अजीब समस्या है. एक ओर सरकार दालों के दाम और ऊपर चढ़ने से रोकने के लिए इसे बड़े पैमाने पर इम्पोर्ट करने जा रही है. दूसरी ओर देश की खुफिया एजेंसियों ने आगाह किया है कि दालों के आयात में कालाबाजारियों का बड़ा रोल हो सकता है.
इस तरह दालों का आयात अब केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की जांच के घेरे में आ चुका है. इसका मकसद अनाज के दाम में तेजी के लिए किसी भी तरह की कालाबाजारी और साठगांठ पर लगाम कसना है.
खुफिया ब्यूरो (आईबी) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने व्यापारियों और जमाखोरों द्वारा इस प्रकार की अवैध गतिविधियों के बारे में चेताया है.
- दाल की खुदरा कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है
- पिछले वित्त वर्ष में करीब 55 लाख टन दाल का आयात
- बड़ी मात्रा में निजी व्यापारियों के जरिए दाल का हुआ आयात
- जमाखोरी रोकने के लिए पिछले कुछ महीनों में तकरीबन 14,000 छापे मारे गए
- छापेमारी में 1.33 लाख टन दाल जब्त की गई
- कालाबाजारी अब पड़ोसी राज्यों के गोदामों में कर रहे हैं दाल की जमाखोरी
- दाल की डिमांड 230 से 240 लाख टन, वहीं सप्लाई करीब 170 लाख टन
- हर आने वाले साल में दाल की मांग में 10 लाख टन की वृद्धि, जिससे आयात जरूरी
विदेश जाएगी अफसरों की टीम
दाल की खुदरा कीमत बढ़कर 200 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास पहुंचने के बाद यह कदम उठाया गया है. दरअसल, पिछले वित्त वर्ष में करीब 55 लाख टन दाल का आयात किया गया. इसमें बड़ी मात्रा में आयात निजी व्यापारियों के जरिए किया गया.
सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने अपने अधिकारियों को चुनिंदा देशों में भेजने का भी निर्णय किया है, ताकि निजी व्यापारियों की भूमिका को सीमित कर दाल के आयात के लिए सरकार के स्तर पर करार का निर्णय किया जा सके. साथ ही बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए बफर स्टॉक बढ़ाकर 8 लाख टन करने का भी फैसला किया गया है.
कई केंद्रीय एजेंसियां और आयकर विभाग जमाखोरी रोकने के लिए पिछले कुछ समय से छापे मार रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में तकरीबन 14,000 छापे मारे गए और 1.33 लाख टन दाल जब्त की गई.
डिमांड और सप्लाई के बीच बढ़ रहा है फासला
दाल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह डिमांड और सप्लाई में अंतर है. एक अनुमान के मुताबिक, जहां डिमांड 230 से 240 लाख टन है, वहीं सप्लाई करीब 170 लाख टन है. जानकारों का कहना है कि हर आने वाले वर्ष में दाल की मांग में 10 लाख टन की वृद्धि हो रही है. इसके कारण आयात जरूरी हो गया है.
खुफिया एजेंसियों ने पाया कि दाल की जमाखोरी करने वाले व्यापारी अवैध रूप से दूसरे राज्यों में दाल की जमाखोरी करते हैं, ताकि जांच से बच सकें. यह काम करने का नया तरीका है. खुफिया विभाग का कहना है,
व्यापारी पड़ोसी राज्यों के गोदामों में दाल की जमाखोरी कर रहे हैं, ताकि अधिकारियों को चकमा दिया जा सके. हम ऐसे मामलों में कार्रवाई कर रहे हैं.
सख्त कार्रवाई का सही वक्त
कालाबाजारी और अवैध व्यापार की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि जमाखोर मुनाफा कमाने के लिए हालात का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. खुफिया एजेंसियों से आपस में तालमेल करने और जानकारी साझा करने को कहा गया है, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर अंकुश लगाया जा सके.
इसके अलावा राज्य सरकारों से भी जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. तमिलनाडु व गुजरात जैसे राज्य जमाखोरों के खिलाफ काफी सक्रिय हैं. अन्य राज्यों को इस दिशा में और कदम उठाए जाने की जरूरत है.
-इनपुट भाषा से
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