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खराब कंपनियों को कर्ज के लिए YES कहना, यस बैंक के लिए बना संकट

अगले एक महीने तक यस बैंक के खाताधारक सिर्फ 50,000 रुपए ही निकाल पाएंगे

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यस बैंक के ग्राहकों पर आफत आ पड़ी है. यस बैंक काफी दिनों से क्रेडिट के संकट से गुजर रहा था. रिजर्व बैंक ने 5 मार्च को यस बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया और खाताधारकों पर कुछ बंदिशें लगा दीं. अगले एक महीने तक यस बैंक के खाताधारक सिर्फ 50,000 रुपए ही निकाल पाएंगे. साथ ही रिजर्व बैंक ने नया एनमिनिस्ट्रेटर भी नियुक्त किया है. रिजर्व बैंक के इस ऐलान के बाद से ही यस बैंक के ग्राहकों पर संकट का पहाड़ टूट गया है. हालांकि अब अब रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि वो एक महीने में यस बैंक को संकट से उबारने के लिए प्लान लेकर आएंगे और इन सब में धाताधारकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

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मीडिया से बातचीत करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा-

रिजर्व बैंक ने कल दो प्रेस स्टेटमेंट जारी किए थे. इस संकट का समाधान जल्दी निकाला जाएगा.  हमने इसके लिए 30 दिन का वक्त दिया है उसी में इसका हल निकाला जाएगा. आपको रिजर्व बैंक से जल्दी ही एक्शन देखने को मिलेगा, हम बैंक को रिवाइव करने की स्कीम सामने  रखेंगे. हम खाताधारकों के हितों का पूरा ख्याल रखेंगे. पहले हमने बैंक को बोर्ड को दिक्कत सुलाझाने के लिए कहा लेकिन पिछले महीनों में ये काम नहीं कर पा रहा था.
शक्तिकांत दास, RBI गवर्नर

शादी या कोई बड़ा खर्च है तो कानूनी प्रावधान है: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अगर किसी के घर में शादी या कोई बड़ा खर्चा है तो इन सबके लिए कानूनी प्रावधान हैं. रिजर्व बैंक के नियुक्त अधिकारी उनको जरूरी खर्च के लिए जो पैसा देना है वो देंगे. उनको राहत मिलेगी.

जो कदम उठाए गए हैं वो जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में हैं. ये बीते कई महीनों से चल रहा था तो ऐसा नहीं है कि ये अचानक आ गया है, हम हालात पर लगातार नजर रखे हुए थे. इसका समाधान निकालने के लिए रिजर्व बैंक अपनी पूरी ताकत लगा रहा है.
निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री

अब SBI खरीदेगा यस बैंक में हिस्सेदारी

स्टेट बैंक ने प्रेस स्टेटमेंट जारी कर एक्सचेंज को बताया है कि बैंक के बोर्ड ने यस बैंक में निवेश करने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. हो सकता है कि स्टेट बैंक यस बैंक में पूंजी लगाए या फिर बैंक का राष्ट्रीयकरण करे. SBI ने ये बयान ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के बाद जारी किया, जिसमें सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने वाले कंसोर्शियम में एसबीआई अहम भूमिका निभा सकता है.

यस बैंक ने ऐसे बनाया अपना नाम

RBI से बैंकिंग लाइसेंस मिलने के बाद 2004 में राणा कपूर और अशोक कपूर ने मिलकर यस बैंक बनाया था. दोनों मिलकर बैंक चलाया करते थे. अशोक कपूर बैंक के चेयरमैन थे और राणा कपूर बैंक के MD और CEO थे. लेकिन 26/11 के हमले में अशोक कपूर का निधन हो गया. इसके बाद बैंक के सर्वेसर्वा हो गए राणा कपूर.

राणा कपूर ने जब से बैंक की पूरी कमान संभाली उन्होंने अंधाधुंध कर्ज देना शुरू किया. जब सारे बैंक कर्जदारों को NO कहते थे तब राणा कपूर का बैंक YES कहता था. और कर्ज देता था. यस बैंक ने बड़े-बड़े कर्ज दिए वो भी बाजार में चल रहे ब्याज से ज्यादा रेट पर. शुरुआत में बैंक के कारोबार में गजब की तेजी देखने को मिली.

यस बैंक की हालत कैसे बिगड़ी

बैंक के कारोबार में जितनी तेजी उछाल देखने को मिला, उससे भी ज्यादा तेजी से बैंक के बुरे दिन भी आ गए. बैंक का हर तरह के कर्ज के लिए YES कहने की प्रवृत्ति ने उसे भारी नुकसान पहुंचाया.

यस बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया उनमें से कई कंपनियां बैड लोन में चली गईं. या तो कंपनियां बंद हो गईं या फिर फिर उनका कर्ज NPAs में बदल गया.

इनमें अनिल अंबानी का रिलायंस ग्रुप, IL&FS, DHFL, जेट एयरवेज, एस्सार शिपिंग, कॉक्स एंग किंग्स, कैफे कॉफी डे जैसी कंपनियां शामिल हैं.

RBI की रेगुलेटरी सख्ती

इसके बाद RBI ने रेगुलेटरी सख्ती दिखाई, जिसके तहत रिजर्व बैंक ने सुनिश्चित किया कि बैंक NPA को कम न दिखाएं. यस बैंक का NPA उम्मीद से काफी ज्यादा निकला और राणा कपूर कामकाज पर सवाल उठने लगे. राणा कपूर को MD और CEO के पद से हटाया गया. इसके बाद यस बैंक के शेयर में भी कमजोरी दिखने लगी. बैंक में कॉरपोरेट गवर्नेंस में भी दिक्कत के मामले सामने आए. इसके बाद राणा कपूर यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाते चले गए और उन्होंने पूरी हिस्सेदारी बेच दी. इसके बाद रनवीत गिल को यस बैंक का नया MD&CEO बनाया गया. लेकिन इसके बाद भी बैंक पूंजी जुटाने में नाकामयाब रही. बैंक को कोई निवेशक नहीं मिला.

अब यस बैंक पर मोराटोरियम (पाबंदियां) लगा दिया गया है. जब तक बैंक के लिए कोई रिवाइवल प्लान नहीं आता तब तक ये पाबंदियां काम करेंगीं. इससे बैंक के धाताधारकों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. सरकार ने SBI का चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर प्रशांत कुमार को पूरे मामले में एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है. उनकी जिम्मेदारी होगी कि यस बैंक के दिए हुए लोन में रिस्ट्रक्चरिंग करें.

यस बैंक के पास दो ही विकल्प

अब बैंक के पास दो ही विकल्प बचे हैं या तो किसी इन्वेस्टर को ढूंढे और पूंजी जुटाए या फिर यस बैंक का मर्जर किसी और बैंक के साथ करे.

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