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कमजोर कंपनियों के शेयर हुए हिट, एक्सपर्ट दे रहे चेतावनी

पेनी स्टॉक्स के तहत माइक्रोकैप, नेनो कैप कंपनियां आती हैं मतलब बिल्कुल छोटी मार्केट कैप वाली कंपनियां

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पिछले कुछ महीने से भारत के शेयर मार्केट में निवेश करने वाले रिटेल निवेशक पेनी स्टॉक्स में भारी निवेश कर रहे हैं. पेनी स्टॉक्स के तहत माइक्रोकैप, नेनो कैप कंपनियां आती हैं मतलब बिल्कुल छोटी मार्केट कैप वाली कंपनियां. 5 रुपये से कम के शेयर वाली इन छोटी-छोटी कंपनियों के कस्टम इंडेक्स में जो तेजी आई है, ये बाजार के भागने का एक अहम कारण बना है. इस साल सेंसेक्स करीब 36 परसेंटेज पॉइंट भाग चुका है.

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जून में अचानक बढ़ी खरादारी

शेयर बाजार में ये तेजी खास तौर पर जून महीने में देखने को मिली है. तब सरकार ने लॉकडाउन में राहत देना शुरू किया था और इसकी वजह से निवेशकों को बाजार में निवेश करने का हौसला मिला था.

इन्हीं दिनों में शेयर बाजार में बड़ी तादाद में नए निवेशकों ने एंट्री मारी है और ये नौसिखिया निवेशक अंधाधुंध खरीदारी कर रहे हैं. ठीक इसी तरह तस्वीर अमेरिकी ब्रोकरेज की भी दिख रही है इनमें रॉबिनहुड ब्रोकरेज फर्म भी शामिल है. लेकिन बाकी के बाजारों में निवेशकों में इस तरह की उम्मीद नहीं दिखती है.

पेनी स्टॉक्स के तहत माइक्रोकैप, नेनो कैप  कंपनियां आती हैं मतलब बिल्कुल छोटी मार्केट कैप वाली कंपनियां
सोर्स- ब्लूमबर्ग
(फोटो: ब्लूमबर्ग क्विंट)
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कोटक सिक्योरिटी के फंडामेंटल रिसर्च हेड रुस्मिक ओजा का कहना है कि-

निवेशक बढ़ते कोरोना वायरस के केस और हाई वैल्यूएशन को नजरअंदाज कर रहे हैं और ये उम्मीद लगाकर बैठे हैं अगली कुछ तिमाहियों में हम सामान्य स्थिति में आ जाएंगे. लेकिन इन परिस्थितियों में इन पैनी स्टॉक्स में निवेश करना सबसे खतरनाक चीज है.
रुस्मिक ओजा, फंडामेंटल रिसर्च हेड, कोटक सिक्योरिटी
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इकनॉमी की हालत ठीक नहीं चल रही

भारत ने कोरोना से कुल मरने वालों के आंकड़े में स्पेन को पछाड़ दिया है और इकनॉमी 4 दशक में अपना पहला कॉन्ट्रेक्शन देखने वाली है. लेकिन इन सारी परिस्थितियों में भी लोग छोटी-छोटी कंपनियों के कम कीमतों वाले शेयर खरीदने से बाज नहीं आ रहे. इनमें से कई कंपनियां कोई मुनाफ तक नहीं कमाती हैं, कई कंपनियां बैंकरप्ट तक हो चुकी हैं.

मार्च महीने के बाद से सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड में 26 लाख से ज्यादा लोगों ने अपने नए अकाउंट खुलवाए हैं. मुंबई स्थित शेयर डिपॉजिटरी के डाटा के मुताबिक सिर्फ जून महीने में ही 8,30,405 लोगों ने अपने अकाउंट खुलवाए हैं.

जीरो रेवेन्यू वाले शेयर तक खरीद रहे निवेशक

800 शेयरों वाले कस्टम बास्केट में 20% कंपनियां ऐसी हैं जिनका रेवेन्यू शून्य है. इन्हीं में से कई कंपनियों के शेयर इन दिनों में दोगुने हो गए हैं. वहीं इन कंपनियों के मार्केट वैल्यू में भी भारी इजाफा हुआ है. सिद्धा वेंचर्स लिमिडेट का शेयर अप्रैल के बाद से 800% भागा है. वहीं इंटेग्रा गारमेंट्स एंड टेक्स्टाइल्स लिमिटेड का शेयर भी चार गुना भागा है.

सिर्फ भारत में ऐसा हो रहा है ये भी नहीं है. अमेरिका में पेनी स्टॉक में ट्रेडिंग वॉल्यूम दो साल के ऊपरी स्तरों पर है. वहां भी निवेशक खस्ता हाल कंपनियों में पैसा डाल रहे हैं.

सैम्को सिक्योरिटीज की सीनियर रिसर्च एनालिस्ट निराली शाह बताती हैं कि 'भारत में भी जीरो इक्विटी वैल्यू वाले शेयर जैसे जीटीएल इंफ्रा लिमिटेड, सुजलॉन एनर्जी, जयप्रकाश असोसिएट की वैल्यू भी अप्रैल के बाद से दोगुनी हो गई है. ऐसी संभावना है कि ये ट्रेंड जल्द ही खत्म होगा और लंबे वक्त तक नहीं चलेगा. जब बिकवाली शुरू होगी और लोअर सर्किट लगना शुरू होंगे इसके बाद रिवर्सल शुरू होगा.'

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