्तराधिकार की समस्या को हल कर दिया. वहीं यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब एचडीएफसी बैंक में एक नया सीईओ है और उसके पास यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त समय है कि यह मर्जर काम करे.'

अक्टूबर 2020 में शशिधर जगदीशन को एचडीएफसी बैंक का सीईओ बनाया गया था.

विलय से HDFC को क्या फायदा?

विलय की वजह से इन दो वित्तीय संस्थाओं को होने वाले लाभ पर बात करते हुए दुगल कहती है कि एचडीएफसी बैंक की तुलना में एचडीएफसी लिमिटेड के लिए लेनदेन अधिक फायदेमंद था.

एचडीएफसी लिमिटेड को कई फायदे होंगे. उन्होंने कहा कि सबसे पहले और महत्वपूर्ण फायदा देखें तो फंड की लागत गिर जाएगी क्योंकि बैंकों के पास फंड की लागत कम होती है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बैंक में हम जैसे लोग डिपोजिट करते हैं."

दूसरा फायदा यह है कि विलय के परिणामस्वरूप अब उनके पास उत्पादों को क्रॉस-सेल करने का अवसर होगा जिससे जो ग्राहकों के लिए कई विकल्प तैयार होंगे.

'एचडीएफसी के अधिकांश ग्राहकों को होम लोन बेचा जाता है. लेकिन जब ग्राहक रिलेशनशिप मैनेजर या ब्रांचों के एक ही सेट के साथ एचडीएफसी बैंक-फोल्ड में आएंगे तो आप उन्हें सभी प्रकार के उत्पादों को क्रॉस सेल कर सकते हैं जैसे रिटेल लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और स्माल बिजनेस लोन आदि.' दुगल कहती हैं कि इस सुविधा के परिणाम स्वरूप ग्राहकों के पास चुनने के लिए विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला होगी.

हालांकि एचडीएफसी बैंक के लिए विलय एक दोधारी तलवार की तरह था.

दुगल ने समझाते हुए कहा कि एचडीएफसी लिमिटेड के उन ग्राहकों को लेने से उन्हें निश्चित रूप से फायदा होगा, जिन्हें वे क्रॉस-सेल कर सकते हैं, वहीं एचडीएफसी बैंक को 'उच्च SLR's और CRR का बोझ उठाना होगा जिससे उनके रिटर्न्स में थोड़ी कमी आएगी.'

इसके साथ ही उन्हें अगले 12-18 महीनों में ब्रांचों और कर्मचारियों को एकीकृत करने के बारे में भी चिंता करनी होगी. दुगल आगे कहती हैं कि ऐसे समय में जब एक नया क्रेडिट चक्र शुरू हो सकता है, तो इसके लिए बहुत अधिक प्रबंधकीय क्षमता की आवश्यकता होगी.
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चुनौतियां क्या हैं?

जहां एक ओर देश के फायनेंसियल सेक्टर के विभिन्न क्षेत्रों से इस मर्जर को प्रशंसा मिली है वहीं दूसरी ओर विलय को सफलतापूर्वक पूरा करने व लंबे समय तक इसकी क्षमता बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं.

सबसे अहम व बड़ी चुनौती मंजूरी हासिल करने की होगी.

दुगल कहती हैं कि 'इंश्योरेंस, असेट मैनेजमेंट (asset management), बैंकिंग जैसे कई बिजनेसों का विलय किया जा रहा है. इसलिए ऐसे में नियामकों से अप्रूवल्स हासिल करना इस डील का सबसे चुनौतीपूर्ण फैक्टर होगा.'

दूसरी चुनौती, एचडीएफसी लिमिटेड के कर्मचारी बड़े पैमाने पर होम लोन बेचने के आदी हैं ऐसे में जब वे बैंकिंग के क्षेत्र में उतरेंगे तब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि उन्हें प्रोडक्ट्स और प्रोसेस के एक अलग सेट की आदत डालने की जरूरत होगी.

तीसरी चुनौती शाखाओं को चलाने और उनके सुचारू और दीर्घकालिक कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यवहार्य रणनीति तैयार करने की होगी.

