इन दिनों देश-दुनिया के शेयर बाजार FinCEN Leaks से प्रभावित हो रहे हैं. अमेरिकी फाइनेंशियल क्राइम्स एनफोर्समेंट नेटवर्क FinCEN को भारी संख्या में पैसों के संदिग्ध लेन-लेन का पता चला है. इसमें भारत का नाम भी जुड़ा है. BuzzFeed News और आईसीआईजे के खोजी पत्रकारों ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है. आइए विस्तार से समझते हैं इस पूरे मामले को.
दुनिया की शीर्ष फाइनेंसियल इंवेस्टिगेशन यूनिट्स में से एक FinCEN यानी कि फाइनेंसियल क्राइम्स इंफोर्समेंट नेटवर्क की स्थापना अप्रैल 1990 में हुई थी, अक्टूबर 2001 में USA Patriot Act द्वारा इसे ट्रेजरी ब्यूरो बनाया गया. FinCEN को लाने का मकसद बड़े सरकारी स्तर पर मल्टी-सोर्स इंटेलीजेंस और एनालिसिस नेटवर्क तैयार करना था, जो डोमेस्टिक और इंटरनेशनल मनी लॉन्ड्रिंग, टेररिज्म फायनेंसिंग तथा अन्य फाइनेंसियल क्राइम्स का पता लगाने और इंवेस्टिगेशन करने में मदद कर सके. FinCEN दो तरीके से काम करती है, पहली फाइनेंसियल कम्युनिटी के साथ पार्टनरशिप करके, दूसरा लॉ इंफोर्समेंट को जानकारी मुहैया कराकर. अमेरिका में 100 से ज्यादा फाइनेंसियल इंवेस्टिगेशन यूनिट्स (FIU) हैं. FinCEN भी उन्हीं में से एक है.
क्या है FinCEN फाइल्स?
2500 से ज्यादा गोपनीय डॉक्यूमेंट्स की फाइल लीक हुई है जिसे #FinCEN फिनसेन फाइल्स कहा जा रहा है. इन फाइल्स को बजफीड न्यूज ने सबसे पहले अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया और दस्तावेजों को इंटरनेशनल कॉन्शोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) सहित कई मीडिया संस्थानों से साझा किया. FinCEN फाइल्स से पता चलता है कि दुनिया में किस तरह से बेनामी पैसों की हेरा-फेरी होती है और इन हेराफेरी में बैंकों की क्या भूमिका है. इन दस्तावेजों में 1999 से 2017 के दौरान हुये लेन-देन का जिक्र है.
- 88 देशों के 400 से ज्यादा इंवेस्टिंग रिपोर्टर्स और डाटा एक्सपर्ट्स दस्तावेजों के विश्लेषण में लगे हुये थे.
- 02 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा यानी लगभग 150 अरब रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ है.
अब जानिए SAR क्या है और अमेरिका में FinCEN कैसे काम करता है?
FinCEN का पूरा नाम फाइनेंशियल क्राइम्स एनफोर्समेंट नेटवर्क है. यह संस्था अमेरिका में फाइनेंस के मामलों की निगरानी करती है. ये मनी लॉड्रिंग, फाइनेंशियल फ्रॉड और ड्रग डीलिंग जैसे मामलों को भी देखने का कार्य करती है. इस संस्था को सभी बैंक और फाइनेंसियल ऑर्गनाइजेशन एक रिपोर्ट सौंपते हैं, जिसे संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट Suspicious Activity Report कहा जाता है, शॉर्ट फॉर्म में इसे SAR या SARs भी कहा जाता है. आपको बता दें कि SARs फर्जीवाड़े के सबूत नहीं होते.
दरअसल बैंक इन्हें प्रशासन के पास भेजते हैं और प्रशासन संदिग्ध ग्राहकों को देखता है. किस ग्राहक का पैसा कैसा और कहां से आ रहा है इस पर भी नजर होती है. इन रिपोर्ट्स को FinCEN एफबीआई FBI, US इमीग्रेशन और कस्टम्स को भी भेजता है, जिसकी जानकारी खाताधारकों को नहीं होती है. यह एक जरिया होता है जिससे कि आर्थिक गड़बड़ियों और अपराध को लेकर कानून से जुड़ी एजेंसियां सचेत रहें.
- 2600 से ज्यादा लीक हुसे डॉक्यूमेंट में 2100 से ज्यादा SARs हैं.
- इससे अमेरिका में सरकार हरकत में आई और मनी लॉन्ड्रिंग के विरुध जांच की घोषणा की.
- ब्रिटेन ने भी कंपनी रजिस्टर में सुधार की घोषणा की है ताकि धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग को रोका जा सके.
- अमेरिका में जो काम FinCEN का है वही काम भारत में FIU का है जिसे फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट कहा जाता है. इसका काम भी संदिग्ध ट्रांजेक्शन पर नजर रखना है. हमारे यहां बैंकों की तरफ से इस संस्था को जो रिपोर्ट भेजी जाती है उसे CTRs कैश ट्रांजेक्शन रिपोर्ट्स, STRs सस्पीशियस ट्रांजेक्शन रिपोर्ट्स और क्रॉस बॉर्डर वायर ट्रांसफर रिपोर्ट्स कहते हैं. यह हर महीने भेजी जाती हैं.
