LIC IPO: भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ एलआईसी का आईपीओ जल्द ही मार्केट में लॉन्च होने वाल है. रिपोर्ट्स के मुताबिक IPO 11 मार्च को मार्केट में आ सकता है. सरकार इश्यू के जरिये कंपनी में अपनी 5% हिस्सेदारी बेचकर 65,000 करोड़ जुटाने को देख रही है.
हालांकि ये विशाल IPO तब आ रहा है जब मार्केट में काफी उठा-पठक हो रही है. बढ़ती ग्लोबल महंगाई को कंट्रोल करने के लिए फेड ब्याज दरों में उम्मीद से ज्यादा की बढ़ोतरी कर सकता है, इसकी वजह से फॉरेन निवेशक भारतीय शेयर बाजार से लागातार भारी मात्रा में पैसा निकाल रहे हैं.
लिस्टिंग के बाद भारतीय जीवन बीमा कंपनी (LIC) मार्केट कैप के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा कंसल्टेंसी सर्विस के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी.
इंडिया का 'Aramco मोमेंट'
LIC के आईपीओ को 'इंडिया का Aramco मोमेंट' भी कहा जा रहा है. इसकी तुलना सऊदी अरब की ऑइल कंपनी आरामको (Aramco) से की जा रही है. आरामको ने 2019 में अपने आईपीओ से 29.4 बिलियन डॉलर जुटाया था, जोकि दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ था.
LIC का स्टॉक मार्केट में 9.8 लाख करोड़ का निवेश
इंशयोरेंस कंपनी LIC ने शेयरों में करीब 9.8 लाख करोड़ का निवेश किया हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि ये रकम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मार्केट कैप का करीब 4 फीसदी है. LIC भारत का सबसे बड़ा घरेलु संस्थागत निवेशक (DII) है.
क्या IPO लाने का ये सही समय नहीं?
कुछ मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि इस समय आईपीओ को लॉन्च करना सही फैसला नहीं होगा. शॉर्ट टर्म में मार्केट के सामने कई चुनौतियां हैं. जिसमे रूस-यूक्रेन विवाद, बढ़ती ग्लोबल महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में केंद्रीय बैंक द्वारा की जा रही बढ़ोतरी सबसे अहम है.
ऐसा आमतौर पर देखा गया है जब मार्केट में गिरावट का दौर होता है तो वैसे समय पर आईपीओ को निवेशकों से अच्छा रिस्पांस नहीं मिलता है. आईपीओ का परफॉरमेंस बहुत हद तक शेयर मार्केट के सेंटीमेंट पर डिपेंड करता है. कुछ एक्सपर्ट मानते हैं 2020 और 2021 की तरह साल 2022 मार्केट के लिए पॉजिटिव नहीं रहेगा.
LIC के आईपीओ से दूसरे इंशयोरेंस कंपनी के शेयर पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
LIC के आईपीओ के कारण दूसरे दूसरी इंशयोरेंस कंपनी के शेयरों पर दबाब बना रहेगा, क्योंकि निवेशक सरकारी बीमा कंपनी में निवेश करने की जगह बनाने के लिए तीन सूचीबद्ध निजी जीवन बीमा कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं. ऐतिहासिक रूप से, मार्केट के लीडर की लिस्टिंग सबसे पहले होती है. यह एक दुर्लभ क्षण है जब किसी बड़े खिलाड़ी को बहुत देर से सूचीबद्ध किया जा रहा है. जाहिर है फंड मैनेजर 10 से 11 फीसदी वाली निजी बीमा कंपनी से निकल कर 60 फीसदी मार्केट शेयर वाली सरकारी कंपनी की तरफ जा सकते हैं.विद्या बाला , को-फाउंडर, प्राइम इन्वेस्टर, Reuters से
LIC के आईपीओ की खबर से ही बाकी लिस्टेड इंशयोरेंस कंपनी के शेयर्स की पिटाई शुरू हो गई है. इस साल की शुरुआत से अब तक मैक्स फाइनेंशियल सर्विस का शेयर 16%, HDFC AMC का शेयर 11% और SBI लाइफ का शेयर 5% टूट चूका है.
मार्केट में लिक्विडिटी की हो सकती है कमी
मार्केट जानकरों का मानना है कि इतने बड़े इश्यू के कारण शॉर्ट टर्म में मार्केट में लिक्विडिटी की कमी हो सकती है, जिसकी वजह से मार्केट का सेंटीमेंट भी बिगड़ सकता है.
प्रभुदास लीलाधर के हेड इन्वेस्टमेंट प्रोडक्टस पीयूष नागदा का मानना है कि मेगा IPO शेयर मार्केट में लिक्विडिटी को प्रभावित करते हैं क्योंकि निवेशक शेयर मार्केट से पैसा निकालकर प्राइमरी मार्केट (IPO) में लगाते हैं.
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