अगस्त महीने में जुलाई के मुकाबले फिर से बेरोजगारी दर बढ़ गई है. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) हर महीने की शुरुआत में बेरोजगारी को लेकर अहम डाटा जारी करता है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 8.35% हो गई है. वहीं जुलाई में ये दर 7.4% थी.
बेरोजगारी दर का आंकड़ा बताता है कि देश में प्रति 100 लोगों को पर कितने लोगों के पास करने के लिए कोई काम नहीं है.
अगस्त महीने के बारे में खास बात ये है कि लॉकडाउन में जो बेरोजगारी दर 23 फीसदी के पार चली गई थी, वो जुलाई तक गिरकर 7.40% तक आ गई थी लेकिन अब फिर से एक बार बेरोजगारी दर में उछाल देखने को मिला है. ये दर करीब-करीब मार्च के स्तरों पर पहुंच गई है. मार्च वही महीना था जब प्रवासी मजदूरों का संकट भारत ने देखा था. बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी तब देखने को मिल रही है, जब अनलॉक के अलग-अलग चरणों के जरिए प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं.
प्री-कोविड टाइम से भी ज्यादा बेरोजगारी दर
कोरोना संकट के पहले की बेरोजगारी दर देखें तो ये आमतौर पर 7 से लेकर 8% तक की रेंज में रही है. बेरोजागारी दर 8% के पार बहुत कम गई है. अब अगस्त महीने में ये एक बार फिर 8% के पार गई है. ये बेरोजगारी के मोर्चे पर चिंदा पैदा करते हैं. हालांकि कोरोना वायरस संकट के बाद लगे लॉकडाउन काल से तुलना करके देखें तो बहुत बेहतरी हुई है.
राज्यों में बेरोजगारी की हालत
बेरोजगारी के मामले में हरियाणा अगस्त महीने में बेरोजगारी के मामले में सबसे बदहाल राज्य रहा. CMIE के मुताबिक यहां बेरोजगारी दर 33.5% रही. वहीं इसके बाद त्रिपुरा में 27.9% और राजस्थान में 17.5% बेरोजगारी दर रही है. वहीं कर्नाटक राज्य बेरोजगारी दर के सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा. कर्नाटक में बेरोजगारी दर 0.5% रही. इसके साथ ओडिशा में 1.4% और गुजरात में 1.9% बेरोजगारी दर रही है.
CMIE के CEO महेश व्यास का अगस्त के बेरोजगारी दर के आंकड़ों पर कहना है कि 'लेबर मार्केट में सुस्ती देखने को मिल रही है. इस वजह से धीमी रिकवरी है. सितंबर के आंकड़े जॉब मार्केट में रिकवरी की साफ तस्वीर पेश करेंगे.
पहली तिमाही में 23.9% की GDP के बाद ज्यादातर एक्सपर्ट्स का ये कहना है कि दूसरी तिमाही में भी कोई खास रिकवरी नहीं होगी. बेरोजगारी के जो आंकडे़ आए हैं, वो भी इसी बात की ओर संकेत दे रहे हैं
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