11 सितंबर को शेयर मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने मल्टीकैप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) को लेकर एक अहम सर्कुलर जारी किया, जिसमें फंड मैनेजर्स को कहा गया कि वे अपने मल्टीकैप फंड में कम से कम 25% निवेश लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में करें.
लेकिन इसके बाद सेबी का सफाई के साथ रविवार को एक और सर्कुलर आया, जिसमें नय नियमों में ये राहत देते हुए कहा गया कि फंड मैनेजर्स अपनी मर्जी के मुताबिक फंड में बदलाव कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड ने इस सर्कुलर का स्वागत किया.
नए नियमों में सेबी ने क्या बदलाव किए?
निवेशकों को क्या अब क्या करना है कि ये जानने से पहले समझ लीजिए कि सरकार ने मल्टीकैप फंड के एसेट एलोकेशन को लेकर नियमों में क्या बदलाव किए हैं-
मल्टी कैप फंड को अपने कुल एसेट का कम से कम 75% हिस्सा इक्विटी से जुड़े टूल्स में निवेश करना होगा. इसके पहले नियम था कि 65% हिस्सा ही इक्विटी में निवेश करना होगा.
इक्विट में 75% वाले निवेश को इस तरह करना होगा कि लार्ज कैप कंपनियों में 25% निवेश हो, मिडकैप कंपनियों में 25% निवेश हो और स्मॉलकैप कंपनियों में 25% निवेश हो. फिलहाल म्यूचुअल फंड कंपनियों को अपने हिसाब से निवेश करने की छूट थी.
मार्केट कैपिटलाइजेशन में टॉप के 100 शेयरों को लार्ड कैप स्टॉक्स कहा जाता है. 101 से लेकर 250 नंबर तक के स्टॉक्स को मिडकैप स्टॉक्स कहा जाता है. बाकी बचे हुए स्टॉक्स को स्मॉलकैप स्टॉक्स कहा जाता है.
सेबी ने इन नियमों को लागू करने के लिए म्यूचुअल फंड हाउस को 31 जनवरी 2020 तक का वक्त दिया है.
अभी ज्यादातर फंड हाउस ने पोर्टफोलियो में लार्ज कैप शेयरों में 65-90% तक निवेश किया हुआ है. लेकिन अब ताजा नियमों के मुताबिक फंड हाउस लार्ज कैप के शेयरों में 50% से ज्यादा निवेश नहीं कर सकेंगे.
सेबी ने जारी किया नया नोटिफिकेशन
सेबी ने 13 सितंबर को अपने 11 सितंबर वाले सर्कुलर पर सफाई जारी करते हुए एक और सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा कि सेबी का कहना था कि 'जैसा कि मल्टीकैप फंड के नाम से पता चलता है कि इसमें तमाम कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियां शामिल होंगी. इसलिए इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियमों में बदलाव करना जरूरी था, जिससे कि उनकी नाम के मुताबिक पहचान बनी रही. हाल के दिनों में देखा गया है कि कुछ मल्टीकैप फंड में लार्ज कैप कंपनियों का हिस्सा करीब 80% तक है वहीं स्मॉलकैप कंपनियों में 0% निवेश है.'
नए सर्कुलर में सेबी ने इन नए नियमों को लागू करने के लिए कई ऑप्शन सुझाए हैं. पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने के अलावा भी सेबी ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को कई सारे ऑप्शन सुझाए हैं, जिससे वो नए नियमों को लागू करें.
यूनिट होल्डर्स को दूसरी स्कीम में स्विच करने की सुविधा दें.
मल्टीकैप स्कीम को लार्ज कैप स्कीम के साथ मर्ज करें.
मल्टीकैप स्कीम को किसी दूसरी तरह की स्कीम जैसे कि लार्ज कम मिड कैप में भी बदलने का विकल्प दें.
अब आती है सबसे अहम बात कि मल्टीकैप फंड में निवेश जिन्होंने किया हुआ है वे क्या करें. बता दें कि म्यूचुअल फंड कंपनियों के एसोसिएशन AMFI ने सेबी के इन नए नियमों का स्वागत किया है.
AMFI के चेयरमैन और कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने ट्विटर पर लिखा है कि
'रविवार को सेबी ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उसका स्वागत है. हम सेबी के नियमों का पालन करेंगे और हमारे निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा रिटर्न दिलाएंगे. निवेशकों के लिए यही सलाह है कि वो जल्दीबाजी में कोई भी फैसला न लें.नीलेश शाह
PPFAS म्यूचुअल फंड के CIO राजीव ठक्कर और पराग पारेख जैसे दिग्गजों ने भी कहा है कि निवेशक स्थिरता बनाए रखें. राजीव ठक्कर ने ट्विटर पर लिखा 'सब कुछ ठीक हो जाएगा. कोई त्वरित प्रतिक्रिया न दें.'
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