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टैक्‍स बचाने के लिए किस तरह की स्‍कीमों में करें निवेश

अगर आपने अभी तक वित्त वर्ष 2016-17 की टैक्स प्लानिंग नहीं की है, तो आपके पास तीन महीने का समय अभी भी बचा है.

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नया साल अपने साथ नई उमंग, नए सपने और नई खुशियां लेकर आया है. आपने भी नए साल में कई सपने संजोए होंगे. लेकिन इन खुशियों के रंग आगे फीके न पड़ें, इसकी तैयारी भी करनी जरूरी है.

जनवरी आने के साथ ही पुराने वित्त वर्ष के जाने की आहट भी मिल जाती है, और जो लोग सैलरीड हैं, उनका एचआर विभाग टैक्स बचत के सबूत मांगना शुरू कर देता है.

अगर आपने अभी तक वित्त वर्ष 2016-17 की टैक्स प्लानिंग नहीं की है, तो आपके पास इसके लिए करीब तीन महीने का समय अभी भी बचा है.

लेकिन जरा ठहरिए, टैक्स बचाने की हड़बड़ी में कहीं आप ऐसी निवेश या बचत स्कीमों में न उलझ जाएं, जिनकी आपको कोई जरूरत ही नहीं है. हम आपको बताते हैं कि आप अगले तीन महीने में अपनी पर्फेक्ट टैक्स प्लानिंग कैसे कर सकते हैं.

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इसे जरा ध्यान से समझें

सबसे पहले तो आपको ये जानना जरूरी है कि आपको कहां-कहां निवेश करने पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है और आपका अब तक का निवेश कितना हो चुका है. मसलन टैक्स बचत के लिए आपके पास सेक्शन 80 सी, 80 सीसीडी और 80 डी जैसे मुख्य विकल्प हैं.

सेक्शन 80 सी

  • सेक्शन 80 सी में आपको न सिर्फ निवेश करने पर टैक्स छूट मिलती है, बल्कि कई तरह के खर्च भी इसमें शामिल होते हैं.
  • तो आपको पहले ये गणना करनी पड़ेगी कि आपको वास्तव में अगले तीन महीने में टैक्स बचत के लिए कितना निवेश करना जरूरी है.
  • सैलरीड हैं, तो आपकी कंपनी आपकी सैलरी से पीएफ की जो रकम काटती है, वो टैक्स छूट के दायरे में आती है.
  • इसकी गणना कर लें कि पूरे वित्त वर्ष में आपका पीएफ कंट्रीब्यूशन कितना हो जाएगा.
  • इसके अलावा अगर आपके बच्चे हैं और वो स्कूल जाते हैं तो उनकी ट्यूशन फीस पर आपका सालाना खर्च भी आपको सेक्शन 80 सी में टैक्स छूट दिलाएगा. इस रकम को भी आप अपने पीएफ कंट्रीब्यूशन की रकम में जोड़ें.
  • और अगर आपने पहले से कोई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है, तो उसका प्रीमियम भी आप इसमें जोड़ें.
  • ये कुल रकम अगर डेढ़ लाख से कम है, तभी आपको किसी और टैक्स प्लानिंग इन्वेस्टमेंट की जरूरत होगी.

ये सारे हिसाब लगाने के बाद अगर आपको निवेश की जरूरत महसूस होती है तो आपके पास 80 सी के दायरे में ढेरों विकल्प हैं.

इनमें से आप वही स्कीम चुनें, जिसकी आपको वाकई में जरूरत हो. आम तौर पर लोग सबसे पहले इंश्योरेंस पॉलिसीज खरीद लेते हैं, लेकिन याद रखिए कि ढेरों इंश्योरेंस पॉलिसी से आपकी टैक्स बचत तो हो सकती है, लेकिन आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बेहद कमजोर रहेगा.

इंश्योरेंस पॉलिसी का मकसद रिस्क कवरेज होना चाहिए, निवेश नहीं. निवेश के लिए आप पीपीएफ, ईएलएसएस या एनपीएस चुनें.

एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम में आप चाहें तो 80 सी की डेढ़ लाख की लिमिट के अलावा 50 हजार का अतिरिक्त टैक्स फ्री इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. मिसाल के लिए अगर आपको 80 सी के दूसरे मदों में निवेश और खर्च की छूट का फायदा 1.20 लाख है, तो आप एनपीएस में 80 हजार का निवेश कर सकते हैं. इसमें से 30 हजार की छूट आपको 80 सी के तहत और बचे 50 हजार की छूट आपको 80 सीसीडी के तहत मिलेगी.

इसके अलावा अगर आप मेडिकल इंश्योरेंस लेना चाहते हैं, तो आप 55,000 रुपये तक का टैक्स और बचा सकते हैं.

तो अब देर मत कीजिए, अपने इन्वेस्टमेंट का हिसाब-किताब निकालिए और टैक्स प्लानिंग शुरू कर दीजिए. हो सकता है कि आपने अब तक जितना टैक्स भरा है, उसमें से कुछ रकम आप टैक्स रिटर्न भरते वक्त रिफंड के रूप में क्लेम कर सकें. और हां, अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से ही टैक्स प्लानिंग का मन अभी से पक्का कर लीजिए, फिर आप न सिर्फ अंतिम महीनों की भागदौड़ से बचेंगे, बल्कि हर महीने टैक्स भी कम देना होगा.

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