प्रॉविडेंट फंड (EPF) में आपका निवेश 2.5 लाख से ज्यादा तो नहीं? अगर ऐसा है, तो आपकी जेब ढीली होनेवाली है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अब सालाना 2.5 लाख रुपये तक के निवेश पर ही टैक्स में छूट का लाभ मिलेगा. यानी अगर आपने साल भर में इससे अधिक निवेश किया है तो इसका ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. अब तक के नियमों के मुताबिक प्रॉविडेंट फंड पर मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स-फ्री था.
क्या हैं नियम?
फिलहाल PF अकाउंट में जमा रकम से होने वाली ब्याज आय इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 10 के क्लॉज (11) और क्लॉज (12) के तहत टैक्स फ्री है. वहीं इस रकम पर सेक्शन 80सी (Section 80C) के तहत आयकर में छूट भी मिलती है. इस पर मिलने वाला ब्याज और निकाला जाने वाला पैसा भी टैक्स फ्री है, बशर्ते कर्मचारी ने लगातार 5 साल नौकरी की हो.
नए नियम के मुताबिक ऐसे लोग जिनका भविष्य निधि अंशदान (PF contribution) किसी वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख या उससे अधिक है, तो उन्हें अगले वित्तीय वर्ष से अर्जित ब्याज पर टैक्स चुकाना होगा। यह नियम 1 अप्रैल 2021 को या उसके बाद होने वाले पीएफ अंशदानों पर लागू होगा.
इसी तरह अगर आपने यूलिप (ULIP) में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के प्रीमियम का भुगतान किया है, तो आपको सेक्शन 10D के तहत उपलब्ध टैक्स में छूट की सुविधा नहीं मिलेगी. यह नियम मौजूदा यूलिप पर लागू नहीं होगा, बल्कि फरवरी 2021 के बाद बेची गई पॉलिसियों पर ही प्रभावी होगा.
सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
बजट 2021 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बड़ी कमाई करने वाले कर्मचारियों द्वारा अर्जित आय के लिए टैक्ट छूट को युक्तिसंगत बनाने के लिए, 2.5 लाख के सालाना कंट्रीब्यूशन से अर्जित रिटर्न पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है.
सरकार के मुताबिक स्वैच्छिक कंट्रीब्यूशन के जरिए बहुत से कर्मचारी विभिन्न भविष्य निधियों में बड़ी राशि जमा कर रहे हैं और अधिनियम की धारा 10 के प्रोविजन (11) और प्रोविजन (12) के अंतर्गत टैक्स फ्री ब्याज का लाभ उठा रहे हैं.
किन पर पड़ेगा असर?
इस फैसले से आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सिर्फ ज्यादा वेतन पाने वाले उन लोगों को नुकसान होगा जो टैक्स-फ्री निवेश के लिए वॉलेंट्ररी प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) का इस्तेमाल करते हैं. 2.5 लाख रुपये के सालाना निवेश का मतलब है कि एक व्यक्ति अपने पीएफ अकाउंट में हर महीने 20,833 रुपये जमा करता है.
इसके लिए व्यक्ति की बेसिक मासिक सैलरी 1 लाख 73 हजार से ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि EPF नियमों के मुताबिक अंशदान ((PF contribution) आपकी बेसिक सैलरी (Basic Salary) के 12% से अधिक नहीं होनी चाहिए.
वहीं, दूसरी ओर 1 अप्रैल से लागू हो रहे नए वेतन नियमों (wage code) के मुताबिक बेसिक सैलरी को व्यक्ति की कुल इनकम का कम से कम 50 फीसदी होना चाहिए. ऐसे में मध्यम आय वर्ग के अधिकांश लोग इसके दायरे में नहीं आएंगे.
इससे पहले, साल 2016 के बजट में भी सरकार ने ईपीएफ में जमा राशि के 60 फीसदी ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया था, लेकिन इसका व्यापक विरोध होने पर सरकार ने इसे वापस ले लिया था. इस बार के प्रस्ताव में सरकार को विरोध की आशंका नहीं है क्योंकि इसका असर सिर्फ ज्यादा वेतन वाले यानी हाई नेटवर्थ इनकम (HNI) वाले कर्मचारियों पर ही पड़ेगा.
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