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मोदी जी ने कहा कैशलेस करो पर सिस्टम में कैश 1.25 लाख करोड़ बढ़ गया

नोटबंदी के बाद अब तक कैश करीब 18 महीनों में 1.25 लाख करोड़ की बढ़ोतरी

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रिजर्व बैंक के आंकड़ों ने नकदी पर चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है. नोटबंदी के वक्त सिस्टम को कैशलेस बनाने का वादा हुआ था. लेकिन रिजर्व बैंक के मुताबिक डेढ़ साल में सिस्टम में कैश 1.25 लाख करोड़ बढ़ गया है.

जरा फ्लैशबैक में चलते हैं साल 2016 नवंबर में जब नोटबंदी का ऐलान हुआ था तो सिस्टम में 17 लाख करोड़ रुपए कैश था. नोटबंदी के वक्त सरकार ने ऐलान किया कि सोसाइटी को कैशलेस की तरफ ले जाएंगे. इसी चक्कर में पीएम मोदी ने खुद बढ़ चढ़कर एक के बाद एक कई कार्यक्रमों और रैलियों में कैशलेस की वकालत की. केंद्र और राज्य सरकारों ने अभियान शुरू की.

भीम एप लॉन्च किया गया, डिजिटल ट्रांजैक्शन के बारे में बड़े-बड़े अभियान शुरु हुए. सरकारी विभागों को तमाम ट्रांजैक्शन डिजिटल करने के आदेश दिए गए फिर भी सिस्टम में कैश बढ़ता गया.

रिजर्व बैंक की अप्रैल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक अब सिस्टम में कैश बढ़कर 18.25 लाख करोड़ रुपए हो गया है. यानी नोटबंदी के बाद अब तक करीब 18 महीनों में 1.25 लाख करोड़ की बढ़ोतरी.

कैश पर भरोसा बढ़ता जा रहा

आंकड़ों के साथ साथ हकीकत यही है कि सिस्टम में कैश ट्रांजैक्शन बढ़ता जा रहा है. हाल के दिनों में कई राज्यों में एटीएम का खाली होना इसका प्रमाण है. हालत तो ये तक हो गए थे कि कई बैंक ब्रांच में कैश की कमी हो गई और रिजर्व बैंक को सामने आकर भरोसा देना पड़ा.

सरकार का 2017-18 में 25 अरब डिजिटल ट्रांजैक्शन का लक्ष्य था, लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय साल के पहले 10 महीनों में सिर्फ 55 फीसदी ही ट्रांजैक्शन हो पाया है यानी आधे से कुछ अधिक.

इतने के बाद भी कैशलेस नहीं

भारत के 80 फीसदी लोगों के पास जनधन बैंक अकाउंट हैं. सरकार की सब्सिडी सीधे बैंक खातों में जा रही है. रिजर्व बैंक के मुताबिक मार्ट 2017 से मार्च 2018 के बीच करीब 77 लाख क्रेडिट कार्ड और 62 लाख नए डेबिट कार्ड बने. अभी देश में 3.75 करोड़ क्रेडिट कार्ड और 86.1 करोड़ डेबिट कार्ड हैं.

इतना सब होने के बाद भी सिस्टम में नकदी का बढ़ना यही दिखाता है कि कैशलेस सिस्टम की सरकार की कोशिशें खास कामयाब नहीं रही हैं, और अभी भी कैश ही किंग है.

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