कोरोना के प्रभाव को देखते हुए इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक अपनी होल्डिंग से बाहर निकलने की ओर बढ़ रहे हैं. वर्तमान होल्डिंग बेचने की कई और वजहें भी हैं. लेकिन ये ऐसा कदम साबित हो सकता है, जिससे आपकी लंबे समय की योजनाएं को झटका लग सकता है. पोर्टफोलियाे में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की लंबे समय तक भूमिका होती है, जो आने वाले सालों में आपके लिए पैसा बनाता है.
यही कारण है कि इनका उपयोग उन लक्ष्यों के लिए किया जाता है, जिनके लिए एक बड़ी बचत की आवश्यकता होती है और इसे पाने के लिए पर्याप्त समय भी होता है. इस तरह के फंड को जल्दबाजी में बेचना नुकसानदायक हो सकता है इसलिए यहां कुछ जरूरी कारण बताए जा रहे हैं, जिन वजहों से आप उन्हें बेच सकते हैं.
रोजमर्रा के खर्चों में कमी
ऐसा समय भी आ सकता है, जब कोई वित्तीय संकट हो, जैसा कोविड महामारी के आने के बाद आया. ऐसे लोग जिनकी अचानक से आय कम हो गई हो या बंद हो गई हो, उन लोगों को घर की जरूरतें पूरी करने या बकायों को भुगतान करने के लिए कुछ पैसों की जरूरत होती है. यह अपने इक्विटी फंड यूनिट्स को बेचने का सबसे वाजिब कारण है. वैसे अगर कुछ नकदी की कमी हो तो भी इसे अंतिम समाधान के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए ना कि सबसे पहले. निवेशकों को इसके बजाय दूसरे रास्ते तलाशने चाहिए, जैसे खर्चों में कमी और आय के दूसरे स्रोत ढूंढना. अगर इससे भी हल नहीं निकलता है तो यूनिट्स को बेचने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
बहुत अधिक लागत वाले ऋण का भुगतान करना
कर्ज चुकाने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने की वजह एकदम साफ है. प्रत्येक कर्ज में किश्तों के नियमित भुगतान की जरूरत होती है और साथ ही कर्ज पर दी जाने वाली ब्याज दर भी मायने रखती है. अधिक ब्याज दर चुकाना जैसे क्रेडिट कार्ड (हर साल 36% से 48% की ब्याज दर) एक बड़ा बोझ हो सकता है. इसकी संभावना नहीं है कि म्यूचुअल फंड निवेश में जो रिटर्न मिलेगा, वह इससे अधिक होगा, अगर ऐसा है तो ही कर्ज का भुगतान करने की बात समझ आती है. म्यूचुअल फंड कर्ज भुगतान की समस्या तो सुलझा सकते हैं, लेकिन इसकी कीमत भी चुकानी होगी, क्योंकि एक झटके में ये आपकी सारी बचत को भी साफ कर देगा.
रिस्क प्रोफाइल में बदलाव
अगर ऐसी कोई स्थिति है, जिसमें निवेशक का रिस्क प्रोफाइल बदल गया है, तो इससे निवेशक को उसके इक्विटी फंड यूनिट्स को बेचने का पर्याप्त कारण मिल जाता है. इसका मतलब यह है कि यदि व्यक्ति से संबंधित स्थितियां बदल गई हैं, जिससे वे अधिक जोखिम नहीं उठा सकता, तो इसके लिए उसके पोर्टफोलियो को कम जोखिम वाले निवेश के लिए संतुलित करना होगा. इसके लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने की जरूरत होगी और यह भी वाजिब कारण होगा.
तय लक्ष्यों को हासिल करना
स्थितियां अक्सर ऐसी होती हैं कि निवेशक जिस लक्ष्य को हािसल करना चाहता है, वहां तक पहुंच जाता है. ऐसा तब संभव होता है जब इक्विटी मार्केट ऊंचाई पर होता है और म्यूचुअल फंड की कीमतें बढ़ती हैं. अगर ऐसा होता है तो अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेशक और अधिक पैसा लगाएगा. अब यहां इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने का कारण सही है, लेकिन खराब वित्तीय हालातों में यह ठीक नहीं है. इस कारण से भविष्य में अपनी दौलत में इजाफा करने वाले निवेशकों के लिए निवेश को जारी रखना और कीमतों में गिरावट के कारण कम लागत पर भी यूनिट्स को जोड़ना बेहतर होगा.
(लेखक Moneyeduschool के संस्थापक हैं.)
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