दुगल ने जोर देकर कहा कि 'भले ही मैनेजमेंट ने यह कहा है कि ब्रांचों को रेशन्लाइज (युक्तिसंगत) या शॅट डाउन (बंद) करने की कोई जरूरत नहीं होगी. लेकिन इसके बावजूद भी ब्रांच स्ट्रैटजी पर फिर से काम करने की जरूरत होगी.'

फायनेंसियल सर्विसेज मार्केट को कैसे प्रभावित करेगी यह डील 

इस विलय से अत्यधिक प्रतिस्पर्धी फायनेंसियल सर्विसेज मार्केट के खेल में काफी कुछ बदलाव होने की उम्मीद लगाई जा रही है. HDFC बैंक जो पहले से ही देश का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक और ओवरऑल दूसरा सबसे बड़ा बैंक था. अब उसके अपने नेटवर्थ में और भी अधिक वृद्धि या विस्तार होने की संभावना है, जिसके परिणाम स्वरूप पहले से ही प्रतिस्पर्धी उद्योग में और ज्यादा प्रतिस्पर्धा होगी.

दुगल बताती है कि 'इस मर्जर की वजह से एचडीएफसी बैंक का आकार आईसीआईसीआई बैंक ICICI Bank की तुलना में दोगुना हो जाएगा.' वे आगे कहती हैं कि बाद में आश्चर्यजनक तौर पर यह विचार किया जाएगा कि क्या उन्हें बाजार में अतिरिक्त असेट्स की तलाश करनी चाहिए ताकि वे बड़े पैमाने पर और बढ़त हासिल कर सकें.

दुगल के मुताबकि 'ऐसा होगा या नहीं, इस बारे में अभी तक कुछ भी पता नहीं है क्योंकि भारतीय बाजार में कई संपत्ति या बैंक बिक्री के लिए तैयार नहीं हैं.'

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की अत्यधिक प्रतिस्पर्धी प्रकृति को देखते हुए, विलय की गई संस्था को सामान्य से अधिक चुस्त व फुर्तीला होना होगा.

हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मर्जर प्रतिस्पर्धी बैंकों को एचडीएफसी बैंक के पैमाने को देखने के लिए मजबूर करेगा और वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे इसे कैसे पकड़ेंगे.
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इंडस्ट्री के दिग्गजों ने इस डील पर कैसी प्रतिक्रिया दी है

प्रस्तावित विलय की घोषणा के बाद सोमवार को एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के शेयर में करीब 10 फीसदी की तेजी के साथ बंद हुए. हालांकि मंगलवार को दोनों (एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक) ने बाजार में गिरावट का सामना किया. ये दोनों सेंसेक्स पर सबसे ज्यादा नुकसान में रहे और दोनों (एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक) के स्टॉक 3 फीसदी से ज्यादा गिरे. दोनों सेंसेक्स में ये टॉप लूजर्स में से एक रहे.

एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख का कहना है कि यह मर्जर न केवल अपने प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ संस्था को मजबूत करेगा बल्कि इसके प्रोडक्ट्स को और अधिक प्रतिस्पर्धी भी बनाएगा.

लेकिन इस क्षेत्र के एक्सपर्ट्स ने इस विलय पर क्या प्रतिक्रिया दी है?

पिरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल ने इस विलय को एक "जबरदस्त घटना" करार देते हुए कहा कि यह इंडियन फायनेंसियल सर्विस इंडस्ट्री के लिए पारेख की प्रतिबद्धता व योगदान का चरमोत्कर्ष है.

आनंद राठी एडवाइजर्स इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के सीईओ समीर बहल के अनुसार, यह डील भारत के फायनेंसियल सर्विस सेक्टर में "सबसे बड़ी और सबसे क्रांतिकारी" है.

एक्सिस सिक्योरिटीज के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर नवीन कुलकर्णी ने कहा कि इन सबके अलावा यह विलय भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास पैदा करता है और रूस-यूक्रेन संकट और बढ़ती मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं से परे एक मजबूत दीर्घकालिक तस्वीर की ओर इशारा करता है."

ब्लूमबर्गक्विंट की रिपोर्ट के अनुसार एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि इस विलय से एचडीएफसी बैंक को बूस्टर शॉट मिलेगा और विलय की गई संस्था प्रतिस्पर्धी दरों पर धन जुटाने के लिए बेहतर स्थिति में होगी.

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