भारतीय शेयर बाजार पर घरेलू संस्थागत निवेशकों का भरोसा विदेशी निवेशकों की तुलना में ज्यादा है. जानी-मानी फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म नोमुरा ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि निफ्टी 50 के स्टॉक्स में विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी सितंबर तिमाही में घटी है. इसकी तुलना में घरेलू संस्थानों— म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों--- ने अपनी हिस्सेदारी में बढ़ोतरी की है. यही रुझान इस पूरे साल में दिखा है.
घरेलू संस्थागत निवेशकों ने मिडकैप स्टॉक्स पर भी ज्यादा दांव लगाए हैं. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में उनका निवेश पिछली तिमाही के 8.2 फीसदी से बढ़कर 8.6 फीसदी हो गया. पिछले साल की इसी तिमाही में ये 7.7 फीसदी था.
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अपना निवेश बढ़ाया, वहीं फाइनेंस, एफएमसीजी, आईटी, मेटल्स और फार्मा सेक्टर में इसे कम कर दिया है. दूसरी तरफ घरेलू संस्थागत निवेशकों ने ऑटो और एफएमसीजी सेगमेंट में अपनी हिस्सेदारी कम की, लेकिन एनर्जी, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, आईटी और रियल एस्टेट सेक्टरों में ज्यादा निवेश किया.
निफ्टी के वो प्रमुख स्टॉक जिनमें विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बड़े बदलाव किए, वो हैं:
जिन प्रमुख निफ्टी शेयरों में अपने निवेश में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बदलाव किए, वो हैं:
मिडकैप सेगमेंट के जिन प्रमुख स्टॉक्स में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बदलाव किए, वो हैं:
जहां तक घरेलू संस्थागत निवेशकों की बात है, उनके पोर्टफोलियो में मिडकैप शेयरों की हिस्सेदारी में इस तरह बदलाव आए:
नोमुरा की रिपोर्ट से तो यही निष्कर्ष निकलता है कि भारतीय बाजारों से मिलने वाले रिटर्न को लेकर घरेलू संस्थागत निवेशकों का नजरिया विदेशी संस्थानों के मुकाबले ज्यादा सकारात्मक है. शायद ये इस वजह से भी है कि 2017 की शुरुआत से ही लोगों ने बड़े पैमाने पर इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश किया है जिसका असर घरेलू संस्थानों के निवेश पोर्टफोलियो पर दिखा है. और पूरे साल निवेशकों को अपने शेयर इन्वेस्टमेंट पर शानदार रिटर्न भी मिलता रहा है. क्या देसी निवेशक आगे भी इतना बुलिश रहेंगे?
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