जिस शख्स ने जेट एयरवेज को बनाया और 25 साल तक चलाया, उसी नरेश गोयल को एयरलाइंस को बचाने के लिए अपनी कंपनी के चेयरमैन पद से हटना पड़ा.
नरेश गोयल परिवार के लिए डबल झटका है क्योंकि उनके साथ उनकी पत्नी अनीता गोयल की भी जेट के बोर्ड से छुट्टी हो गई है. अब स्टेट बैंक की अगुआई में तमाम बैंक कंपनी के मालिक होंगे. कंपनी को चलाने के लिए 1500 करोड़ का कर्ज फौरन मिल जाएगा.
आगे माहौल ठीक होने पर बैंक नए प्रोमोटर को हिस्सेदारी बेचेंगे. ये अपनी तरह का शायद पहला मामला होगा जिसमें बैंकों ने इतनी बड़ी कंपनी का मैनेजमेंट अपने हाथ ले लिया है.
जेट संकट के बात ये बात उठ रही थी कि क्या फाउंडर और प्रमोटर नरेश गोयल अपनी ही जेट एयरवेज के दुश्मन बन गए हैं? क्योंकि नरेश गोयल जेट से हटने को तैयार नहीं थे और उनके अड़ियल रुख से जेट एयरवेज धीरे-धीरे खत्म होती जा रही थी. एक के बाद एक रेड सिग्नल और चेतावनी के बावजूद नरेश गोयल इस बात पर अड़े थे वो जेट एयरवेज में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखेंगे. लेकिन आखिर में उनकी नहीं चली और उन्हें बोर्ड से जाना पड़ा.
जेट एयरवेज आईसीयू में
- 119 विमानों में 88 विमान गैराज (हैंगर) में खड़े हैं.
- मतलब सिर्फ 41 विमान उड़ रहे हैं. यानी आधी से ज्यादा उड़ानें रद्द हैं
- विमानों की लीज रकम चुकाने का पैसा कंपनी के पास नहीं
- बैंकों का ब्याज देने के लिए रकम नहीं
- पायलटों ने कहा है कि 31 मार्च तक सैलरी नहीं मिली तो 1 अप्रैल से कोई विमान नहीं उड़ेगा
- इंजीनियर्स को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली
क्या वजह है जिनसे जेट जमीन पर आ गई है?
जेट एयरवेज पर करीब 8,500 करोड़ रुपए का कर्ज है. बैंकों ने साफ कर दिया था कि जब तक ठोस प्लान सामने नहीं आता तो नया कर्ज नहीं मिलेगा. जेट एयरवेज में यूएई की एतिहाद एयरलाइंस की 24 परसेंट हिस्सेदारी है. नरेश गोयल को उम्मीद थी कि जेट को एतिहाद मुश्किल से निकाल लेगी. लेकिन एतिहाद ने शर्त रख दी कि इसके लिए नरेश गोयल को कुर्बानी देनी होगी और चेयरमैन पद और अपनी बड़ी हिस्सेदारी छोड़नी पड़ेगी.
नरेश गोयल के अड़ियल रवैये के बाद एतिहाद ने कह दिया कि वो जेट एयरवेज में अपना पूरा हिस्सा बेच देना चाहता है और बैंकों से कहा कि वो इसे खरीदकर उसे मुक्त करें. एतिहाद की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है, उसे 2017 और 2018 में 3 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है.
चुनाव ने भी बैंकों को मजबूर किया
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं इसलिए ऐसे में एक एयरलाइंस का दिवालिया हो जाना सरकार के लिए बहुत नुकसानदेह है. इसलिए सरकार ने बैंकों और अपने ही इंफ्रा फंड NIIF पर जेट को बचाने का दबाव बनाया. सरकार की फिक्र है कि जेट अगर दिवालिया हुई तो कम से कम 23 हजार लोग एक झटके में बेरोजगार हो जाएंगे. इसके अलावा जेट ने दुनियाभर से उधारी ले रखी है. बैंकों के अलावा सप्लायर्स, पायलट और लीज देने वाली कंपनियां सभी पर जेट का बकाया है.
पैसेंजर परेशान
जेट एयरवेज हर हफ्ते सैकड़ों फ्लाइट रद्द कर रहा है लेकिन पैसेंजरों को रिफंड तक नहीं मिल पा रहा है. किराए बढ़ना शुरू हो गए हैं. घरेलू विमानन मार्केट में जेट की करीब 13 परसेंट हिस्सेदारी है, यदि पूरी एयरलाइंस डूबी तो हवाई टिकट बहुत महंगे हो जाएंगे.
बैंकों से कहा गया है कि वो बकाए और उधार को शेयरहोल्डिंग में बदल लें और बीमार एयरलाइन में हिस्सा खरीद कर इसे बचाएं.
नरेश गोयल से क्या गलतियां हुईं?
- नरेश गोयल बजट एयरलाइंस की तेजी से बढ़ती ग्रोथ का अंदाज नहीं लगा पाए.
- जेट एयरवेज ने बाजार की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया और अपने हिसाब से भारी भरकम खर्चे करती रही
- एयरलाइंस की स्मार्ट रीस्ट्रक्चरिंग नहीं की.
- जेट के पास दूसरी एयरलाइंस के मुकाबले प्रति प्लेन बहुत ज्यादा कर्मचारी हैं.
- 2010 से जेट एयरवेज का घाटा लगातार बढ़ता गया और प्रमोटरों ने इसे कम करने की कोई कोशिश नहीं की.
- लागत से कम में टिकट बेचने की कोशिश आत्मघाती साबित हुई.
जेट को फौरन ठीक करने के लिए क्या चाहिए?
- जानकार कहते रहे हैं कि जेट की असली समस्या नरेश गोयल हैं. जो कंपनी की इतनी बुरी हालत के बावजूद अपना हिस्सा छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
- एतिहाद से बातचीत करे और उसके नेटवर्क का इस्तेमाल करें .
- सभी कर्ज चुकाए जाएं और फौरन सभी विमानों को उड़ने की स्थिति में लाया जाए ताकि जेट दोबारा पैरों पर खड़ी हो सके.
- नए कर्ज का इस्तेमाल करके पूरे मैनेजमेंट को दुरुस्त किया जाए, बेकार के खर्च कम किए जाएं
रिवाइवल प्लान
- एतिहाद 1600-1900 करोड़ रुपए लगाए और उसे 24.9 परसेंट हिस्सेदारी मिले
- दूसरे कर्जदार यानी बैंक 1000 करोड़ रुपए और लगाकर 29.5 हिस्सेदारी ले लें
- नरेश गोयल ने जेट पर जो 450 करोड़ रुपए लगाया है वो हिस्सेदारी में कंवर्ट कर दिया जाए
- नरेश गोयल की हिस्सेदारी किसी भी सूरत में 22 परसेंट से ज्यादा ना हो NIIF भी 20 परसेंट हिस्सेदारी रखे
- जेट को सभी लेनदार 750 करोड़ रुपए दें
इसमें कोई संदेह नहीं कि नरेश गोयल ने 25 साल में जेट एयरवेज को बड़ा ब्रांड बनाया. लेकिन सही वक्त पर सही फैसला नहीं लेने से उन्होंने उसी ब्रांड को नुकसान भी पहुंचाया. आखिरकार उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
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