रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर दिया. इसमें रेपो रेट 6.25 फीसदी पर बरकरार रखी गई है.
आरबीआई के मुताबिक, SLR 20.5 फीसदी से घटकर 20 फीसदी हो गई है.
रिजर्व बैंक ने 2017-18 की पहली छमाही के लिए मुद्रास्फीति 2 से 3.5 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया. वहीं आरबीआई ने यह भी कहा कि महंगाई दर पर जीएसटी के असर की संभावना नहीं है.
किसानों की कर्जमाफी की होड़ से बढ़ेगी महंगाई
रिजर्व बैंक ने आगाह किया है कि किसानों की कर्जमाफी की होड़ से वित्तीय बोझ तो बढ़ेगा ही, महंगाई भी बढ़ने का जोखिम है.
अप्रैल में भी रेट में नहीं हुआ था बदलाव
आरबीआई ने अप्रैल में रेपो दर या अल्पकालिक ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 6.25 फीसदी पर रखा था. तब आरबीआई ने कहा था, "मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का लक्ष्य मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को 4 फीसदी रखना है, जबकि विकास को भी बढ़ावा देना है."
आरबीआई ने ये किए थे पिछले बदलाव
- पिछले साल अक्टूबर में पॉलिसी रेट में 0.25 % घटाए
- इस साल अप्रैल में रिवर्स रेपो रेट में 0.25 % बढ़ाए
आरबीआई ने इस वित्तीय वर्ष (2017-18) में मुद्रास्फीति कम रहने का अनुमान लगाया है.
नवंबर, 2016 से बाद मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे रही है. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) चाहेगी कि इस वह अपने वायदे पर कायम रहे और उसकी मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के आसपास ही रहे.
क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट: रेपो रेट वह दर होती है, जिसपर बैंको को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं.
रिवर्स रेपो रेट: यह वह दर होती है, जिसपर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है.
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