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World Bank ने भारत का GDP अनुमान घटाया, FY 22-23 में 8.7% की जगह 8% की उम्मीद

भारत के पड़ोसी देशों के हालात खराब हैं, श्रीलंका तो भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है

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भारत के पड़ोसी देशों के हालात और श्रीलंका में उपजे आर्थिक संकट के बीच भारत की अर्थव्यवस्था (GDP) भी धीमी पड़ती दिख रही है. वर्ल्ड बैंक ने नया अनुमान लगाया है, जिसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी अनुमानित दर से कम रहने की उम्मीद है. पहले वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया था कि भारत की जीडीपी इस साल 8.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी लेकिन अब वर्ल्ड बैंक ने उसे घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है.

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विश्व बैंक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो 2021 से थोड़ा कम है. हालांकि निवेश कार्यक्रमों का प्रभाव वित्तवर्ष 2022-23 की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है, यूक्रेन में युद्ध का वित्तवर्ष 2022-23 की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव मध्यम रहने की उम्मीद है, इसलिए 2022 की दूसरी छमाही में विकास कम होना शुरू हो जाएगी.

विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार की गति धीमी रहने की वजह है- भारतीय परिवारों द्वारा सीमित खरीद, श्रम बाजार की अधूरी रिकवरी, जिसमें अकुशल श्रमिकों का सबसे कठिन दौर से गुजरना और मुद्रास्फीति.

विश्व बैंक ने कहा कि यात्रा सेवाओं के संतुलन में सुधार हो सकता है, क्योंकि भारत अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति दे रहा है. कंप्यूटर और पेशेवर सेवा सामग्री के निर्यात के मजबूत रहने की उम्मीद है. इस क्षेत्र के अन्य देशों के युद्ध से अधिक प्रभावित होने का अनुमान है और वे पहले से ही इसके प्रभाव से निपट रहे हैं, जैसे कि श्रीलंका में भुगतान संतुलन संकट, पाकिस्तान में संकट और अफगानिस्तान में मानवीय आपदा.

दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष हार्टविग शेफर ने रिपोर्ट के साथ जारी एक बयान में कहा कि, दक्षिण एशिया ने पिछले दो वर्षो में कई झटके झेले हैं, जिसमें कोविड-19 महामारी के भयावह प्रभाव भी शामिल हैं. यूक्रेन में युद्ध के कारण तेल और खाद्य कीमतों की ऊंची कीमतों का लोगों की वास्तविक आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

शेफर ने कहा, इन चुनौतियों को देखते हुए सरकारों को हरित, लचीला और समावेशी विकास की नींव रखते हुए बाहरी झटकों का मुकाबला करने और कमजोर लोगों की रक्षा के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों की सावधानीपूर्वक योजना बनाने की जरूरत है.

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