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ड्रीम जैसी Dream11 की कहानी,देश में फंतासी सी फैंटेसी खेल की ग्रोथ

IPL टाइटल स्पॉन्सर ड्रीम-11 और फैंटेसी स्पोर्ट्स के बारे में हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं

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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

ड्रीम 11, वो कंपनी जिसे चुना गया है IPL 13 का टाइटल स्पॉन्सर. इसके लिए कंपनी 222 करोड़ रुपए देगी. लेकिन ड्रीम 11 जिस फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की लीडर है, वो है क्या? उसमें क्या होता है? इतनी कमाई कैसे होती है? दरअसल ड्रीम 11 की तरक्की किसी ड्रीम से कम नहीं और फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की देश में ग्रोथ किसी फैंटेसी से कम नहीं.

साल 2008 में भवित सेठ और हर्ष जैन ने मिलकर DREAM11 शुरू किया.  आइडिया भी आईपीएल के दौरान आया था. और देखते-देखते ये कंपनी फैंटेसी स्पोर्ट्स वर्ल्ड की बादशाह बन गई.

फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) और KPMG ने हाल ही में एक स्टडी रिलीज की थी. इस स्टडी के मुताबिक,  इस वक्त ड्रीम-11 के 75 मिलियन से ज्यादा यूजर हैं. टेंसेंट जैसी चाइनीज एप से इंवेस्टमेंट हासिल करने में कामयाब रहने वाले इस प्लेटफॉर्म ने साल 2018 में महेंद्र सिंह धोनी को ब्रैंड एम्बेस्डर बनाया, जिसका भी कंपनी को काफी फायदा मिला है.

फैंटेसी स्पोर्ट्स आखिर हैं क्या?

फैंटेसी स्पोर्ट ऑनलाइन खेले जाने वाले उन गेम्स को कहते हैं, जहां लोग किसी गेमिंग ऐप पर असली स्पोर्ट्स प्लेयर्स की एक अपनी वर्चुअल टीम बनाते हैं. टीम बनाने में पैसे लगाए जाते हैं. अब प्लेयर्स असल जिंदगी में जैसा परफॉर्म करते हैं, उसी हिसाब से फैंटेसी पॉइंट बढ़ जाते हैं. आप दूसरे मैनेजर और टीम के खिलाफ खेलते हैं. हर मैनेजर एक रोस्टर मैनेज करता है, जिसमें वो प्लेयर्स को जोड़ता है, हटाता है या बेच भी देता है. इन स्पोर्ट्स को खेलने के लिए सिर्फ एक स्मार्टफोन और अच्छे इंटरनेट की जरूरत होती है. फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म लोगों से कुछ फीस लेते हैं और फिर उन्हें अपनी टीम बनानी होती है. वो ऐसे प्लेयर्स को लेकर भी अपनी टीम बना सकते हैं जो दो अलग-अलग टीमों में खेलते हों.
अब यहां पैसा जीतना या हारना, आपकी क्रिकेट या जिस खेल के लिए फैंटेसी गेम प्लेटफॉर्म पर गए हैं, उसमें आपकी जानकारी पर भी निर्भर करता है. जैसे कि कौन सा खिलाड़ी आपने चुना, कौन सा प्लेयर किस मामले में बेहतर है.

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2016 से फैंटेसी स्पोर्ट्स में लोगों की बढ़ी रुचि

पिछले करीब 60 साल से फैंटेसी स्पोर्ट्स दुनियाभर में खेला जा रहा है. भारत में पहली बार साल 2001 में ईएसपीएन-स्टार स्पोर्ट ने इसे इंट्रोड्यूस किया. हालांकि, फैंटेसी स्पोर्ट्स सेक्टर ने साल 2016 से भारत में काफी लोकप्रियता हासिल की.  FIFS और KPMG की रिपोर्ट बताती है कि  साल 2016 में जहां 10 फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म थे वो साल 2019 तक आते-आते 140 से ज्यादा हो गए. जहां साल 2016 में 20 लाख यूजर थे वो साल 2019 के अंत तक आते आते 9 करोड़ से ज्यादा हो गए.

इसकी बड़ी वजह ये भी है कि जैसे-जैसे टियर-3 शहरों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ रही है, ये सेक्टर बड़ा होता जा रहा है, इसे नए-नए यूजर मिल रहे हैं. इंडस्ट्री की रफ्तार किसी फैंटसी से कम नहीं है. ये FY19 में 6158 करोड़ की इंडस्ट्री हुआ करती थी, FY20 में 167 पर्सेंट बढ़कर 16500 करोड़ की इंडस्ट्री बन गई है.

दिलचस्प बात ये है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लीग-बेस्ड खेलों को नुकसान हुआ है क्योंकि रेवेन्यू खत्म हो गया है, लेकिन फिर भी OFS ऑपरेटर्स ने क्विज, बेसबॉल जैसे नए खेल और प्लेटफॉर्म इनोवेशन में निवेश जैसी रणनीति अपनाई जिससे कि यूजर इंगेजमेंट रहे. इस बीच Dream11 और MyTeam11 जैसे मुख्य प्लेयर्स ने FanCode और SportsTiger जैसे अपने सहायक प्लेटफॉर्म की मदद से अपनी ऑफरिंग का दायरा बढ़ा लिया जिससे कि इंगेजमेंट और कस्टमर एक्सपीरियंस बढ़ जाए. इसमें खेलों के बारे में सिखाया गया, जिससे OFS प्लेटफॉर्म ऑफरिंग में मदद मिली.
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यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इंडस्ट्री का एक बड़ा सेगमेंट क्रिकेट से ड्राइव होता है. भारत जैसे देश जहां क्रिकेट को एक धर्म की तरह माना जाता है, यहां के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन धीरे-धीरे फैंटेसी स्पोर्ट्स दूसरे खेलों में भी लोकप्रिय हो रहा है आंकड़े तो यही बता रहे हैं. जहां साल 2016 में कुल इंडस्ट्री का 95 फीसदी क्रिकेट पर निर्भर था वो साल 2019 में 85 फीसदी हो गया. मतलब कि दूसरे खेलों की हिस्सेदारी 5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो गई.

ऐसे में जब ड्रीम-11 को  IPL जैसे बेहद पॉपुलर टूर्नामेंट का टाइटल स्पॉन्सरशिप मिल गया है, ड्रीम-11 और फैंटेसी स्पोर्ट्स में लोगों का इंटरेस्ट और बढ़ेगा, लोग तेजी  से इन प्लेटफॉर्म पर आ सकते हैं.

रोजगार के लिहाज से भी इस इंडस्ट्री में भविष्य दिखता है. हालांकि, मौजूदा जो स्थिति है उसमें सीजनल टूर्नामेंट होने और अलग-अलग लीग के बीच कुछ महीनों का गैप होने से भारी संख्या में लोगों के लिए यहां जॉब अपॉर्च्युनिटी नहीं बन सकी है.

फिलहाल, इस इंडस्ट्री में साफ्टवेयर, कस्टमर सर्विस, मार्केटिंग सेक्टर्स में भविष्य तलाशा जा सकता है. डायरेक्ट एंप्लॉयमेंट की बात करें तो फाइनेंशियल ईयर 2017 में जहां करीब 600 लोग काम करते थे वो 2020 में 3400 हो गए हैं.

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