रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कुछ महीने पहले 'पॉजिटिव पे सिस्टम' का ऐलान किया था. इस नए नियम के तहत 50,000 रुपये से ज्यादा का पेमेंट करने के लिए कुछ मुख्य जानकारी की दोबारा पुष्टि करने की जरूरत होगी.
'पॉजिटिव पे' एक फ्रॉड डिटेक्शन टूल की तरह काम करता है. फ्रॉड पकड़ने के लिए ये टूल क्लियर करने के लिए दिए गए चेक से संबंधित कुछ विशेष जानकारी मैच करता है. ये जानकारियां होती हैं- चेक नंबर, चेक डेट, पेयी का नाम, अकाउंट नंबर, अमाउंट और बाकी वो सभी जानकारी जो चेक जारी करने वाले ने पहले के चेक में दी होंगी.
चेक पेमेंट के ये नए नियम 1 जनवरी 2021 से प्रभाव में आ जाएंगे. उससे पहले इससे संबंधित सब कुछ यहां जान लीजिए:
- इस प्रक्रिया के तहत चेक जारी करने वाला शख्स कुछ न्यूनतम जानकारी जैसे कि चेक डेट, बेनिफिशियरी/पेयी का नाम, अमाउंट ड्रॉई बैंक को देगा. ये जानकारी बैंक को SMS, मोबाइल ऐप, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम जैसे माध्यमों से दी जा सकेगी.
- नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) में पॉजिटिव पे की फैसिलिटी डेवलप करेगा और बैंकों के लिए उपलब्ध कराएगा. बैंक इस फैसिलिटी को सभी खाताधारकों के लिए इनेबल करेगा, जो 50000 या उससे ज्यादा के चेक जारी करना चाहते हैं.
- खाताधारक जो जानकारी देगा, उसे बैंक का सिस्टम पॉजिटिव पे के सेंट्रालाइज्ड डेटा सिस्टम में अपलोड करेगा. जब बैंक के पास चेक आएगा तो वो जानकारी को सेंट्रल डेटाबेस से वेरिफाई करेगा और अगर चेक पर दी गई जानकारी खाताधारक की तरफ से दी गई जानकारी से मैच होती है, तो पेमेंट हो जाएगा. अगर जानकारी मैच नहीं होगी, तो बैंक चेक को रिजेक्ट कर देगा.
- हालांकि, इस फैसिलिटी को लेना खाताधारक पर निर्भर करेगा, लेकिन बैंक 5,00,000 या उससे ज्यादा के चेक के मामले में इसे अनिवार्य करने पर विचार कर सकते हैं.
- RBI ने बैंकों को सलाह दी है कि SMS अलर्ट, ब्रांचों में डिस्प्ले, एटीएम, वेबसाइट और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए वो अपने कस्टमर्स के बीच पॉजिटिव पे सिस्टम के फीचर को लेकर जागरुकता फैलाएं.
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