पिछले महीने सरकार ने 11 लाख से ज्यादा पैन नंबर (पर्मानेंट अकाउंट नंबर) को रद्द किया था. इनकम टैक्स का सूत्रों के मुताबिक, वो सभी पैन कार्ड डुप्लीकेट थे और उनका इस्तेमाल शेयर मार्केट में ट्रेडिग के लिए होता था. ये ही नहीं, फर्जी कंपनियों के लेनदेन में इन कार्ड्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था.
अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पाया है कि एक ही आदमी के पास करीब 5 से 7 पैन कार्ड मिले थे और हर एक कार्ड में नाम की स्पेलिंग थोड़ी सी अलग है. इनमें ज्यादातर लोग वो हैं जो छोटे-बड़े स्टॉक ब्रोकर हैं, सब-ब्रोकर हैं या फिर उनके क्लाइंट हैं.
इनकम टैक्स के एक अधिकारी के मुताबिक, जिन लोगों के पैन कार्ड डीएक्टिवेट किए गए थे वो अलग-अलग कार्ड के जरिए टैक्स की चोरी करते थे. जैसे एक कार्ड से वो टैक्स रिटर्न भरते थे तो दूसरे से वो बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन और लेनदेन करते थे.
सूत्रों के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने डाटा एनालिटिक्स के जरिए उन कार्ड्स का पता लगाया जिनपर पता, मोबाइल नंबर और ईमेल एक जैसा था. ये प्रकिया नोटबंदी के बाद से चल रही है जिसके तहत टैक्स डिपार्टमेंट बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के जरिए डाटाबेस चैक रहे हैं और फर्जी पैन कार्ड्स को पकड़ रहे हैं.
अबतक करीब 25 करोड़ पैन कार्ड अलॉट हो चुके हैं लेकिन उनमें से 5 करोड़ 20 लाख लोग ही टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, इसलिए सरकार पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने के बारे में सोच रहे हैं. सरकार ने 50 हजार से ज्यादा ट्रांजेक्शन और टैक्स भरने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है ताकि डुप्लीकेट पैन कार्ड्स पकड़े जा सकें.
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