शेयर बाजार जिस तरह धड़ाम से गिरा था उतनी ही तेजी से रिकवरी भी हो गई. मार्च के निचले स्तर से बाजार 30 परसेंट ऊपर आ गया है. वो भी तब जब कोरोना का ना तो ठोस इलाज मिला है, ना ही आर्थिक रिकवरी के ठोस संकेत मिले हैं. ध्यान रहे कि कोरोना की वजह से ही बाजार इतनी तेजी से गिरा था.
ऐसे में क्या आपको भी लग रहा है कि अब तो बस छूट गई. पहले बाजार में एंट्री मारी होती तो बड़ा फायदा तो एक महीने में ही हो जाता. फिर मन में आ रहा होगा कि एंट्री ली और बाजार फिर से धड़ाम से गिरा तो. ऐसा सोचने वाले आप अकेले नहीं हैं. दरअसर बाजार में कब बॉटम बनता है और कब पीक, इसका अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है. शेयर की चाल कई बातों पर निर्भर करती है- कंपनी की अर्निंग क्या रहेगी, अर्थव्यवस्था की चाल कैसी होगी, फंड फ्लो कैसा होता है, खरीदने-बेचने वालों का मूड कैसा है. इन सारे फैक्टर्स का सही आकलन काफी मुश्किल होता है.
ऐसे में शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का कैसे फायदा उठाएं- एक SIP लीजिए और मस्त हो जाइए.
SIP काम कैसे करता है
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए एक खास अंतराल पर कम कम पैसा बाजार में लगाकर बड़ा पोर्टफोलियो बना सकते हैं. आप इसमें रोज, महीने में एक बार या तीन महीने में एक बार पैसा डाल सकते हैं. शुरूआती रकम 500 रुपए की भी हो सकती है.
चूंकि आपका पैसा एक अंतराल पर लगता है, इसीलिए आपकी औसत खरीद की कीमत शेयर के पीक प्राइस से कम होती है बॉटम प्राइस से ज्यादा. इसीलिए इसमें कमाई के मौके काफी अच्छे होते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो आपकी रिस्क थोड़ी कम होती है.
SIP के जरिए एवरेजिंग कैसे होती है
फर्ज कीजिए कि आपने 1000 रुपए प्रति शेयर के भाव से एचडीएफसी बैंक के 10 शेयर इस महीने खरीदे. अगले महीने बैंक के शेयर में गिरावट होती है और वो 900 रुपए पर आ जाती है. दूसरे महीने आपने उसी रकम यानी 10000 रुपए में 11 शेयर बैंक के और खरीद लिए. इस तरह आप की औसत खरीद की कीमत 952 रुपए के करीब हो जाती है.
यही अगर आप सालों तक करते रहते हैं तो आपके पास HDFC Bank का एक बड़ा पोर्टफोलियो बन जाता है. और औसत खरीद का भाव भी इस स्तर पर होता है कि उसमें मुनाफा कमाने की संभावना काफी बढ़ जाती है. यही SIP की खासियत भी है.
लेकिन सीधे शेयर या म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से तो बेहतर कमाई होगी
ये संभव है अगर ऐसा बुल मार्केट हो जहां शेयर की कीमतें महीनों तक लगातार बढ़ती ही जाती है. फर्ज कीजिए की आपने HDFC Bank के शेयर 700 रुपए में खरीदे और 1000 रुपए में बेच दिए. कमाई वाकई अच्छी होगी. लेकिन बाजार की चाल ऐसी शायद ही होती है. इसके अलावे, अच्छी कमाई के लिए के लिए शुरूआत में ही आपको बड़ी रकम डालनी होती है.
लेकिन SIP में आप तय अंतराल में छोटी-छोटी रकम डालते हैं. इससे रिस्क भी कम और बाजार के उठापठक का टेंशन भी कम.
तय यूनिट वाली स्कीम में पैसा डालें या तय रकम वाली
दोनों एक ही सिद्धांत पर काम करता है. तय यूनिट वाले तरीके में रेगुलर अंतराल पर आपको कम या ज्यादा पैसे लगाने पड़ सकते हैं जबकि तय रकम वाली स्कीम में आपकी निवेश की रकम फिस्क्ड होगी. आपको यह पहले तय करना होगा कि आप, उदाहरण के लिए, HDFC Bank के हर महीने 10 शेयर खरीदेंगे या फिर HDFC Bank के शेयर खरीद में हर महीने 10,000 रुपए लगाएंगे. दोनों में निवेश बढ़ने की रफ्तार समान ही होगी.
आपसे किस्त देने में चूक हुई तो
इसकी वजह से कोई पैनेल्टी नहीं लगेगा. हो सकता है कि 3 महीने तक आपने किस्त नहीं दी तो वो स्कीम आपका बंद हो जाए. लेकिन जितना निवेश हो गया है उस पर रिटर्न आपको मिलता रहेगा. और फिर से आपके पास निवेश के लिए रकम आ जाती है तो या तो आप उसी स्कीम को फिर से चालू कर सकते हैं या फिर नई स्कीम शुरू कर सकते हैं.
किन शेयरों का चुनाव करें
जैसा कि हम जानते हैं कि आपके पास ऑप्शन होता है कि आप चुनिंदा शेयर या म्यूचुअल फंड में SIP कर सकते हैं. लेकिन सवाल आएगा कि शेयरों का चुनाव कैसे करें. मेरे खयाल से उन कंपनियों के शेयर का चुनाव करें जिन्होंने काफी लंबे समय से शेयरधारकों को अच्छा रिटर्न दिया है. उनमें कुछ नाम इस तरह हैं- एचडीएफसी बैंक, आईटीसी, एचयूएल, एचडीएफसी, लार्सन एंड टुब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज. टीसीएस, इंफोसिस, बजाज फाइनेंस, मारुति. अर्थव्यवस्था की क्या चाल रहेगी, इस हिसाब से आप इनमें से कुछ शेयरों का चुनाव कर सकते हैं. इन नामों के अलावे भी कई कंपनियों ने शेयरधारकों का अच्छा रिटर्न दिया है.
ध्यान रहे कि SIP के जरिए पैसा लगाना कम रिस्की है. लेकिन शेयर बाजार में सारे निवेश में रिस्क तो होते ही हैं.
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