सोने के बदले उधार देने वाली कंपनियां अब सिक्योरिटी के तौर पर ज्यादा गोल्ड की मांग करने लगी हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्यों कि सोने के भाव दिन-ब-दिन गिरते ही जा रहे हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सोने के बदले उधार देने वाली कंपनी मुत्थूट फाइनेंस अब अपने ग्राहकों को जल्दी रीपेमेंट करने के लिए आकर्षक ऑफर दे रही हैं. वहीं कई सारी ऐसी कंपनियां पहले के मुकाबले अब कम अवधि के लिए लोन दे रही हैं.
कोरोना संकट के दौरान पिछले एक साल गोल्ड की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं लेकिन अब फिर से कीमतें नीचे आ चुकी हैं. ऐसे में गोल्ड के बदले उधार देने वाली कंपनियों को डर है कि कहीं उन्होंने जो सोना अपने पास गिरवी रखा है, उसकी रकम उधार दी गई रकम कम ना हो जाए.
कोरोना संकट के दौरान गोल्ड लोन का चलन बढ़ा
कोरोना संकट के दौरान गोल्ड लोन की लैंडिंग रेड में भी बढ़ोतरी देखने को मिली थी. महामारी के दौरान जिन लोगों को काम धंधे, रोजगार, कारोबार पर असर पड़ा था, उनमें से कई सारे लोगों ने गोल्ड के बदले इन संस्थानों से कर्ज लिया था. उदाहरण के तौर पर मुत्थूट फाइनेंस ने का लैडिंग रेट करीब 25% बढ़ गया था.
मुत्थूट फाइनेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर जॉर्ज मत्थूट एलेक्जेंडर का कहना है कि 'लोग अपने गहनों को लेकर भावुक होते हैं. भले ही सोने के भाव गिर रहे हैं लेकिन लोग फिर भी डिफॉल्ट नहीं करेंगे.'
आसमान से जमीन पर आया सोने का भाव
जब भी किसी संकट का समय होता है तो ज्यादातर निवेशक गोल्ड का रुख करते हैं. कोरोना वायरस संकट के दौरान भी यही देखने को मिला. शेयर बाजार धड़ाम से गिरा और उसके बदले में लोगों ने गोल्ड में निवेश किया. इसी वजह से जुलाई महीने तक सोने का भाव 56 हजार के स्तर को छू गया. लेकिन अब फिर से सोने का भाव टूटकर 44,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास आ गया है.
लेकिन अब फिर से नए कोरोना वायरस केसों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में गोल्ड लोन इंडस्ट्री की चिंता है कि सख्त प्रतिबंधों की वजह से फिर से रीपेमेंट में डिफॉल्ड ना होने लगे. मुत्थूट फाइनेंस के एमडी का कहना है कि-
हम अपना पोर्टफोलिया रिव्यू कर रहे हैं और दूसरे बाजारों पर भी नजर बनाए हुए हैं. ऐसे में अगर कोई बदलाव करना होगा तो ऐसे कदम उठाए जाएंगे.जॉर्ज मत्थूट एलेक्जेंडर, एमडी, मुत्थूट फाइनेंस
फर्म KPMG का मानना है कि भारत में गोल्ड लोन मार्केट आने वाले दो सालों में करीब 34% बढ़ सकता है. खास बात ये है कि इस सेक्टर का बैड लोन रेश्यो बाकी बैंकिंग सेक्टर तुलना में काफी कम है.
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