ADVERTISEMENTREMOVE AD

फेस्टिवल सीजन में नई कारों की भरमार, आप कौन-सा मॉडल पसंद करेंगे

ऐसी कौन-सी वजहें हैं, जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है.    

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कार, एसयूवी खरीदने की इच्छा रखने वालों के लिए अगले दस हफ्ते बेहद रोमांचित करने वाले हैं. बाजार में दो दर्जन से ज्यादा नई कारें आ रही हैं. यह पिछले साल के मुकाबले में काफी ज्यादा है.

इनमें मारुति की इग्निस और बलेनो आरएस, रेनो की किविड, ह्युंदई इयान का नया वर्जन और फिएट का एवेंचुरा शामिल है. साथ ही नवंबर तक मर्सिडिज, वोल्वो, बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी गाड़ी बनाने वाली कंपनियों की दस नई गाड़ियां आने वाली हैं. मतलब फेस्टिवल सीजन में च्वाइस की भरमार होने वाली है.

ऐसी कौन-सी वजहें हैं, जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है.    
ऑटो एक्सपो में मारुति सुजुकी की विटारा ब्रीज़ा (फोटो: द क्विंट)

दरअसल नए वाले भारत में कारों की बिक्री के लिहाज से तो लगातार अच्छे दिन दिख रहे हैं. उसमें भी बड़ी कार कंपनियों के अच्छे दिन तो और भी अच्छे हुए हैं. निसान, ह्युंदई, होंडा, टोयोटा, टाटा, फॉक्सवैगन, जैगुआर और दूसरी ढेर सारी कंपनियां 10 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक की गाड़ियां भारतीय बाजार में लाने के लिए तैयार हैं.

इससे पहले मशहूर अमेरिकी जीप भारत में आ गई. 75 लाख की शुरुआती कीमत के साथ जीप खरीदने के दीवाने कम ही है. लेकिन कंपनी को भारत में बड़ा बाजार नजर आ रहा है. इस बाजार को पकड़ने के लिए अहमदाबाद में पहले शोरूम के साथ देश में 10 शोरूम खोलने पर कंपनी काम कर रही है. नए लॉन्च के भरोसे की सबसे बड़ी वजह ये है कि दरअसल इस नए वाले भारत को बड़ी गाड़ी पसंद है. समझते हैं कि वो और कौन-सी वजहें हैं, जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है.

ऐसी कौन-सी वजहें हैं, जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है.    
‘जीप ग्रैंड चेरकी’ (फोटोः Twitter)

कॉम्पैक्ट एसयूवी मतलब शान का सवारी

इस समय अगर आप मारुति की विटारा ब्रीजा लेने का मन बना रहे हों, तो पहले शोरूम पर जाकर पता कर लीजिए, क्योंकि 3 महीने से पहले आपको ये सस्ती वाली एसयूवी नहीं मिलने वाली. इसकी एक वजह ये है कि मारुति के उत्पादन पर असर पड़ा है. लेकिन ज्यादा बड़ी वजह ये है कि इसे खरीदने वालों की कतार बहुत लंबी है. ये कतार सिर्फ ब्रीजा पर नहीं है. इस सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉम्पैक्ट एसयूवी ह्युंदई क्रेटा लॉन्च के बाद से 1 लाख से ज्यादा बिक चुकी है. सितंबर 2015 से जुलाई 2016 के आंकड़े बता रहे हैं कि औसत 7000 क्रेटा हर महीने बिक रही है. क्रेटा की कीमत दस लाख के ऊपर शुरू होती है. सिर्फ क्रेटा ही नहीं, ज्यादातर कॉम्पैक्ट एसयूवी ही बिक रही है. रेनो कंपनी की पूरी साख ही डस्टर ने बचा रखी है.

बढ़ने का आंकड़ा है. लेकिन वो मध्यम वर्ग को, जो बड़ी कारों और एसयूवी का दीवाना हुआ जाता है, उसकी आदमनी बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज रही है.

ऐसी कौन-सी वजहें हैं, जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है.    
कारों के महाकुंभ ऑटो एक्सपो में भी उमड़ा था दर्शकों का जनसैलाब. (फोटो: द क्विंट)

सस्ती ब्याज दरें

पिछले दो साल में होम लोन और कार लोन पर ब्याज दरें 1.5-2% तक घटी हैं. इसका सीधा फायदा कार कंपनियों को हो रहा है.

देश में अच्छी सड़कों का जाल

नरेंद्र मोदी की सरकार के सबसे बेहतर काम करने वाले मंत्रियों का जिक्र होता है, तो नितिन गडकरी का चुनौती देने वाला अंदाज सबसे पहले दिख जाता है. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने लगभग हर कार्यक्रम में ये बताना नहीं भूलते कि कैसे उन्होंने प्रतिदिन सड़कों का निर्माण यूपीए के आखिरी साल के 4-5 किलोमीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 22 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंचा दिया है. इसकी वजह से सड़क परिवहन कई गुना बढ़ा है.

ऐसी कौन-सी वजहें हैं, जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है.    
(फाइल फोटो: PTI)

घुमंतू होता भारतीय

रेलवे ने अभी अपनी प्रीमियम ट्रेनों में किराया फ्लेक्सी सर्ज प्राइसिंग के आधार पर तय कर दिया है. खबरें ये हैं कि इसके बाद भी आरक्षण कराने वाले बढ़े ही हैं. इसके बाद भी तय समय पर टिकट मिलना मुश्किल होता है. यही वजह है कि नया मध्यवर्ग अपनी गाड़ी उठाकर घूमने निकल लेने के अंदाज में आ गया है. इसीलिए छोटी गाड़ियों की बजाय ज्यादा जगह वाली बड़ी कार या एसयूवी शहरी भारतीय को ज्यादा पसंद आ रही है.

टीवी से बच्चों के दिमाग में घुसी CAAAAAR...

टेलीविजन ने जैसे हम भारतीयों के रहने, खाने-पीने, कपड़े पहनने का तरीका बदल दिया है, वैसे ही अब हमारी कार प्रैक्टिस को भी वो बदल रहा है. और गाड़ी खरीदने के फैसले में बच्चों का मासूम सवाल- मम्मी-पापा, हमारी कार उसकी कार से बड़ी क्यों नहीं है?, काफी अहम भूमिका निभा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×