साल 2019-20 में 1 लाख या उससे ज्यादा के लोन में बैंक फ्रॉड 2018-19 की तुलना में दुगने से भी ज्यादा हो गए हैं. वैल्यू टर्म के मामले में फ्रॉड 71,543 करोड़ से बढ़कर 1.85 ट्रिलियन हो गए हैं. ये 159 फीसदी की बढ़त है. वहीं, वॉल्यूम टर्म में टोटल फ्रॉड के मामलों में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई. 2018-19 में 6,799 फ्रॉड की तुलना में ये 2019-20 में 8,707 पहुंच गए. ये सब जानकारी RBI की साल 2019-20 के लिए जारी की गई सालाना रिपोर्ट में दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया कि फ्रॉड के मामलों की तादाद और अमाउंट में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ये फ्रॉड पिछले कई सालों में हुए हैं. रिपोर्ट में बताया गया, "फ्रॉड ज्यादातर लोन पोर्टफोलियो (एडवांसेस केटेगरी) में हो रहे हैं."
कुल फ्रॉड अमाउंट में 80 फीसदी पब्लिक सेक्टर बैंकों का
RBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि टॉप 50 क्रेडिट-संबंधी फ्रॉड 2019-20 में हुए कुल फ्रॉड के अमाउंट का 76 फीसदी बनाते हैं. हालांकि, इस साल में बैंक फ्रॉड वैल्यू और वॉल्यूम के टर्म में बढ़े हैं, लेकिन फिर भी अप्रैल-जून 2020 के बीच पिछले साल इसी समय की तुलना में कम फ्रॉड देखे गए. पिछले साल अप्रैल-जून के बीच 2,024 फ्रॉड हुए, जिनका अमाउंट 42, 228 करोड़ होता है. वहीं, इस साल अप्रैल-जून के बीच 28,843 करोड़ के 1,558 फ्रॉड देखे गए.
2019-20 में रिपोर्ट किए गए कुल फ्रॉड अमाउंट का 80 फीसदी पब्लिक सेक्टर बैंकों का है. प्राइवेट बैंकों का 18.4 फीसदी हिस्सा है.
इसके अलावा RBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस दिन फ्रॉड हुआ और जिस दिन बैंकों या वित्तीय संस्थानों ने उसका पता लगाया, इसके बीच का समय 2019-20 में 24 महीने का रहा. लेकिन ये समय उन मामलों में और भी ज्यादा है, जहां बहुत बड़ा अमाउंट फ्रॉड में शामिल है.
'2019-20 में नहीं छापे गए 2000 रुपये के नोट'
RBI ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि साल 2019-20 में 2000 रुपये के नोट नहीं छापे गए और साल दर साल इनके सर्कुलेशन में कमी आई है. रिपोर्ट में कहा गया, "मार्च 2018 के अंत में सर्कुलेशन में रहे 33,632 लाख 2000 रुपये के नोट, मार्च 2019 के अंत तक 32,910 लाख रह गए थे. और फिर मार्च 2020 के अंत में ये 27,398 लाख पर पहुंच गए."
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