भारतीय अरबपति और दानवीर अजीम प्रेमजी ने राज्य सरकारों के लेबर कानूनों में बदलावों के फैसले की आलोचना की है. प्रेमजी ने कहा कि है कि कोरोना संकट ये वक्त था कि आर्थिक रूप से कमजोर तबकों की मदद की जाए.
भारतीय सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर कंपनी विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी ने बिजनेस अखबार इकनॉमिक टाइम्स से कहा -
ये चौंकाने वाली बात है कि कई सारी राज्य सरकारों ने कई मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले लेबर कानूनों को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है. हमने देखा है कि प्रवासी मजदूर कैसे अपने लिए जुगाड़ करके रहते हैं और उनके परिवारों के पास कोई सोशल सिक्योरिटी नहीं होती है और सुरक्षा के नाम पर भी कुछ खास नहीं होता.अजीज प्रेमजी, विप्रो के फाउंडर
लॉकडाउन का सबसे बुरा असर मजदूरों पर
ज्यादातर प्रवासी मजदूर भारतीय असंगठित अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद 25 मार्च से लगे लॉकडाउन का सबसे ज्यादा बुरा असर इन्हीं पर हुआ है. आर्थिक गतिविधियों के अचानक बंद हो जाने से इन प्रवासी मजदूरों की नौकरियां एक झटके में चली गईं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इकनॉमिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए लॉकडाउन में ढील दी है. लेकिन अब कई राज्यों के लेबल कानूनों को कमजोर करने के बाद इन मजदूरों पर और संकट आने वाला है.
उद्योगपति प्रेमजी ने कहा कि लेबर कानूनों जैसे इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट, काम करते वक्त सुरक्षा संबंधी कानून, स्वास्थ्य और काम करने के हालातों संबंधी कानून, न्यूनतम मजदूरी के कानून, ट्रेड यूनियन संबंधी कानूनों को सस्पेंड किया गया है.
इस कदम से कम मजदूरी पर काम करने वाले मजदूरों की स्थिति और बिगड़ेगी.अजीज प्रेमजी, विप्रो के फाउंडर
‘ शहरी रोजगार गारंटी स्कीम लाना चाहिए’
इसके अलावा प्रेमजी का कहना है कि सरकार को ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम पर फोकस बढ़ाना चाहिए और शहरी रोजगार गारंटी प्लान पर काम करना चाहिए.
इंडस्ट्री से सिर्फ अजीज प्रेमजी ही नहीं है जिन्होंने मजदूरों के साथ इस तरह के बर्ताव को लेकर आवाज उठाई हो. इसके पहले बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज ने भी लॉकडाउन को हैंडल करने के लिए भारत सरकार की आलोचना की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)