कोई भी बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) खरीदना आसान काम नहीं है. हालांकि अब इसकी उपलब्धता केवल एजेंटों के हाथ में ही नहीं बल्की ऑनलाइन ऐप पर भी हो चुकी है. लेकिन आप जो बीमा पॉलिसी खरीद रहे हैं या खरीद चुके हैं उसके बारे में आपको पूरी जानकारी है? वैसे तो बीमा पॉलिसी जो वादे करती हैं वो एकदम साफ होता है, लेकिन फिर भी क्या आप अपनी पॉलिसी के हर टर्म्स एंड कंडिशन (Terms & Conditions) को समझते हैं?
बीमा रेगुलेटर ने ये अनिवार्य कर दिया है कि बीमा विक्रेता को अपने ग्राहक को पालिसी से जुड़ी सारी जानकारी देनी होगी. लेकिन पालिसी के बारे में ढेर सारी जानकारी देने का मतलब ये नहीं कि ग्राहक को जरूरी जानकारी ही मिल रही होगी और जो मिल रही है वो उसे समझ आ रही होगी. ये दोनों चीजें अलग अलग हैं.
पिछले कई सालों में बीमा पालिसी खरीदने वालों की प्रतिक्रियाएं ली गई जो बताती हैं कि ग्राहकों के लिए बीमा खरीदना मतलब वित्तीय आधार पर शांति मिलना है. हालांकि जब उनसे उनकी किसी पॉलिसी के बारे में सवाल किए गए तो उनके लिए खुद की पॉलिसी 'बोझ' की तरह थी.
तो, एक तरफ इंश्यॉरेंस पालिसी ग्राहकों के लिए मन की शांति भी है, लेकिन दूसरी तरफ बोझ भी.
...लेकिन ऐसा क्यों हैं?
बीमा खरीदने के पहले कुछ जरूरी सवाल होते हैं... जैसे क्या ये अच्छी डील है? क्या मैं सही पॉलिसी खरीद रहा/रही हूं? अगर इन सवालों का जवाब आपके पास नहीं होगा तो किसी पॉलिसी को लेकर जरूर ही कंफ्यूजन होगा.
अब जरा उस समय में पीछे जाइए जब भी आपको कोई बीमा पॉलिसी बेची गई थी. आपमें से कितनों को लगता है कि उन्हें जो पालिसी बेची गई थी उसके बारे में वे सब जानते हैं, पालिसी क्या है, उसका टेन्यॉर, क्लेम को लेकर वगैरह वगैरह..?
आपका जवाब 'ना' में ही होगा. हमारा दिमाग हमेशा शॉर्टकट ही ढूंढता है फिर आपका जेंडर, जगह, पढ़ाई, पेशा, उम्र जो भी हो.
इंश्यॉरेंस पालिसी खरीदने के मामले में ऐसा ही है. हमें नहीं मालूम होता कि हमने किस तरह की पालिसी को खरीदा है, क्योंकि हमारे में दिमाग में कहीं न कहीं ये बात बैठी रहती है कि इंश्यॉरेंस क्या है, उसका क्या होगा. यानी अधिकतर लोग पालिसी के नियम और शर्तों की अनदेखी कर पालिसी खरीद लेते हैं.
अब इंश्यॉरेंस पालिसी को बेचने वाला तो पूरी ताकत लगा देता है ताकि वह बीमा बेच सके और उसे इसके लिए कमिशन भी मिलता है और बीमा बेचने के बाद वो हमेशा यह कहता है कि "मैं आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहूंगा".
आजकल सेल्समैन जो जानकारी दे रहा है, केवल उस पर ही पूरा भरोसा कर पालिसी खरीदना अच्छा नहीं है. क्योंकि सेल्समैन तो पालिसी बेचने ही आया है और वह उसे बेचने में पूरा दमखम भी लगा देगा.
ऐसे में ग्राहक और सेल्समैन को क्या करना चाहिए?
ग्राहकों को अपने करीबियों या आसपास पता करना चाहिए क्या यही पॉलिसी किसी और ने ली है? अगर ली है तो वह कितना जानता है इस पॉलिसी के बारे में, जिसने पहले ही वो पॉलिसी ली हुई है उसके हालात आपके हालात से कितने मिलते हैं. इस तरह के फीडबैक लेने से पॉलिसी खरीदना आसान हो जाता है.
किसी भी इंश्यॉरेंस पॉलिसी को खुद से समझना मुश्किल होता है, क्योंकि उसमें कई सारी ऐसी बातें होती हैं जो टेक्निकल होती हैं, जिसका कुछ और अर्थ भी हो सकता है. अब पॉलिसी की जटिलताओं को तो दूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि बीमा नियामक के कई नियमों और इंश्यॉरेंस कंपनी की पॉलिसी दोनों बातें शामिल की जाती हैं. ऐसे में जब भी ऐजेंट या कोई और आपको पॉलिसी के बारे में समझा रहा हो तो उसके बाद आपको जो कुछ भी समझ आया उसे 7 पॉइंट्स में खुद लिखकर अपने पास रख लें. इससे आपको ये विश्वास रहेगा कि आप पॉलिसी के बारे में कई बातें जानते हैं और पॉलिसी आपको बोझ की तरह भी नहीं लगेगी.
(यह लेख बिजनेस मैनेजमेंट कंसल्टेंट फर्म टेराग्नि कंसल्टेंट के निदेशक डॉ अनिल पिल्लई ने लिखा है और यह एक ओपिनियन पीस है. यहां लिखे विचार उनके अपने है. क्विंट हिंदी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)
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