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S&P और मूडीज के पैमाने पर इतना अंतर क्यों है? 

16 नवंबर को मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग को सुधारते हुए इसे बीएए 3 से बीएए 2 कर दिया था.

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दो ग्लोबल रेटिंग एजेंसी लेकिन दोनों का तरीका अलग अलग. मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ा दी. आर्थिक सुधार के लिए सरकार को शाबासी दे दी, लेकिन दूसरी एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर अभी भी संतुष्ट नहीं. ऐसा क्यों है दोनों के पैमाने अलग अलग क्यों हैं?

हफ्ते भर के भीतर ही दो अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों का देश की अर्थव्यवस्था पर अलग-अलग रुख थोड़ा अजीब जरूर है. दिलचस्प ये है कि दोनों ही एजेंसियों ने देश की ग्रोथ को लेकर कमोबेश एक ही बातें की हैं, फिर भी रेटिंग के नतीजे अलग अलग रहे.

मूडीज ने भारत का आउटलुक भी पॉजिटिव से बढ़ाकर स्टेबल कर दिया. लेकिन एसएंडपी ने ना रेटिंग बदली ना आउटलुक. S&P ने भारत की रेटिंग बीबीबी और आउटलुक स्टेबल रखा है.

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16 नवंबर को मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग को सुधारते हुए इसे बीएए 3 से बीएए 2 कर दिया था. बीएए 3 रेटिंग का मतलब है निवेश की सबसे निचली रेटिंग, इसलिएबीएए 2 रेटिंग का मतलब है कि मूडीज के मुताबिक भारत में निवेश का माहौल सुधरा है.

16 नवंबर को मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग को सुधारते हुए इसे बीएए 3 से बीएए 2 कर दिया था.
रेटिंग अपग्रेड करने का फैसला मूडीज की इस उम्मीद पर आधारित है कि आने वाले वक्त में आर्थिक और संस्थागत सुधार जारी रहेंगे
(फोटो: PTI)

1. क्रेडिट रेटिंग

मूडीज- रेटिंग अपग्रेड करने का फैसला मूडीज की इस उम्मीद पर आधारित है कि आने वाले वक्त में आर्थिक और संस्थागत सुधार जारी रहेंगे, जो भारत की ऊंची विकास दर हासिल करने की क्षमता को बढ़ाएंगे और मध्यम अवधि में सरकार के ऊपर कर्ज का बोझ धीरे-धीरे घटाने में मदद करेंगे. इस दौरान, हालांकि भारत पर कर्ज का बड़ा बोझ देश की क्रेडिट प्रोफाइल के लिए एक बाधा है, मूडीज का मानना है कि सुधार कार्यक्रमों से कर्ज में किसी तेज बढ़ोतरी का जोखिम घट गया है.

S&P - रेटिंग अपग्रेड करने में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी एक बाधा है. हमारा अनुमान है कि 2017 में ये करीब 2,000 डॉलर रहेगी जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड वाले सभी देशों में सबसे कम है.

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16 नवंबर को मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग को सुधारते हुए इसे बीएए 3 से बीएए 2 कर दिया था.
सरकार के लिए गए ज्यादातर कदमों का असर दिखने में वक्त लगेगा
(फोटो: iStock)

2. जीडीपी

मूडीज- सरकार के लिए गए ज्यादातर कदमों का असर दिखने में वक्त लगेगा, और जीएसटी और नोटबंदी जैसे कुछ कदमों ने छोटी अवधि के लिए ग्रोथ को नुकसान पहुंचाया है. मूडीज को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी ग्रोथ 6.7% रहेगी.

हालांकि जब‘डिसरप्शन’ का असर कम होगा और एसएमई और एक्सपोर्टरों को सरकार के उठाए कदमों से मदद मिलेगी, वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ बढ़कर 7.5% हो जाएगी, और आगे के वर्षों में भी इन्हीं मजबूत स्तरों पर रहेगी.

एसएंडपी- भारत की रेटिंग देश की मजबूत जीडीपी ग्रोथ और मौद्रिक विश्वसनीयता में सुधार को दर्शाती है. हालांकि, 2017 में (अर्थव्यवस्था पर) भरोसे और जीडीपी ग्रोथ पर नोटबंदी और जीएसटी की चोट दिखती है. फिर भी, भारत की जीडीपी विकास दर सभी इन्वेस्टमेंट ग्रेड देशों में सबसे ज्यादा में से है, और हमारी उम्मीद है कि 2017-2020 के दौरान जीडीपी का औसत 7.6% रहेगा.

