मेट्रोपॉलिटन क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCCIL) के मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MSEI) में विलय के मुद्दे पर MSE ने बयान जारी किया है. MSE ने कहा है कि MCCIL लगातार घाटे में चल रहा है इसलिए हमने मर्जर का प्रस्ताव दिया है.
MSE ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा है कि MCCIL का बिजनेस लगातार नीचे जा रहा है और MCCIL ने पिछले 3 सालों में इंटरऑपरेबिलिटी के तहत क्लियरिंग और सेटलमेंट बिजनेस से मुश्किल से 4.50 लाख की कमाई की है. MSE ने कहा कि दुख की बात ये है कि कारोबार नीचे चला गया, लेकिन MCCIL ने कभी भी किसी भी कॉस्ट रेशनलाइजेशन उपाय पर काम नहीं किया.
MSE ने कहा कि सब्सिडियरी के घाटे को देखते हुए विलय की बात उठाई गई थी. MSE ने MCCIL के पब्लिक इंट्रेस्ट डायरेक्टर्स (PIDs) के बयानों पर भी आपत्ति जताई है और कहा है कि एक पेरेंट और सब्सिडियरी के बीच प्राइवेट बातचीत को इस तरह से सामने लाना ठीक नहीं है.
विलय के खिलाफ है MCCIL
MCCIL का बोर्ड इस विलय के खिलाफ है. पूर्व ब्यूरोक्रेट और सीनियर टैक्स अधिकारियों वाले MCCIL के बोर्ड ने MSE से विलय के लिए एक बिजनेस प्लान और तर्क देने को कहा है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट में MCCIL ने दावा किया है कि वो मुनाफे में है और MSE के साथ विलय का औचित्य समझ में नहीं आता. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पब्लिक इंट्रेस्ट डायरेक्टर्स (PIDs), पूर्व IAS अधिकारी रीता मेनन और चार्टड अकाउंटेंट आलोक मित्तल ने विरोध में इस्तीफा दे दिया है.
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