भारत के 44 बैंक और एक बिलियन डॉलर के ट्रांजेक्शन निशाने पर
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, FinCEN फाइल्स में 44 भारतीय बैंकों के नाम हैं, जिनमें SBI, पंजाब नैशनल बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक, कैनरा बैंक, इंडसइंड बैंक, यूनियन बैंक, एक्सिस बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे कई प्रमुख बैंकों के नाम शामिल हैं. वहीं इस रिपोर्ट में जिन 3,201 ट्रांजैक्शन में पैसे भेजने वालों, बैंकों और पैसे प्राप्त करने वालों का पता भारत में है, उन्होंने कुल 1.53 अरब डॉलर यानी लगभग 112 अरब रुपये का ट्रांजेक्शन किया है. इसके साथ ही हजारों ऐसे ट्रांजेक्शन हुए हैं जिनका पता विदेशों में है.
- FinCEN फाइल्स लीक दस्तावेजों में 2जी घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड मामला, रॉल्स रॉयस घूसकांड और एयरसेल-मैक्सिस समेत भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी के कई मामलों से जुड़े लोगों और कंपनियों के नाम हैं.
- CBI, ED और DRI (राजस्व खुफिया निदेशालय) जैसी एजेंसियां इन मामलों की जांच कर रही हैं.
- आईसीजेआई के मुताबिक एसबीआई, पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, येस बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र सहित कुछ अन्य भारतीय बैंकों से संदिग्ध लेनदेन किए गए हैं.
इन भारतीय नामों की है चर्चा
अडानी ग्रुप: इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बैंक ऑफ न्यूयॉर्क मेलन (BNYM) की ओर से दाखिल रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की सिंगापुर स्थित अडानी ग्लोबल पीटीई का नाम है. बैंक ने 2005 से 2014 के बीच सेशेल्स में कई शेल कंपनियों के ट्रांजेक्शन का जिक्र किया है. हालांकि इंडियन एक्सप्रेस से चर्चा के दौरान अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने इस ट्रांजेक्शन को वैलिड बताया है.
लैविश वस्तुओं के डीलर सुभाष कपूर: दुर्लभ और अनोखी वस्तुओं की स्मगलिंग करने वाले सुभाष कपूर का नाम भी रिपोर्ट से जुड़ा है. 20 मार्च 2017 को स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, न्यूयॉर्क की तरफ से सौंपे गए SAR में स्मगलिंग और बहुमूल्य चीजों की डीलिंग करने वालों में सुभाष कपूर समेत कई लोगों का नाम था.
मैक्स ग्रुप के फाउंडर अनलजीत सिंह: इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि मैक्स ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन अनलजीत सिंह से जुड़ी कंपनियों से 100 से अधिक ट्रांजेक्शन किए गए, जिनकी वैल्यू 104.4 मिलियन डॉलर है. यह जानकारी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, न्यूयॉर्क की ओर से FinCEN को दी गई. ये ट्रांजेक्शन जुलाई 2014 से नवंबर 2016 के दौरान हुये हैं.
जिंदल स्टील: जिंदल स्टील के फंड के लेन-देन के बारे में डायचे बैंक ट्रस्ट कंपनी अमेरिकास ने तीन अलग-अलग SARs फाइल की हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 24 नवंबर 2014 से 28 जनवरी 2015 के बीच JSPL जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने लेन-देने किया. मॉरीशस, जर्मनी, यूके में पैसा भेजा गया और दुबई, स्विट्जरलैंड में इसी अवधि में पैसा हासिल किया गया.
दाउद कनेक्शन: पाकिस्तानी नागरिक अल्ताफ खनानी पर भी रिपोर्ट में निशाना साधा गया है. खनानी को कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम का फाइनेंसर कहा जाता है. खनानी के मनी लॉन्ड्रिंग संगठन और अल जरूनी एक्सचेंज के बीच दशकों तक ड्रग्स और अल कायदा, हिजबुल्ला, तालिबान जैसे संगठनों के लिए 14 बिलियन डॉलर से 16 बिलियन डॉलर का लेन-देन हुआ है. यह जानकारी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, न्यूयॉर्क की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में कही गई है.
दुनिया के प्रमुख बैंक जिनके संदिग्ध ट्रांजेक्शन निशाने पर हैं
- Deutsche Bank AG - लगभग 1.3 ट्रिलियन डॉलर
- JPMorgan Chase & Co. processed - लगभग 514 बिलियन डॉलर
- Standard Chartered Plc- लगभग 166 बिलियन डॉलर
- Bank of New York Mellon Corp. - लगभग 64 बिलियन डॉलर
- HSBC Holdings Plc - लगभग 4.5 बिलियन डॉलर
इनके अलावा अन्य वित्तीय संस्थानों के नाम भी सामने आए हैं
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