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2008 की मंदी को पहचानने वाले राजन ने कहा,हालात इस बार भी बेहद खराब

रघुरामन राजन ने कहा देश में इक्का-दुक्का सुधारों से काम नहीं चलने वाला है, नए तरीके के सुधार चाहिए

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आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश में स्लोडाउन भारी चिंता की बात है. सरकार को जल्द से जल्द बिजली और एनबीएफसी सेक्टर के संकट से निपटना होगा और प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए सुधार लागू करने होंगे

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राजन ने भी जीडीपी कैलकुलेशन पर उठाए सवाल

राजन ने सरकार के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट अरविंद सुब्रममण्यम की इकनॉमी ग्रोथ रेट से जुड़ी रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि देश में जिस तरह से जीडीपी की गणना की जा रही है उसे नए सिरे से देखना होगा. CNBCTV के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के कई विश्लेषकों ने ग्रोथ का अनुमान सरकार के अनुमान से कम लगाया है. मेरा मानना है कि स्लोडाउन बेहद चिंताजनक है.

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‘इक्का-दुक्का सुधारों से काम नहीं चलने वाला’

दरअसल राजन दो दशक में ऑटो सेक्टर की सबसे कम ग्रोथ और इसमें काम कर रहे लोगों की छंटनी, भारी संख्या में अनबिके मकानों और एफएमसीजी सेक्टर में मांग की कमी से पैदा खराब हालात की ओर इशारा कर रहे थे. राजन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को नए तरह के सुधारों की जरूरत है. सिर्फ इक्का-दुक्का बड़े कदम से काम नहीं चलने वाला है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेना सुधार नहीं बल्कि एक चतुराई भरा कदम है.

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राजन ने कहा कि देश की जीडीपी को और दो-तीन फीसदी बढ़ाने के लिए हमें नए तरीके से सोचना होगा और नए सुधारों को लागू करना होगा. प्राइवेट सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए नए कदम उठाने होंगे. अर्थव्यवस्था को अलग-अलग तरीके से राहत पैकेज का कोई फायदा नहीं होने वाला है.
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दुनिया में एक और बड़ी मंदी की आशंका के सवाल पर राजन ने कहा कि वह इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते. लेकिन इस बार अगर यह आई तो अलग सोर्स से आएगी. गौरतलब है कि 2008 का वित्तीय संकट हाउसिंग लोन के बोझ से चरमराए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की वजह से आए थे.

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