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एशियन करंसी संकट से भी भयावह हो सकती है कोरोना की मार: वर्ल्ड बैंक

वर्ल्ड  बैंक ने कहा, हालात खराब हुए तो पूर्वी एशिया के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा लोग गरीबी में चले जाएंगे.

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कोरोनावायरस की मार पूरी ग्लोबल इकनॉमी पर पड़ी है. वर्ल्ड बैंक का कहना है इससे चीन, दूसरी पूर्वी एशियाई और प्रशांत क्षेत्र के देशों की इकनॉमी काफी धीमी हो जाएगी और लाखों लोग गरीबी में चले जाएंगे. यह संकट 1997-98 के एशियन करंसी संकट से भी खतरनाक हो सकता है, जिससे दुनिया के 40 फीसदी इलाके की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी.

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करंसी संकट से भी खराब हालात?

पूर्वी एशियाई देशों के बारे में कहा गया है कि यह संकट उनके लिए दो दशक पहले आए भयानक करंसी संकट से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. सोमवार को वर्ल्ड बैंक ने अपने अपडेट में कहा कि कोरोना संकट की वजह से अगले साल इस क्षेत्र की ग्रोथ 2.1 फीसदी रहेगी. 2019 में ग्रोथ 5.8 फीसदी रही थी. यह 1997-98 की एशियन करेंसी क्राइसिस के बाद सबसे खराब स्थिति होगी. इस संकट की वजह से दुनिया की 40 फीसदी मंदी की चपेट में आ गई थी.

कोरोनावायरस की वजह से अगर हालात ज्यादा खराब हुए तो इस क्षेत्र के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा लोग गरीबी में चले जाएंगे. यह वर्ल्ड बैंक के उस आकलन के एकदम उलट होगा, जिसमें कहा गया था कि ग्रोथ पर्याप्त रही तो साढ़े तीन करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ सकते हैं. वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि इन देशों में कोरोनावायरस का असर ग्लोबल ग्रोथ को काफी हद तक प्रभावित करेगा.
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बोल्ड फैसलों की जरूरत

वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी इकनॉमी चीन का ग्रोथ इस साल 6.1 फीसदी से घट कर महज 2.3 फीसदी रह सकता है. वर्ल्ड बैंक के ईस्ट इंडिया और प्रशांत क्षेत्र के इकोनॉमिस्ट आदित्य मट्टू ने कहा कि अपने-अपने देशों में इकनॉमी को सुधारने के लिए बोल्ड एक्शन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही कोरोना से आने वाले संकट का असर कम कर सकता है.

वर्ल्ड बैंक ने इस वक्त इस संकट को देखते हुए 14 अरब डॉलर की मदद का फैसला किया है. अगले 15 महीने तक यह गरीबों और कमजोरों की मदद के लिए 160 अरब डॉलर देगा. आईएमएफ ने एक ट्रिलियन डॉलर देने का फैसला किया है.

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