मारुति उद्योग लिमिडेट के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) और कार्नेशन के फाउंडर जगदीश खट्टर का 26 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. जगदीश खट्टर ने करीब 37 साल तक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में काम किया और इसके बाद उन्होंने आंत्रप्रेन्योरशिप की तरफ अपने कदम बढ़ाए और मारुति को देश की सबसे बड़ी कार कंपनी बनाया. मारुति छोड़ने के बाद उन्होंने कार्नेशन ऑटो नाम की कंपनी खोली.
दिल्ली यूनिवर्सिटी से हुई कॉलेज की पढ़ाई
जगदीश खट्टर का जन्म आंत्रप्रेन्योर्स से भरे परिवार में ही हुआ. उनके परिवार ने इलेक्ट्रिसिटी बनाने और सप्लाई करने वाली कंपनी बनाई थी. बाद में बंटवारे में वो पाकिस्तान में चली गई. खट्टर की पढ़ाई दिल्ली के मशहूर सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया. इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) जॉइन किया.
IAS से सफल उद्यमी का सफर
1969 से 1993 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य और केंद्र सरकार में डीएम से लेकर जॉइंट सेक्रेटी तक के पदों पर रहते हुए सेवाएं दीं. इसके बाद 1993 से लेकर 2007 तक जगदीश खट्टर ने ऑटो कंपनी मारुति उद्योग लिमिटेड में काम किया और कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर पद से रिटायर हुए. 1999 में वो मारुत के एमडी बन गए थे. खट्टर के ही कार्यकाल में मारुति देश की सबसे बड़ी कारमेकिंग कंपनी बनी.
खोली खुद की नई कंपनी
2007 में मारुति से निकलने के बाद उन्होंने कारनेशन ऑटो नाम की कंपनी खोली, ये कंपनी मल्टी ब्रांड कार डीलरशिप और सर्विसेज का कामकाज देखती है. एक छत के तले ही कई कंपनियों की गाड़ियां बेचने का आइडिया चल निकला. मिंट के मुताबिक 2008 में कारनेशन ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए सर्विसिंग के काम पर फोकस किया. खट्टर ने पैसे जुटाकर कंपनी में भारी निवेश किया और देशभर में कंपनी के वर्कशॉप खोले. लेकिन कार मैन्युफैक्चरर्स ने अपने ऑटो पार्ट्स खुले बाजार में बेचने से इनकार कर दिया.
उतार-चढ़ाव भरा रहा सफर
साल 2009 में खट्टर ने सैकेंड हैंड कार खरीदने-बेचने के बिजनेस पर फोकस करने की कोशिश की. पूरी तैयार के साथ उन्होंंने कार खरीदने बेचने के लिए संरचना तैयार की लेकिन उनको इस आइडिया में भी कामयाबी नहीं मिली.
खट्टर की कंपनी कारनेशन को 2009 से 2014 तक लगातार भारी नुकसान हुआ. कंपनी में जिन्होंने निवेश किया था उनको भी काफी नुकसान हुआ.
बेटे ने बनाया सफल बिजनेस मॉडल
लेकिन जगदीश खट्टर के बेटे कुणाल खट्टर ने कारनेशन कंपनी में कई सारे अहम बदलाव लाए. उन्होंने कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझकर उसमें ऐसे बदलाव लाए जिससे कंपनी प्रॉफिट में आए. उन्होंने ऑनलाइन और डिजिटल मीडियम में आ रहे बदलावों के साथ कदम मिलाते हुए, ऑनलाइन सेलिंग फर्म जैसे क्विकर वगैरह के साथ करार किए. इसके अलावा कारनेशन ने कई सारी इंश्योरेंस कंपनियों के साथ बीच बिजनेस किया.
2019 में लगे धोखाधड़ी के आरोप
साल 2019 में CBI ने जगदीश खट्टर और उनकी कंपनी कार्नेशन ऑटो इंडिया पर केस दर्ज किया. उन पर 110 करोड़ की धोखाधड़ी और क्रिमिनल मिसकंडक्ट के आरोप लगे. कहा गया कि जगदीश खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन आटो इंडिया लिमिटेड ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है.
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