अगर आप फेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी एक्टिव हैं तो थोड़ा संभल जाइए. आपके प्रोफाइल और पोस्ट पर सिर्फ आपके दोस्तों या फॉलोवर्स की नजर नहीं रहती, उन पर आपकी कंपनियों की भी नजर रहती है. और ये नजर आपके करियर को बनाने-बिगाड़ने वाली भी साबित हो सकती है.
दुनिया भर की तमाम कंपनियां अब अपने कर्मचारियों को भर्ती करने के पहले सोशल मीडिया पर उनकी मौजूदगी की पूरी जांच-परख करती हैं.
अमेरिका की ह्यूमन रिसोर्स वेबसाइट करियर बिल्डर के साल 2016 के एक सर्वे के मुताबिक 60% कंपनियां नौकरी देने के पहले कैंडीडेट्स के सोशल मीडिया पेज की पड़ताल करती हैं.
भले ही ये आंकड़ा अमेरिका का हो, लेकिन ये ट्रेंड अब हर देश में जोर पकड़ रहा है और अगर आप किसी अमेरिकी या मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने के इच्छुक हैं तो फिर आपकी फेसबुक और ट्विटर एक्टिविटी काफी हद तक आपकी बात बनाने या बिगाड़ने की हैसियत रखती है.
करियर बिल्डर के इसी सर्वे में पता चला है कि एंप्लॉयर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल मुख्य रूप से ये जानने के लिए करते हैं कि कैंडीडेट उस पद के लायक है या नहीं जिसके लिए उसने अर्जी दी है. इसके लिए वो देखते हैं कि उस कैंडीडेट के दोस्त या फॉलोवर उसके बारे में क्या राय रखते हैं. साथ ही वो कैंडीडेट की प्रोफाइल और पोस्ट से ये अंदाजा भी लगाते हैं कि उसकी राजनीतिक और सामाजिक सोच के अलावा प्रोफेशनल आउटलुक कैसा है.
सर्वे में ये तथ्य भी निकलकर आया कि अमेरिका की 75% आईटी कंपनियां अपने कैंडीडेट्स के सोशल प्रोफाइल्स खंगालती हैं, जबकि फाइनेंशियल सर्विसेज में ये आंकड़ा 61%, हेल्थकेयर और रिटेल में 59% और मैन्युफैक्चरिंग में 56% है.
हां, ऐसा नहीं है कि कंपनियां सिर्फ नई भर्तियां करने के लिए इतनी मशक्कत करती हैं, वो मौजूदा कर्मचारियों के प्रोमोशन या अप्रेजल के लिए भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनकी एक्टिविटी पर नजर रखती हैं.
अगर आप ये सोचते हों कि फिर तो सोशल मीडिया से कट जाना बेहतर है, तो ऐसा भी नहीं है. क्योंकि बड़े पैमाने पर कंपनियां ऐसे कैंडीडेट्स को भी बाहर का रास्ता दिखा देती हैं, जिनके बारे में ऑनलाइन जानकारी नहीं मिलती. ऐसे में जरूरी है कि आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें लेकिन कुछ बातों का ख्याल जरूर रखें.
हर कोई ‘दोस्त’ नहीं होता
फेसबुक पर दोस्तों की संख्या बढ़ती देखकर किसे खुशी नहीं मिलती क्योंकि ज्यादा दोस्तों का मतलब है ज्यादा ‘लाइक्स’ और ‘शेयर’. लेकिन अनजान लोगों को दोस्त बनाने के पहले सावधानी बरतना जरूरी है. क्योंकि आप जिन्हें दोस्त बनाते हैं वो आपका प्रोफाइल, आपकी पोस्ट, आपके स्टेटस अपडेट ना सिर्फ देख सकते हैं, बल्कि उन पर कमेंट भी कर सकते हैं या शेयर कर सकते हैं.
कुछ कमेंट या शेयर ऐसे भी हो सकते हैं जो आपकी छवि बिगाड़ सकते हैं या उनमें अभद्र भाषा का इस्तेमाल हो सकता है. तो ऐसे दोस्त बनाने से बेहतर है कि आप अपने दोस्तों की तादाद कम रखें.
सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करें
अपनी तस्वीरें अगर आप पोस्ट कर रहे हैं तो बिना किसी की सहमति के उसे ‘टैग’ ना करें, और ना ही दूसरों को ऐसा करने की अनुमति दें. ‘टैग’ करने से आपकी पोस्ट की पहुंच तो बढ़ सकती है लेकिन हो सकता है कि टैग होने वाला व्यक्ति इससे नाखुश हो जाए.
साथ ही किसी भी स्थिति में दूसरों पर अभद्र टिप्पणी ना करें, ना किसी के उकसावे में आएं. सोशल मीडिया पर गैर-जरूरी राजनीतिक चर्चाओं या बहस से बचें.
ध्यान रखें कि सोशल मीडिया पर आप जो भी लिख रहे हैं या पोस्ट कर रहे हैं, वो दुनिया के सामने आपकी छवि पेश कर रहा है, तो आपको अपनी कैसी छवि अपने एंप्लॉयर के सामने रखनी है, इसे ध्यान में हमेशा रखें.
प्राइवेसी सेटिंग पर ध्यान दें
आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग ऐसी रखें कि हर कोई आपके प्रोफाइल तक नहीं पहुंच सके. जब तक कि किसी को आपका ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर ना पता हो, आमतौर पर वो आपकी प्रोफाइल तक नहीं पहुंच सकता.
ये ध्यान रखें कि सर्च इंजन पर आपका फेसबुक या ट्विटर प्रोफाइल ना हो. ऐसा होने पर कोई भी आपके प्रोफाइल तक पहुंचकर आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकता है.
अंत में ये याद रखें कि किसी भी कंपनी या एंप्लॉयर को अपने दफ्तर में विवादों में रहने वाला कर्मचारी नहीं चाहिए. इसलिए वो आपके फेसबुक, ट्विटर या लिंक्डइन प्रोफाइल के जरिए यही जानने की कोशिश करेंगी कि आपको विवादों में रहना तो पसंद नहीं.
इसलिए अब कुछ भी पोस्ट करने के पहले ये जरूर सोच लें कि वो पोस्ट सीधा आपके मौजूदा या संभावित बॉस तक पहुंच रहा है, और उसी बॉस के हाथ में ‘लाइक’ या ‘डिसलाइक’ का बटन है.
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