पिछले कुछ समय से बैंकों में फिक्स डिपॉजिट या एफडी पर ब्याज दर कम हो रही है. हालांकि, अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर है तो ब्याज कम होना भी स्वाभाविक है. तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो अभी जो बैंकों की ब्याज दरें हैं, वो साल 2000 के शुरुआती दौर के करीब ही हैं. ये भी स्वाभाविक ही है कि अगर ब्याज दरें कम हैं तो निवेशक किसी भी इन्वेस्टमेंट में रुचि नहीं दिखाते. वो भी तब जबकि फिक्स डिपॉजिट पर मिलने वाले नेट रिटर्न पर टैक्स भी देना होता है.
लेकिन, इन सब बातों का ये कतई मतलब नहीं कि सबको एफडी में निवेश से दूर भागना चाहिए. ऐसी स्थितियां हैं और ऐसे कैटेगरी के लोग हैं जिनके लिए बैंक एफडी बेहतर विकल्प है.
हर व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वो पहले इस बात पर विचार करें कि उसके लिए इन्वेस्टमेंट का सबसे अच्छा जरिया क्या हो सकता है. इसी आधार पर वो अपने पैसे का सही निवेश करे.
तो चलिए कुछ स्थितियां देखिए जिसमें एफडी ही सही विकल्प हो सता है.
जोखिम बिल्कुल नहीं
ऐसा निवेशक जिसे किसी खास मौके पर पैसे की जरूरत हो और कोई जोखिम ना उठाना चाहता हो, तो उसकी जरूरतों के लिए फिक्स डिपॉजिट सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है. इस पैसे का उपयोग बच्चों की स्कूली फीस भरने या किसी समारोह के खर्चों के लिए इस्तेमाल पर हो सकता है. इसके अलावा घर से जुड़ी जरूरतों पर भी खर्च किया जा सकता है. इस तरह की राशि को कोई नुकसान नहीं होता. साथ ही ये सही समय पर आपके भविष्य की योजनाओं को साकार करने का सबसे सुरक्षित जरिया भी है. फिर चाहे कैसी भी आर्थिक परिस्थतियां हों, आपके हाथ में निश्चित रकम आती है.
छोटी जरूरतों के लिए छोटी रकम
ऐसा भी हो सकता है कि आपको थोड़े समय में ही पैसे की जरूरत हो. इसकी जरूरत कब होगी, आपको समय भी मालूम हो. तब ऐसे में फिक्स डिपॉजिट में आप सही गणना करके यह जान सकते हैं कि निश्चित समय में आपको जरूरत की रकम पाने के लिए कितने पैसे का निवेश करना होगा.
एफडी तब और मौजूं है जब निवेश की रकम छोटी हो. क्योंकि तब किसी और निवेश में थोड़ी एक्स्ट्रा कमाई हो भी जाए तो कोई बड़ी बात नहीं.
वरिष्ठ नागरिक
वरिष्ठ नागरिकों को नियमित तौर पर पैसे की जरूरत होती है. ऐसे में उनके लिए फिक्स डिपॉजिट सबसे अच्छा और पसंदीदा विकल्प होता है. इसके अलावा कई और बातें भी हैं, जैसे एफडी में कुछ पैसा रखना फायदेमंद होता है. यहां आम निवेशक की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली ब्याज दर ज्यादा होती है. इसमें 0.25% से लेकर 0.75 अंतर हो सकता है. यह उनकी कमाई में इजाफा करता है. साथ ही सेक्शन 80TTB के तहत 50 हजार रुपए तक की ब्याज आय पर टैक्स में राहत भी मिलती है. यह सबसे जरूरी है क्योंकि वो दी गई सीमा तक टैक्स फ्री इनकम अर्जित कर सकते हैं.
टैक्स नहीं तो एफडी सही
जो लोग बेहद कम टैक्स देते हैं या टैक्स के दायरे में नहीं आते, वह भी फिक्स डिपॉजिट का फायदा लेते हैं. क्योंकि यह उनके कई लक्ष्यों को पूरा करता है. ऐसे निवेशकों पर किसी भी प्रकार का जाेखिम नहीं होता. वह निश्चिंत हो सकते हैं. साथ ही उनके नेट रिटर्न पर मामूली प्रभाव होता है. ऐसे निवेशक टीडीएस से बचने के लिए 15G/15H फॉर्म भर सकते हैं.
जब चाहिए तब मिलेगा पैसा
कई बार ऐसा समय आता है कि जब निश्चित समय पर नकदी की जरूरत होती है। लेकिन अधिक ब्याज दर वाले इन्वेस्टमेंट में नकदी तुरंत मिलना संभव नहीं हो पाता। यही एफडी की सबसे बड़ी खासियत है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से तीन महीने, छह महीने या साल भर या उससे ज्यादा मैच्योरिटी डेट तय कर लीजिए और आपको जरूरत के वक्त पैसा मिल जाता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)