एक जनवरी को टाटा मोटर्स के शेयर की कीमत करीब 185 रुपए थी. अब वो 300 रुपए के पास है. मतलब कि पिछले 14 ट्रेडिंग सेशन में शेयर में करीब 60 परसेंट का उछाल. इस रिकॉर्ड तेजी को हवा मिली है एक अफवाह और कुछ आंकड़ों से. उनपर आप भी गौर कीजिए.
अफवाह उड़ी कि टाटा मोटर्स का टेस्ला के साथ करार होने वाला है. शेयर करीब 7-8 परसेंट चढ़ गया. कंपनी की ओर से खंडन आया. उसके बाद शेयर और चढ़ गया. तेजी को सही ठहराने के लिए दूसरे तर्क दिए गए. कहा गया कि कंपनी का घरेलू कारोबार बढ़िया चल रहा है और जगुआर और लैंड रोवर के सेल्स में तेजी लौट आई है. अब आंकड़े भी देख लीजिए-
- 2020 में जगुआर की बिक्री में 24 परसेंट की कमी आई. अब अनुमान है कि 2021 में बिक्री में 10 परसेंट की बढ़ोतरी होगी. मतलब कि तेजी के बाद भी 2021 में बिक्री का आंकड़ा 2019 से कम ही रहेगा.
- घरेलू बाजार में दिसंबर 2020 में कंपनी ने 2019 के दिसंबर के मुकाबले 5 परसेंट कम ट्रक और बस बेचे. घरेलू बाजार में कंपनी कमर्शियल गाड़ियों के सेगमेंट में बड़ी प्लेयर है और उसमें बड़ा सुधार हुआ हो ऐसा नहीं दिख रहा है. पैसेंजर गाड़ी सेगमेंट में टाटा मोटर्स ठीक कर रही है. लेकिन वो कंपनी की घरेलू बाजार में यूएसपी नहीं है.
अब आपके मन में हो रहा होगा कि बड़े संस्थागत निवेशकों ने जमकर खरीदारी की होगी इसीलिए शेयर में बड़ी तेजी है. लेकिन मनीकंट्रोल वेबसाइट के मुताबिक दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी में करीब 1 परसेंटेंज प्वाइंट की कमी आई है. तो फिर तेजी क्यों? और वो भी तब जब कच्चे तेल में भी तेजी है और ऑटो कंपनियों के कच्चे माल की कीमत में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.
तो फिर आप कहेंगे कि कुछ तो हो रहा होगा जो हमें शायद नहीं पता है. संभव है. लेकिन एक चीज जो साफ दिख रहा है वो ये है कि नकदी के सामने कोई भी लॉजिक नहीं चलती है. आज टाटा मोटर्स. कल किसी और शेयर के साथ फन एंड गेम चल रहा है. लॉजिक, वैल्यूएशन, प्राइस टू अर्निंग रेशियो क्या होता है.
इससे क्या फर्क पड़ता है कि निफ्टी का वैल्यूएशन अभी पिछले 20 साल के औसत वैल्यूएशन कम से कम 80 परसेंट से ज्यादा है. क्या फर्क पड़ता है कि निफ्टी का प्राइस टू अर्निंग 38 से भी ज्यादा है जो अमेरिकी सूचकांक एस एंड पी 500 से भी काफी ज्यादा है. इससे क्या फर्क पड़ता है कि आर्थिक विकास में तेजी के फिलहाल संकेत नहीं दिख रहे हैं. और इससे क्या पर्क पड़ता है कि डिमांड में सुधार के दूर-दूर तक आसार नजर नहीं आते हैं. लेकिन शेयर बाजार फिर भी रोज रिकॉर्ड बना रहा है और विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड खरीदारी हो रही है.
तो क्या मान लिया जाए कि 50,000 छूने के बाद भी शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी जारी रहेगी? या फिर अमेरिका में जो बाइडेन को कमान मिलने से ग्रोबल फाइनेंसियल सिस्टम में नकदी के फ्लो में बदलाव आएगा?
सीएनबीसी-टीवी 18 के रिसर्च के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी शेयर बाजार 65 परसेंट बढ़े जो रिकॉर्ड है. डेमोक्रेट राष्ट्रपति के कार्यकाल में औसत रिटर्न 46 परसेंट रहता है जो रिपब्लिकन राष्ट्रपति के 30 परसेंट के औसत से काफी ज्यादा है. इस आंकड़े को देखकर लगता है कि दुनिया भर के बाजार में मौजूदा बुल रन आगे भी जारी रहेगा. बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के हैं और उनके कैबिनेट में वित्त मंत्री ऐसी पॉलिसी के लिए जानी जाती है जो बाजार के लिए सही है.
लेकिन फन एंड गेम पार्टी के लिए रिस्क बढ़ते जा रहे हैं. कुछ रिस्क पर नजर दौड़ाइए-
- टीम बाइडेन पहले ही कह चुकी है अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स जो ट्रंप के कार्यकाल में आधी कर दी गई थी उसे फिर से बढ़ाया जाएगा. अगर अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स में तेजी से बढ़ोतरी होती है तो शेयर बाजार के लिए यह बुरी खबर होगी.
- जिस तरह से सारे कमोडिटी की कीमत में भयानक तेजी देखी जा रही है उससे महंगाई का तेजी से बढ़ना तय है. ऐसा होता है तो अमेरिकी सेंट्रल बैंक नकदी को सिस्टम से वापस खींचने की कोशिश करेगा. नकदी के सहारे के बिना शेयर बाजार काफी तेजी से गिर सकता है.
- टीम बाइडेन का ध्यान बड़ा राहत पैकेज लाकर छोटे कारोबारियों और बेरोजगारों को सहायता पहुंचाने पर है. इससे दूसरी अर्थव्यवस्था के मुकाबले अमेरिका में ग्रोथ ज्यादा तेजी से होंगे. ऐसे में डॉलर का रुख अमेरिका की तरफ बढ़ सकता है. भारत के साथ-साथ दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स के लिए यह रिस्क हो सकता है.
- शेयर बाजार में भयानक तेजी को देखते हुए अगर आने वाले बजट में कैपिटल गैन्स टैक्स में बढ़ोतरी होती है या कोई और गुगली डाली जाती है तो बाजार का मूड खराब हो सकता है.
बाजार को इन जोखिमों का अंदाजा है. लेकिन पार्टी के मूड में इन सबके बारे में सोचने का किसके पास समय है. फिलहाल तो बाजार के सारे खिलाड़ी नकदी की बारिश में नहा रहे हैं.
(डिसक्लेमर- बाजार की चाल से मैं भी फायदा उठाने की कोशिश कर रहा हूं. अभी तक ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है)
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