लाइफ इंश्योरेंस खरीदने की प्रक्रिया में फिजिकल सिग्नेचर बहुत ही अहम होता है. ये अहम इसलिए होता है क्योंकि लाइफ इंश्योरेंस लंबी अवधि का कॉन्ट्रैक्ट होता है और जिन भी शर्तों पर दस्तखत होंगे वो पॉलिसी के पूरे ड्यूरेशन में लागू रहेंगी. लेकिन कोरोना वायरस संकट ने सारी स्थितियां बदल कर रख दी हैं और अब इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने इंश्योरेंस कंपनियों को मंजूरी दी है कि वो फिजिकल सिग्नेचर के बिना भी इंश्योरेंस पॉलिसी जारी कर सकेंगी. ये आपको बहुत आरामदेह लग सकता है लेकिन इसके कई सारे पहलू हैं और आपको इसके बारे में सभी चीजें जान लेना जरूरी हैं.
नया प्रोसीजर जानें उसके पहले क्या आपको पता है लाइफ इंश्योरेंस खरीदते वक्त आम प्रोसीजर क्या है?
जो पॉलिसी होल्डर होता है उसको पॉलिसी फॉर्म पर फिजिकली साइन करने होते हैं और इस प्रक्रिया को फिजिकल सिग्नेचर या फिर वेट सिग्नेचर कहते हैं. ये पॉलिसी की शर्तों पर पॉलिसी लेने वाले की सहमति का सबूत होते हैं. इसका मतलब ये है कि कस्टमर को प्रपोजल देखना है और अपनी सहमति देना होगी और व्यक्ति के दस्तखत इस बात की गवाही देंगे.
लेकिन फिर इस प्रक्रिया में बदलाव क्या आया है?
इंश्योरेंस रेगुलेटर को मंजूरी दे दी गई है कि वो कस्टमर के फिजिकल दस्तखत लिए बिना भी कस्टमर की सहमति ले सकेंगे, लेकिन इसके लिए कंपनियों को एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा. कंपनियों को अपने कस्टमर को मेल या फिर मोबाइल एप पर सारी जानकारियों के साथ प्रपोजल प्लान भेजना होगा. कंपनियां किसी भी तरीके से प्रपोजल प्लान भेज सकती हैं. ईमेल में प्रपोजल की पूरी जानकारी शामिल होनी चाहिए, वहीं फोन के जरिए SMS के जरिए लिंक भेजा जाएगा जो लिंक आपको प्रपोजल डिटेल्स तक ले जाएगा.
आपको प्रपोजल तो मिल गया लेकिन अब साइन कैसे करेंगे?
भेजे गए प्रपोजल को देखने के बाद कस्टमर को इसे एक्सेप्ट करने के लिए या तो लिंक पर क्लिक करना होगा या फिर OTP की प्रक्रिया का पालन करना होगा. दोनों प्रक्रियाओं के तहत आप प्रपोजल को स्वीकार कर सकते हैं और नियमों, शर्तों पर अपनी सहमति जता सकते है.
लेकिन फिर भी पेमेंट को लेकर कस्टमर को क्या सुरक्षा दी गई है?
पॉलिसी के पेमेंट को लेकर भी एक खास प्रक्रिया का पालन करना होगा. साथ ही इंश्योरेंस कंपनी तब तक पेमेंट स्वीकार नहीं कर सकती जब तक कस्टमर प्रपोजल पर सहमति नहीं दे देता. इसलिए पहले से पेमेंट करने की जरूरत नहीं है, पहले पॉलिसी को लेकर कॉन्फरमेशन दें, उसके बाद ही पेमेंट करें.
इस पूरी प्रक्रिया में कस्टमर यानि कि आपको क्या सेफ्टी फीचर दिए गए हैं?
प्रक्रिया में शामिल एजेंट या फिर इंटरमीडियएटरी को भी ये प्रमाणित करना होगा कि कस्टमर का ईमेल और मोबाइल नंबर अच्छे तरीके से रिकॉर्ड किया जाएगा. इंश्योरेंस कंपनी को ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर को जरूरी प्रक्रिया के तहत वेलिडेट, ऑथेंटिकेट करना होगा. सेल्स की प्रक्रिया और प्री इशूएंस वेरिफेकेश भी इंश्योरेंस कंपनी सुनिश्चित करेगी.
लेकिन जो बदलाव किए जा रहे हैं वो हमेशा के लिए हैं या जब तक कोविड है तब तक के लिए?
कस्टमर्स के लिए ये जानना काफी अहम है कि ऑनलाइन वेलिडेशन की ये सुविधा सिर्फ अस्थायी तौर पर दी गई है. प्रक्रिया को हमेशा के लिए नहीं बदला गया है. ये फेसेलिटी सिर्फ दिसंबर 2020 तक लागू रहेगी. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि ये एक एक्सपीरिमेंट है और ये कभी भी या तो सभी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए या कुछ खास इंश्योरेंस कंपनी के लिए बंद की जा सकती है.
क्या ये प्रक्रिया सभी तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए लागू होती हैं?
फिजिकल सिग्नेचर के बिना पॉलिसी लेने की जो फेसेलिटी है उसको सिर्फ प्योर रिस्क प्रोडक्ट में लागू किया जा सकता है. इसका मतलब ये है कि ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी जिसमें सेविंग का कोई एलीमेंट नहीं होता है. इस विशेष प्रक्रिया में सिर्फ लाइफ कवर वाले प्रोडक्ट ही लिए जा सकते हैं. परंपरागत रूप से जो सेविंग एलीमेंट वाली पॉलिसी चली आ रही हैं, वो इन गाइडलाइंस में शामिल नहीं की जा सकेंगी. इसलिए इस प्रक्रिया में कम ही पॉलिसी शामिल होती हैं.
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