रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 5 दिसंबर को अपनी क्रेडिट पॉलिसी जारी करेगा. आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी पर बैठक बीते तीन दिनों से जारी है. उम्मीद है आरबीआई लगातार छठी बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. बता दें कि अभी रेपो रेट 5.15 है.
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के किए गए पोल में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद है. अगर इतनी ही कटौती होती है तो रेपो रेट जो अभी 5.15 परसेंट है वो घटकर 4.9 परसेंट पर आ जाएगा. खास बात ये है कि अगर ये कटौती होती है तो ये 2008 में आई मंदी के बाद ब्याज दरों का सबसे निचला स्तर होगा.
ग्रोथ की खस्ता हालत के चलते कटौती जरूरी
दूसरी तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है और ये ग्रोथ में 6 साल की सबसे बड़ी गिरावट है. जुलाई-सितंबर के ये आंकड़े पहली तिमाही की जीडीपी से भी कम रहे हैं. पहली तिमाही में जीडीपी पांच फीसदी दर्ज की गई थी. साफ है आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. पिछले सालों में इस तरह की कमजोरी देखने नहीं मिली थी.
हालांकि पिछले दिनों सब्जियों खासतौर पर प्याज की महंगाई के चलते हेडलाइन महंगाई 4 परसेंट के पार चला गया है. ये आरबीआई के लिए चिंता की बात है. लेकिन फिर भी ग्रोथ में सुस्ती को देखते हुए RBI खासी कटौती कर सकता है.
दिग्गजों को RBI से क्या है उम्मीद
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि महंगाई नीचे बनी हुई है और अर्थव्यवस्था की क्षमता को देखते हुए इसके नीचे ही बने रहने की उम्मीद है. इसलिए आरबीआई के पास नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है.
वहीं मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा-
“हमें आशंका है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बेहतर ग्रोथ देखने को नहीं मिले. त्योहारी महीना होने के बावजूद अहम इंडेक्स में अक्टूबर में गिरावट का रुख रहा. हमें लगता है कि आर्थिक वृद्धि दर तीसरी तिमाही में घटकर 4 प्रतिशत के करीब आ सकती है.”
एक बैंकर ने पहचान उजागर नहीं करते हुए पीटीआई को बताया कि आरबीआई गवर्नर ने पिछले दिनों कहा था कि जब तक ग्रोथ में सुधार नहीं होता तब तक ब्याज दरों में कटौती की जाएगी. इससे इस बात की संभावना है कि तीन दिसंबर से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर घटाई जा सकती है.
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