करीब एक से दशक कारोबार कर रही कैब एग्रीगेटर कंपनी उबर अपना IPO लेकर आ चुकी है और बीते शुक्रवार को इसकी लिस्टिंग भी हो गई. ये दुनिया भर में आए टेक IPO में फेसबुक और अलीबाबा के बाद सबसे बड़ा आईपीओ है. साथ ही इसे इस साल में अब तक आया सबसे बड़ा आईपीओ भी माना जा रहा है. लेकिन कंपनी की लिस्टिंग ने कैब वालों और उसमें सफर करने वाले सवारियों तक की चिंता बढ़ा दी है.
उबर के IPO की खराब शुरुआत
ठीक एक साल पहले माना जा रहा था कि उबर के पब्लिक से पैसा जुटाने के बाद कंपनी की वैल्यूएशन मतलब कुल कीमत 12 हजार करोड़ डॉलर हो जाएगी. अगर ऐसा होता तो कंपनी जनरल मोटर्स, फोर्ड, फिएट से भी बड़ी कंपनी हो जाती. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जैसे-जैसे IPO आने का वक्त करीब आता गया ये कयास भी धुंधले पड़ने लगे.
उबर ने कहा था कि वो आईपीओ में शेयर की कीमत 44 से 50 डॉलर के बीच रखेंगे. इस स्थिति में कंपनी का वैल्यूएशन 7546 करोड़ डॉलर के आस-पास ठहरता है. 2018 में लगाए गए अनुमान के मुकाबले ये करीब 38% कम है.
कंपनी ने 45 डॉलर प्रति शेयर के दाम से आईपीओ जारी किया. उसके बाद पहले ही दिन कंपनी के शेयर में करीब 8% की कमजोरी देखी गई, जिसका मतलब है मार्केट से कंपनी को अच्छा रेस्पॉन्स नहीं मिला.
दसअसल कंपनी पिछले कुछ वक्त से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है और उसे भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है. पिछली तिमाही में कंपनी को 80 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ है. कंपनी की अपने क्षेत्र के प्रतिद्वंदियों से गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है.
कैब वालों और सवारियों पर क्या असर होगा?
कंपनी के IPO लाने की खबर के बाद से ही माना जा रहा था कि कंपनी पर इंसेटिव और गैर जरूरी खर्चों को कम करने के लिए निवेशकों का दबाव बढ़ेगा. इसका असर कंपनी का शेयर स्टॉक मार्केट पर आने के पहले से ही दिखने लगा था. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कैब वालों को मिलने वाले इंसेंटिव में भारी कटौती की गई है. इसी का नतीजा था कि कैब ड्राइवरों की हड़ताल और विरोध प्रदर्शन देखने को मिले.
कंपनी की लिस्टिंग के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी किराए की दरों में इजाफा कर सकती है. ऐसा इसलिए होगा क्यों कि अब कंपनी पर शेयर होल्डर्स का घाटे को कम करने का दबाव होगा.
उबर बिजनेस की खस्ता हालत
अगर लिस्टिंग के लिए जारी गए कंपनी के प्रॉस्पेक्टस पर नजर डालें तो ये पता चलेगा कि कंपनी काफी ज्यादा घाटे में है. ऊबर का रेवेन्यू ग्रोथ रेट 2017 में 106 परसेंट के मुकाबले 2018 में गिरकर 42% रह गया.
दूसरी तरफ कंपनी को अपने प्रतियोगियों ओला, लिफ्ट, टेक्सीफाई से तगड़ा कॉम्पटीशन मिल रहा है. वहीं कंपनी ने उबर ईट्स का जो नया बिजनेस शुरू किया था उसे भी कोई खास सफलता नहीं मिली. ऐसी खबरें थीं कि स्विगी भारत में उबर ईट्स का कारोबार खरीदने की फाइनल स्टेज में है. इन सब के बाद कई लोगों ने उबर के बिजनेस मॉडल पर तक सवाल खड़े कर दिए.
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