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निफ्टी@10,000: कैसे कुछ शेयरों ने कई करोड़पति बनाए

Nifty 50 का 10 हजार का आंकड़ा छूना बस एक सलामी है कामयाबी की अनगिनत कहानियों को.

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निफ्टी-50 का 10 हजार के पार जाना एक ऐतिहासिक तथ्य है, लेकिन इस तथ्य का आपके और हमारे लिए क्या मतलब है, खासकर तब, जब हम शेयर बाजार को समझते न हों. 1996 में लॉन्च हुए निफ्टी-50 का आधार मूल्य या बेस प्राइस 1000 था और अब 21 साल बाद ये 10 हजार है, यानी 10 गुना.

शुरुआत से अब तक निफ्टी-50 इंडेक्स का सालाना रिटर्न आता है 11.2% जो पहली नजर में प्रभावशाली तो बिलकुल नहीं लगता. लेकिन इसी निफ्टी-50 के कई शेयर ऐसे हैं, जिन्होंने इतना मोटा मुनाफा दिया है कि आप कल्पना तक नहीं कर सकते. कुछ ऐसे भी रहे हैं, जिनमें किया गया निवेश आज मिट्टी के मोल भी नहीं है.

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इन शेयरों के बारे में आपको बताएं, उसके पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि निफ्टी-50 देश की सर्वश्रेष्ठ 50 ब्लूचिप कंपनियों का परफॉर्मेंस बताता है. इन कंपनियों के परफॉर्मेंस के आधार पर ही निफ्टी-50 की सूची में इनका नाम आना तय होता है.

1996 में शुरू हुए निफ्टी-50 में जो 50 कंपनियां थीं, उनमें से आज सिर्फ 15 कंपनियां ही 21 साल के सफर में कामयाबी के साथ टिकी रही हैं.

Nifty 50 का 10 हजार का आंकड़ा छूना बस एक सलामी है कामयाबी की अनगिनत कहानियों को.

इन 15 कंपनियों के अलावा निफ्टी-50 की बची 35 कंपनियां पिछले 21 सालों के दौरान अलग-अलग समय पर इसमें शामिल हुई हैं. साथ ही निफ्टी-50 में जिन कंपनियों का वेटेज सबसे ज्यादा था, उनमें भी लगातार बदलाव आते रहे हैं.

मिसाल के लिए, शुरुआत में तीन सबसे ज्यादा वेटेज वाली कंपनियां थीं एसबीआई, हिंदुस्तान यूनिलीवर और रिलायंस इंडस्ट्रीज. 2005 में एसबीआई और हिंदुस्तान यूनिलीवर की जगह ओएनजीसी और टीसीएस ने ले ली. आज तीन सबसे ज्यादा वेटेज वाली कंपनियों में इनमें से कोई नहीं है, ये हैं एचडीएफसी बैंक, आईटीसी और एचडीएफसी.

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Nifty 50 का 10 हजार का आंकड़ा छूना बस एक सलामी है कामयाबी की अनगिनत कहानियों को.
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निफ्टी के 21 सालों के सफर में कई ऐसी कंपनियां इसमें शामिल हुईं, जिनकी गिनती एक वक्त पर मोस्ट एक्टिव शेयरों में होती थी और आज उनका कोई नामलेवा तक नहीं है. साल 2000-2001 की डार्लिंग कंपनियां हिमाचल फ्यूचरिस्टिक, ग्लोबल टेलीसिस्टम्स और डीएसक्यू सॉफ्टवेयर का तो शायद आपने नाम भी सुना नहीं होगा.

इसी तरह 2007-08 की टॉप 5 कंपनियों में शामिल रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज और रिलायंस पेट्रोलियम अब अतीत का हिस्सा भर हैं. इन 21 सालों में निफ्टी के स्ट्रक्चर में भी काफी बदलाव आया है. शुरुआत में आईटी सेक्टर का कोई प्रतिनिधित्व निफ्टी-50 में नहीं था, आज इंडेक्स में इसका वेटेज 11.6% है. सबसे ज्यादा वेटेज 35% फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर का है.

इंडिविजुअल शेयरों की बात करें, तो निफ्टी के कई ऐसे शेयर हैं, जिन्होंने सही मायने में वेल्थ क्रिएशन का काम किया है. अगर ऐसी सर्वश्रेष्ठ पांच कंपनियां चुनी जाएं, तो इनमें नाम आएगा आयशर मोटर्स, कोटक महिंद्रा बैंक, ल्यूपिन, इंडसइंड बैंक और बॉश का. आयशर मोटर्स का शेयर सितंबर 2001 में करीब 20 रुपये का था, आज इसकी कीमत है करीब साढ़े अट्ठाइस हजार. जी हां, आपने सही सुना. अगर आपने 2001 में आयशर मोटर्स के शेयरों में 50,000 रुपये लगाए होते, तो आज आपके पास होते करीब 8 करोड़ रुपये के शेयर.

इसी तरह कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर की कीमत सितंबर 2001 में थी 2 रुपये और आज ये शेयर करीब 1000 रुपये का है.

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Nifty 50 का 10 हजार का आंकड़ा छूना बस एक सलामी है कामयाबी की अनगिनत कहानियों को.

ल्यूपिन, इंडसइंड बैंक और बॉश ने भी अपने निवेशकों को जमकर कमाई कराई है. ये लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती. शेयर बाजार में कामयाबी की ऐसी ढेरों कहानियां मौजूद हैं.

निफ्टी-50 का दस हजार का आंकड़ा छूना बस एक सलामी है कामयाबी की उन कहानियों को, जिनकी पहचान अगर आपने सही समय पर कर ली, तो फिर धनकुबेर बनने से आपको कोई नहीं रोक सकता.

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