हैदराबाद से पटना तक और बेंगलुरु से भोपाल तक अचानक देश में नकदी का संकट गहरा गया है. सरकार कह रही है कि घबराने की जरूरत नहीं है, रिजर्व बैंक कह रहा है नोटों की कमी नहीं है, लोग पूछ रहे हैं तो फिर एटीएम क्यों खाली हैं? सरकार दावा कर रही है कि 5-7 दिनों में दिक्कत दूर हो जाएगी. लेकिन इतनी बड़ी दिक्कत आई कैसे क्या है असली वजह आइए बहुत आसान तरीके से समझते हैं.
कहां कहां नकदी की दिक्कत
- कर्नाटक खासतौर पर बंगलुरू
- तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद और दूसरे शहर
- आंध्रप्रदेश के कई शहर और खासतौर पर ग्रामीण इलाके
- महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश
कैश की कमी दक्षिण के राज्यों से होती हुई बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तक फैल गई.
नोटों की कमी की वजह
- चुनाव, शादियां और त्यौहार, फसल खरीदी
- अप्रैल के पहले 13 दिन में ही करेंसी की सप्लाई 45,000 करोड़ रुपए बढ़ी
- 10-12 परसेंट एटीएम में नोटों की कमी
नकदी की कमी कैसे हुई
1. FRDI बिल की अफवाह
फैला दिया गया कि प्रस्तावित बिल में एक प्रावधान है कि बैंक में रखा जमाकर्ताओं का डिपॉजिट सुरक्षित नहीं है. सरकार ने बार बार सफाई दी कि कोई खतरा नहीं है पर लोगों ने बड़े पैमाने पर अपनी रकम बैंकों और एटीएम से निकालनी शुरू कर दी.
2. बैंक फ्रॉड से भरोसा घटा
बैंकों के फ्रॉड का हवाला देते हुए अफवाह भी फैला दी गई कि कई बैंक फेल हो सकते हैं. जबकि इसका कोई खतरा नहीं है पर फिर भी लोगों ने अपने खाते खाली करने शुरू कर दिए.
3. पैनिक से पैनिक बढ़ा
जब एटीएम में रकम ना होने की खबर फैली तो लोग और घबरा गए और देखा देखी देश के दूसरे इलाकों में भी लोग जरूरत से ज्यादा रकम निकालने लगे. एटीएम के बाहर लंबी लाइन, नो कैश के बोर्ड ने इस घबराहट को बढ़ाना शुरू कर दिया.
4. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार में क्या हुआ
पहले हैदराबाद, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा और दूसरे इलाकों में कुछ बैंक एटीएम में नो कैश, या आउट ऑफ सर्विस के बोर्ड दिखे तो लोग घूम घूम कर दूसरी , तीसरी एटीएम में पहुंचने लगे इस तरह कई गुना ज्यादा रकम निकाली जाने लगी. यहां तक लोग अपनी एफडी तुड़वाने लगे और बचत खाते से रकम निकालने लगे. कर्नाटक में नोटों की डिमांड बढ़ने की वजह चुनाव मानी जा रही है जबकि बिहार और तेलंगाना में शादी का सीजन. इसके अलावा रबी की फसल में कटाई का मौका.
5. कैश पर पाबंदी
बैंकों ने जो कदम उठाए उसका उल्टा असर हुआ, बैंकों ने 20 हजार से 40 हजार रुपए से ज्यादा रकम निकालने में पाबंदी लगा दी इसने आग में घी का काम किया.
6. 2000 नोट की कमी?
रिजर्व बैंक और सरकार का कहना है कि औसत ट्रांजैक्शन के लिहाज से नकदी की कोई दिक्कत नहीं है. पर बैंकरों का कहना है कि दिक्कत की वजह है कि लोगों ने 2000 के नोटों की जमाखोरी शुरू कर दी है. इकोनॉमिक अफेयर सेक्रेटरी के सुभाष गर्ग के मुताबिक सरकार ने जांच नहीं कराई है पर 2000 रुपए के नोट की जमाखोरी का सबसे आसान तरीका है.
7. बीजेपी और कांग्रेस भिड़े
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने तो कह दिया कि 2000 के नोट की जमाखोरी हो रही है जिस वजह से इनकी कमी हो गई है. जबकि कांग्रेस काआरोप है कि कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी ने 2000 के नोटों की जमाखोरी की है
8. डिपॉजिट ग्रोथ गिरी
बैंकों से रकम निकल तो रही है पर उनके पास जमा की रफ्तार कम हो गई. खासतौर पर मार्च 2018 में रकम निकलने की रफ्तार जमा होने के मुकाबले ज्यादा हो गई. स्टेट बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक हम एटीएम में रकम नहीं भर पा रहे हैं क्योंकि लोग जमा ही नहीं कर रहे हैं.
9. रिजर्व बैंक और सरकार का भरोसा
वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने माना कि कुछ राज्यों में कैश की दिक्कत है. इसलिए नकदी के बंटवारे के लिए सरकार ने एक कमेटी बना दी है. उनका दावा है कि 3 दिन में दिक्कत खत्म हो जाएगी.
- सरकार का दावा नोटों की कमी नहीं
- 4 नवंबर 2016 को कुल करेंसी- 500 और 1000 के नोट 17.74 लाख करोड़ रुपए
10. दिक्कत दूर करने के सरकारी उपाए
- करेंसी नोटों की छपाई पांच गुना बढ़ाई जाएगी
- आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग के मुताबिक
- हर रोज 2500 करोड़ रुपए के 500 के नोट छप रहे हैं
- हर महीने 70,000-75,000 करोड़ रुपए के नोट
- 1.75 लाख करोड़ रुपए की करेंसी के रिजर्व भंडार
- सरकार ने पिछले कई माह से 2000 के नोट की छपाई बंद की
- सिस्टम में 2000 के 6.7 लाख करोड़ रुपए के नोट
रिजर्व बैंक के मुताबिक सिस्टम में 18.4 लाख करोड़ रुपए के नोट हैं जो नोटबंदी के पहले का स्तर था, लेकिन जीडीपी के हिसाब से ये कम है.
ये भी पढ़ें- देश के कई राज्यों में कैश संकट, पांच गुना छपेंगे 500 के नोट
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)