स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद अब आईसीआईसीआई बैंक के भी सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर में कटौती ने साफ कर दिया है कि ब्याज दरों में और गिरावट आने वाली है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने 31 जुलाई को घोषणा की थी कि वो एक करोड़ से कम के सेविंग्स अकाउंट डिपॉजिट पर अब 4 फीसदी के बजाय 3.5 फीसदी ब्याज देगी.
हालांकि एक करोड़ से ज्यादा के डिपॉजिट पर 4 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा. एसबीआई की इस घोषणा के अगले ही दिन सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने भी सेविंग्स डिपॉजिट पर ब्याज दर घटाने का एलान कर दिया. हालांकि आईसीआईसीआई बैंक ने ये कटौती 25 बेसिस प्वॉइंट यानी चौथाई परसेंट की है, और ये कटौती उन्हीं सेविंग्स अकाउंट पर लागू होगी जिनमें एक करोड़ रुपए से ज्यादा का डिपॉजिट होगा.
भले ही दोनों दिग्गज बैंकों ने ये कटौती अपनी बैलेंस शीट मजबूत करने के मकसद से की हो, ये तो साफ है कि डिपॉजिट पर ब्याज दरें घटाने का फैसला दूसरे बैंक भी आने वाले दिनों में करेंगे. एसबीआई के पास जितनी रकम सेविंग्स अकाउंट में है, उसका करीब 90 फीसदी एक करोड़ से कम वाले डिपॉजिट हैं. जानकारों के मुताबिक इस कटौती के बाद एसबीआई सालाना 4,230 करोड़ रुपए की बचत कर लेगा.
आईसीआईसीआई बैंक की बात करें तो मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक के CASA (करेंट अकाउंट और सेविंग्स अकाउंट) डिपॉजिट में 24 फीसदी की बढ़त आई है. बैंक का CASA डिपॉजिट 2.38 लाख करोड़ रुपए है. जाहिर है आईसीआईसी बैंक को भी सेविंग्स अकाउंट में ब्याज दर घटाने से अपना मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अक्टूबर 2011 में रिजर्व बैंक के सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर को डिरेगुलेट करने के बाद ये पहली बार है जब बैंकों ने बचत खाते पर ब्याज दर घटाने की शुरुआत की है. फिलहाल ज्यादातर बैंक सेविंग्स अकाउंट पर 4 फीसदी ब्याज देते हैं, वहीं कई छोटे बैंक हैं जो इससे ज्यादा ब्याज का फायदा अपने ग्राहकों को दे रहे हैं.
बैंक जब डिपॉजिट रेट घटाते हैं तो इसके बाद लेंडिंग रेट भी कम होने की संभावना बन जाती है. इसके संकेत तब और मजबूत हो गए, जब कोटक महिंद्रा बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक ने एक साल के लिए एमसीएलआर में कटौती का एलान कर दिया.
हालांकि दोनों बैंकों ने एमसीएलआर में मामूली शून्य दशमलव शून्य पांच परसेंट (0.05%) की कटौती ही की है, लेकिन रिजर्व बैंक की क्रेडिट पॉलिसी के बाद ये कटौती और बढ़ सकती है. मुमकिन है कि अगले एक-दो दिनों में ही हमें बड़े बैंकों की तरफ से कर्ज सस्ता होने का एलान सुनने को मिले.
तो अगर आप डिपॉजिटर हैं तो ये आपके लिए अच्छी खबर भले ना हो, अगर आपने कोई लोन ले रखा है या लेने की सोच रहे हैं, तो आपके ऊपर ईएमआई का बोझ घटना तय है.
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