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'रिलायंस-फ्यूचर डील' को अमेजन ने दी कोर्ट में चुनौती,क्या है पेंच?

अमेजॉन का आरोप है कि फ्यूचर ग्रुप ने कंपनी के साथ कॉन्ट्रेक्ट के नियमों का उल्लंघन किया है.

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अमेजन (Amazon) ने रिलायंस-फ्यूचर डील को लेकर फ्यूचर ग्रुप पर सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्राज सेंटर में केस दर्ज कराया है. इस मामले से जुड़े दो लोगों ने ये जानकारी ब्लूमबर्ग क्विंट को दी है. US की ई-कॉमर्स कंपनी ने अपने भारत स्थित पार्टनर फ्यूचर ग्रुप पर कानूनी नोटिस भेजा है और आरोप लगाया है कि फ्यूचर ग्रुप (Future Group) ने रिलायंस के साथ डील करके कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन किया है.

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बता दें कि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट की सब्सिडियरी रिलायंस रिटेल और किशोर बियानी के नेतृत्व वाली फ्यूचर ग्रुप के बीच अगस्त में 27,513 करोड़ रुपये की डील हुई थी. इसी डील को लेकर अमेजॉन का आरोप है कि फ्यूचर ग्रुप ने कंपनी के साथ कॉन्ट्रेक्ट के नियमों का उल्लंघन किया है.
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फ्यूचर ग्रुप ने इस पर बयान देने से इनकार किया है. वहीं अमेजन ने ब्लूमबर्ग क्विंट को बताया है कि 'कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट नियमों को लागू कराने की दिशा में कदम उठाए हैं. चूंकि मामला कोर्ट में जा चुका है इसलिए हम इससे जुड़ी हुई जानकारी साझा नहीं कर सकते.'

अगस्त में फ्यूचर ग्रुप ने अपने रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस एसेट रिलायंस को बेचने की डील की थी. वहीं पिछले साल अमेजॉन ने भी फ्यूचर ग्रुप में निवेश किया था. अमेजॉन ने फ्यूचर कूपन में 49% हिस्सेदारी खरीदी थी.

अमेजॉन को कॉल ऑप्शन दिया गया था

शेयर होल्डर एग्रीमेंट के तहत अमेजॉन को कॉल ऑप्शन दिया गया था जिसमें कंपनी के पास विकल्प था कि वो फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर शेयरहोल्डिंग पूरी या फिर उसका कुछ हिस्सा खरीद सकते थे. ये तीसरे और दसवें साल के बीच में किया जा सकता था.

कॉरपोरेट वकील मुरली नीलाकांतन ने ब्लूमबर्ग क्विंट से बातचीत में बताया कि ये काफी चौंकाने वाली बात है कि अमेजॉन को लीगल नोटिस भेजने और कानूनी प्रक्रिया शुरू करने लिए इतना लंबा वक्त क्यों लगा.

जब बोर्ड मीटिंग में फ्यूचर ग्रुफ ऑफ कंपनीज ने रिलायंस के साथ ये डील करने का फैसला किया, तब मुझे लगा था कि ऐसा कुछ होगा. संभावना है कि अमेजॉन को रिस्ट्रक्चरिंग के बारे में पता होगा.
मुरली नीलाकांतन, कॉरपोरेट वकील

DSK लीगल के मैनेजिंग पार्टनर आनंद देसाई बताते हैं कि अगर अमेजॉन के पास कॉन्ट्रैक्चुअल राइट है और अगर अमेजॉन को इस रीस्ट्रक्चरिंग से कोई दिक्कत भी नहीं है तो भी कोई आपत्ति नहीं है ये लिखित में होना चाहिए. ये मौखिक तौर पर नहीं हो सकता.

नीलाकांतन का कहना है कि जिस तरह से अमेजॉन ने लीगल कार्रवाई शुरू की है उससे लगता है कि अमेजॉन इस डील से बाहर निकलना चाहती है और ये केस को सेटल कर लेंगे.

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