सरकार जहां एक तरफ लोगों को ऑनलाइन और 'डिजिटल इंडिया' के लिए प्रोत्साहित कर रही है. वहीं बैंकिंग सेक्टर में अब भी लोग बैंक शाखाओं को ही ज्यादा अहमियत दे रहे हैं. पिछले 12 महीनों में 94% से ज्यादा रिटेल कस्टमर्स ने कम से कम एक बार अपने बैंक की शाखा का दौरा जरूर किया है.
ऑरेकल जे.डी.पॉवर इंडिया, 'रिटेल बैंकिंग स्टडी' से ये जानकारी मिली. इसके मुताबिक, नोटबंदी के समय प्रोत्साहन के बावजूद डिजिटल बैंकिंग अभी भी भारत में बड़े पैमाने पर शुरू नहीं हुई है.
अमेरिका की ग्लोबल मार्केटिंग सर्विस कंपनी जे.डी. पॉवर के प्रेसिडेंट गॉडर्न शील्ड्स का कहना है,
ज्यादातर बैंकिंग रिश्ते अभी भी शाखाओं से ही शुरू होते हैं और वहीं से जारी रहते हैं. हालांकि बैंकों को डिजिटल सेक्टर में जाने की अभी और अधिक क्षमता है. केवल 51% रिटेल बैंकिंग कस्टमर्स का अपने बैंक के साथ एक विश्वसनीय ऑनलाइन अनुभव है.
शील्ड्स ने आगे कहा, "वास्तव में भारत में बैंकों को लेकर ओवरऑल कस्टमर सेटिसफेक्शन सिर्फ 672 अंक है, वहीं चीन में ये 806, अमेरिका में 793 और ऑस्ट्रेलिया में 748 अंक है.''
ओरेकल के एपीएसी लीडर किर कुमार केशवारापु का कहना है कि, ‘’हमारा मानना है कि ये मुद्दा कस्टमर आदान-प्रदान मॉडल का है. भारतीय बैकों के कस्टमर्स को ऑनलाइन लेनदेन करते समय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं होती हैं, जिसे आसानी से दूर किया जा सकता है."
इस स्टडी में एक और बात सामने आई है कि ओवरऑल सेटिसफेक्शन के मामले में प्राइवेट बैंक, पब्लिक बैंक से आगे हैं. इस मामले में जहां प्राइवेट बैंक को 680 की रेटिंग दी गई है वहीं पब्लिक बैंक को 666 की रेटिंग हासिल हुई है.
(इनपुट: IANS)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)