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बफे से सीखकर अरबपति बने इंडियन पिता-पुत्र ने बताया कमाई का राज

अरबपति पिता पुत्र की कहानी जो वॉरेन बफे के हैं भक्त

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अमेरिका में भारतीय मूल के पॉल सिंह और जय फीनिक्स सिंह की अरबपति पिता-पुत्र की जोड़ी है. ये लोग अमेरिका के ओमाहा में दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक वॉरेन बफे से मिलने गए. बफे से मिलना इनके लिए तीर्थयात्रा की तरह है क्योंकि ये उनके निवेश के सीधे-सादे एप्रोच को सालों से फॉलो करते हैं. बफे की तरह ये भी शेयर बाजार पर भरोसा नहीं करते.

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पॉल सिंह (68) और जय फीनिक्स सिंह (32) दोनों की उम्र में भले ही अंतर हो लेकिन दोनों ने कारोबार में कामयाबी पाई. अपने कारोबार को बेचकर दोनों अरबपति बने. दोनों में एक समानता ये भी है कि दोनों दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स वॉरेन बफे के कायल हैं.

जय सिंह का कहना है कि वॉरेन बफे अमेरिकन ड्रीम का एक सबसे उम्दा उदाहरण हैं जिसमें आप बहुत नीचे से आते हो और अपना नाम बनाने में कामयाब होते हो.

बफे के लिए क्या कहते हैं पिता-पुत्र?

बर्कशायर हैथवे की सालाना शेयर धारकों की मीटिंग में पॉल सिंह और जय सिंह भी पहुंचे हुए थे. यहां मीटिंग में इनको और बाकी के शेयरहोल्डरों को वारेन बफे से सीखने को मिलता है.

पॉल सिंह दिखावे में भरोसा नहीं रखते. वो कहते हैं कि पैसा होने का ये मतलब नहीं है कि आप दिखावा करें और महंगी कारें खरीदें या ऐसे घर खरीदें जिनकी आपको जरूरत न हो. वहीं जय सिंह बताते हैं कि ‘‘मैं आज भी 2004 मॉडल की होंडा चला रहा हूं..और अपने माता-पिता के साथ रहता हूं’’ बफे के बारे में जय कहते हैं, ‘’वॉरेन कहते हैं आपका विजन और लॉन्ग टर्म प्लान ही आपके काम आता है.’’

पॉल सिंह 20 साल की उम्र में अमेरिका ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए आए थे. और उस वक्त उनकी जेब में सिर्फ 50 डॉलर थे. गरीब परिवार से आने वाले पॉल सिंह को हार्वर्ड में एडमिशन मिला और साल 1982 में उन्होंने एमबीए की डिग्री ली.

पॉल सिंह ने तीन कंपनिया खोलीं, जिसमें आखिरी कंपनी प्राइमस टेलिकम्यूनिकेशन का 6 साल में 1 बिलियन डॉलर का टर्नओवर था.

साल 2000 में पॉल सिंह ने ब्रिटिश महिला से शादी की और rezon8 fund नाम की कंपनी बनाई. इस कंपनी ने मुख्य तौर पर अमेरिका के उन स्टार्ट अप में इनवेस्ट किया जो कि सॉफ्टवेयर और आईटी के थे.

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जब पॉल ने बेटे को स्टार्ट अप के लिए नहीं दिए पैसे

बता दें कि पॉल ने अपने बेटे जय फीनिक्स के स्टार्ट अप के लिए कोई मदद नहीं की थी. ये बात खुद जय ने बताई. जय बताते हैं, ‘‘मैं नहीं चाहता था कि मेरे पिता मुझे पैसा दें..मेरे पास कुछ सेविंग्स थी जो मैंने अपने स्टार्ट अप में इनवेस्ट किए.’’

जय सिंह ने वायलेंस रिसर्च सेंटर बनाया था जिसे साल 2017 में बेचकर उन्होंने दमॉडलमैन.कॉम वेबसाइट बनाई जो कि बिजनेस मेन के लिए मैचमेकिंग साइट है.

वॉरेन बफे से जो गुर इस पिता पुत्र की जोड़ी ने सीखे हैं उनमें से एक है कि लॉन्ग टर्म के लिए इनवेस्ट करना और गलती करने न डरना. दोनों शेयर बाजार में निवेश नहीं करते और ETF पर भरोसा करते हैं. पॉल कहते हैं मार्केट तो ऊपर-नीचे जाते रहता है, उससे डरने की जरूरत नहीं.

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