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क्या ज्यादा ब्याज वाले सेविंग्स अकाउंट में स्विच करना होगा बेहतर?

कई नए बैंको में सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज ज्यादा मिलता है, तो क्या पुराने बैंक को छोड़ नए बैंक में स्विच करना चाहिए?

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टीवी, अखबार या इंटरनेट पर आपने ऐसे विज्ञापन खूब देखे होंगे, जिनमें सेविंग्स बैंक अकाउंट पर डेढ़ गुना ज्यादा ब्याज देने का वादा होता है. हो सकता है कि आपके मोबाइल पर ऐसे बैंकों के एसएमएस भी पहुंच रहे हों, जो ज्यादा ब्याज पर सेविंग्स अकाउंट खोलने का ऑफर देते हैं.

अगर आप ये सोच रहे हैं कि आखिर ये बैंक दूसरे बैंकों से ज्यादा ब्याज कैसे दे सकते हैं, तो इसका जवाब है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का अक्टूबर 2011 का एक फैसला.

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आरबीआई ने आज से करीब 6 साल पहले सेविंग्स अकाउंट्स पर ब्याज दर को डिरेगुलेट कर दिया था. इसका मतलब था कि बैंक अपनी इच्छा से अपने सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर तय कर सकते हैं. इसके बाद ज्यादातर बैंकों ने अपनी ब्याज दर 4% तय कर दी थी, फिर चाहे आप सेविंग्स अकाउंट में कितनी भी रकम रखें.

हां, यस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और इंडसइंड बैंक जैसे नए खिलाड़ी जरूर थे जिन्होंने सेविंग्स अकाउंट पर 5% या 6% ब्याज देना शुरू कर दिया. चूंकि ये नए बैंक थे, इसलिए इन्हें ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को खींचना था और यही वजह थी कि इन्होंने अपनी ब्याज दरें ज्यादा रखी थीं.

कई नए बैंको में सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज ज्यादा मिलता  है, तो क्या पुराने बैंक को छोड़ नए बैंक में स्विच करना चाहिए?
कोटक महिंद्रा बैंक जैसे नए बैंक ने सेविंग्स अकाउंट पर 5% या 6% ब्याज देना शुरू कर दिया था.
(फोटोः Twitter)

इन बैंकों में अभी भी सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज ज्यादा मिल रहा है तो फिर क्या आपको पुराने बैंक के सेविंग्स अकाउंट को बंद करके नए बैंक में स्विच करना चाहिए?

कहां मिलेगा कितना ब्याज?

ये बात बिल्कुल सही है कि ज्यादातर बड़े बैंकों ने तो छोटे डिपॉजिटर्स के लिए सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर 3.5% कर दी है. ये कटौती पिछले कुछ हफ्तों में हुई है. इनमें एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक जैसे नाम शामिल हैं. लेकिन कई नए और छोटे बैंक अभी भी इन बैंकों से डेढ़ से दोगुने तक ब्याज दे रहे हैं. (नीचे दिया गया टेबल देखें)

कई नए बैंको में सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज ज्यादा मिलता  है, तो क्या पुराने बैंक को छोड़ नए बैंक में स्विच करना चाहिए?

क्या ज्यादा ब्याज के लिए बदलना चाहिए बैंक?

वैसे तो बैंक सेविंग्स अकाउंट निवेश के लिए नहीं होते हैं, इसलिए सालाना 1-2% ज्यादा ब्याज के लिए नया बैंक अकाउंट खोलना खास फायदेमंद नहीं है. यही नहीं, आपको सेविंग्स अकाउंट में ज्यादा मोटी रकम भी नहीं रखनी चाहिए.

सीधा सा नियम है कि आप सेविंग्स अकाउंट में उतनी ही रकम रखें, जितना आपके 2-3 महीने के खर्च के लिए काफी हो. इससे ज्यादा रकम हो तो वो आप कहीं बेहतर जगह निवेश कर दें.
कई नए बैंको में सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज ज्यादा मिलता  है, तो क्या पुराने बैंक को छोड़ नए बैंक में स्विच करना चाहिए?
सेविंग्स अकाउंट में उतनी ही रकम रखें, जितना आपके 2-3 महीने के खर्च के लिए काफी हो.
(फोटो: रॉयटर्स)

इसकी तीन वजहें हैं-

  1. सेविंग्स अकाउंट में आपको जो ब्याज मिलता है वो रोजाना के बैलेंस पर मिलता है. यानी दिन के अंत में आपके बैंक खाते में जो रकम होगी, उस पर ब्याज मिलेगा. अगर आप इस बैंक खाते से अपने खर्च के लिए पैसे निकालते हैं तो ब्याज की रकम घटती जाएगी. फिर जब आप इसमें पैसे जमा करेंगे तभी ब्याज की रकम बढ़ेगी. ऐसे में 1-2 लाख तक की जमा रकम पर ब्याज चाहे 4% मिले या 5%, बहुत ज्यादा अंतर नहीं आएगा.
  2. सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर अधिकतम 10,000 रुपए की राशि ही टैक्स फ्री होती है. इससे ज्यादा ब्याज आपको मिला तो वो आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स देना पड़ेगा.
  3. सेविंग्स अकाउंट के मेंटनेंस पर बैंक कई तरह के चार्ज भी वसूलते हैं. ये चार्ज अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होते हैं. इसका भी आपको ख्याल रखना चाहिए.
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ऑटो स्वीप अकाउंट खोलना है बेहतर

ऑटो स्वीप या स्वीप-इन अकाउंट में आपको सेविंग्स अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों के फायदे मिलते हैं. इस अकाउंट में आपको सुविधा दी जाती है कि जैसे ही आपके सेविंग्स अकाउंट में जमा रकम एक तय सीमा से ज्यादा होगी, वो रकम एफडी कर दी जाएगी. और, अगर कभी ऐसा हुआ कि आपके सेविंग्स अकाउंट में इस तय सीमा से कम पैसे हो गए हैं, तो एफडी में से उतनी ही रकम सेविंग्स अकाउंट में आ जाएगी.

इस सुविधा के लिए आपको कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं देना पड़ता. और फायदा ये है कि जितने पैसे आपके एफडी में रहते हैं, उस पर आपको सेविंग्स अकाउंट से करीब दोगुना ब्याज मिलता है.

अलग-अलग नाम से बैंकों में मिलती है ऑटो स्वीप अकाउंट की सुविधा

ऑटो स्वीप अकाउंट की सुविधा करीब-करीब सभी बैंकों में होती है. हां, ये हो सकता है कि आपके बैंक में ऑटो स्वीप सुविधा के साथ सेविंग्स अकाउंट का नाम कुछ और हो. मिसाल के लिए-

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में इसे सेविंग्स प्लस अकाउंट कहते हैं, वहीं आईसीआईसीआई बैंक में इसका नाम है मनी मल्टीप्लायर प्लान. सिंडिकेट बैंक में ऑटो स्वीप सुविधा के साथ बैंक अकाउंट का नाम है प्रीमियम सेविंग्स अकाउंट और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में इसे टू-इन-वन अकाउंट कहा जाता है.

इन सभी बातों को ध्यान में रखने के बाद ही आप इस बात का फैसला करें कि मौजूदा सेविंग्स अकाउंट को बंद करके किसी दूसरे बैंक में सेविंग्स अकाउंट खोलना फायदे का सौदा होगा या फिर उसे ऑटो स्वीप अकाउंट में तब्दील करना बेहतर होगा.

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