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16 नवंबर को मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग को सुधारते हुए इसे बीएए 3 से बीएए 2 कर दिया था.
भ्रष्टाचार कम करने, आर्थिक गतिविधियों को कानून के दायरे में लाने और टैक्स वसूली सुधारने के सरकार के प्रयासों से, जिनमें नोटबंदी और जीएसटी शामिल हैं
(फोटो: pixabay)

3. ढांचागत सुधार

मूडीज- भ्रष्टाचार कम करने, आर्थिक गतिविधियों को कानून के दायरे में लाने और टैक्स वसूली सुधारने के सरकार के प्रयासों से, जिनमें नोटबंदी और जीएसटी शामिल हैं, भारत के संस्थानों को और मजबूती मिलनी चाहिए. वित्तीय मोर्चे पर, नए एफआरबीएम एक्ट लागू करने समेत पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के प्रयासों से भारत की वित्तीय नीतियों के प्रति विश्वसनीयता बढ़ने की उम्मीद है.

एसएंडपी- देश के विकास को लंबे समय तक रोके रखने वाली वजहों को दूर करने के लिए गठबंधन सरकार ने कई सुधारों को पारित करने में कामयाबी हासिल की है. अगर सरकार के रिफॉर्म्स सरकारी कर्ज के स्तर को कम कर पाते हैं तो रेटिंग में सुधार की संभावना बन सकती है. साथ ही,

अगर भारत से एक्सपोर्ट के मोर्चे पर बड़ा सुधार होता है तो भी रेटिंग में सुधार आ सकता है. हमारी उम्मीद है कि सरकार केंद्रीय स्तर पर तो वित्तीय घाटा कम करने में कामयाब हो सकती है, लेकिन हमें राज्य स्तर पर दिक्कतें दिख रही हैं जो सरकार के कुल वित्तीय घाटे में 3 फीसदी का इजाफा कर सकती हैं.
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16 नवंबर को मूडीज ने 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग को सुधारते हुए इसे बीएए 3 से बीएए 2 कर दिया था.
सरकारी बैंकों को पूंजी मुहैया कराने का कदम 2018 से नए कर्ज देने की दिशा में कुछ सुधार दिख सकता है.
( फोटो: द क्विंट )

4. बैंकों के डूबे हुए कर्ज

मूडीज- सरकारी बैंकों को पूंजी मुहैया कराने के हाल के एलान और बैंकरप्सी एंड इन्सॉल्वेंसी एक्ट 2016 के जरिए डूबे हुए कर्जों से निपटने के कदम भारत की क्रेडिट प्रोफाइल की एक बड़ी कमजोरी को दूर करने की दिशा में शुरुआत हैं. मध्यम अवधि में, अगर निवेश और कर्ज की बढ़ती मांग को बैंक पूरा कर पाते हैं, तो इन कदमों से विकास दर को और मजबूती मिलेगी.

एसएंडपी- सरकारी बैंकों को पूंजी मुहैया कराने का कदम 2018 से नए कर्ज देने की दिशा में कुछ सुधार दिख सकता है. सरकारी बैंकों के कमजोर मुनाफे को देखते हुए, हमारा अनुमान है कि उन्हें बेसल-3 कैपिटल नॉर्म्स को पूरा करने और एनपीए की दिक्कत सुलझाने के लिए करीब 30 अरब डॉलर की पूंजी की जरूरत होगी.

मोटे तौर पर दोनों रेटिंग एजेंसियों ने एक जैसी बातें कही हैं, इसलिए ये सवाल अपनी जगह कायम है कि क्या रेटिंग सुधारने को लेकर मूडीज ने ‘आशावादी’ और एसएंडपी ने ‘निराशावादी’नजरिया दिखाया है. लेकिन एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में एक दिलचस्प बात कही है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

एसएंडपी का कहना है कि “2017 के विधानसभा चुनावों में एनडीए अच्छा कर रहा है और अनुमान है कि वो आगे भी ऐसा करता रहेगा, जिसका नतीजा उसे उच्च सदन में बहुमत के रूप में दिखेगा.” इसकी व्याख्या इस रूप में भी की जा सकती है कि जो मोदी सरकार लोकसभा में विशाल बहुमत के बावजूद जरूरी रिफॉर्म को लेकर उतनी सहज नहीं दिख रही है, वो राज्यसभा में बहुमत के बाद बेहिचक सारे सुधारवादी कदम उठा सकती है. और शायद तभी एसएंडपी के लिए भारत की रेटिंग अपग्रेड करने का सही समय आएगा.

(धीरज कुमार जाने-माने जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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