वर्ल्ड बैंक ने भारत का ग्रोथ रेट अनुमान 7.5 फीसदी से घटा कर 6 फीसदी कर दिया है. वर्ल्ड बैंक ने यह भी कहा है कि भारी स्लोडाउन पहले से ही संकट में चल रहे फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिति और खराब कर सकता है.
पहली तिमाही में ग्रोथ रेट घट कर 5 फीसदी हो गया था
अप्रैल में वर्ल्ड बैंक ने 7.5 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था. लेकिन इसके बाद पहली तिमाही में ग्रोथ रेट गिर कर कर 5 फीसदी हो गया. यह छह साल का सबसे खराब प्रदर्शन था. देश में कंज्यूमर डिमांड घटने और सरकार की ओर से किए जाने वाले खर्च में कमी से इकनॉमी की रफ्तार धीमी हो गई है.
दरअसल पिछले कुछ महीनों से इकनॉमी के लगभग सारे इंडिकेटर्स खराब प्रदर्शन कर रहे हैं. औद्योगिक उत्पादन तेजी से गिरा है. अगस्त में इसका प्रदर्शन पिछले छह साल में सबसे खराब रहा. साफ है कि इकनॉमी को रफ्तार देने की सरकार की कोशिश रंग नहीं ला रही है.
इकनॉमी को रफ्तार देने के लिए रिजर्व बैंक इस साल पांच बार ब्याज दर घटा चुका है. अर्थव्यवस्था की दिक्कतों को देखते हुए आरबीआई ने खुद अपना ग्रोथ रेट अनुमान 6.9 फीसदी से घटा कर 6.1 फीसदी कर दिया था.
मूडीज ने भी घटाया था ग्रोथ रेट अनुमान
पिछले सप्ताह मूडीज ने भी भारत का ग्रोथ रेट अनुमान 6.2 फीसदी से घटा कर 5.8 फीसदी कर दिया था. मूडीज ने यह भी कहा था कि कमजोर ग्रोथ की वजह से सरकार के राजकोषीय प्रबंधन को झटका लग सकता है.
वर्ल्ड बैंक ने अपने हालिया अनुमान में भी इकनॉमी को लेकर ऐसी ही चिंता जताई है. बैंक ने कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.5 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा. हालांकि बैंक ने अगले वित्त वर्ष में हालात में सुधार की उम्मीद जताई है. उसका कहना है कि अगले साल आर्थिक विकास दर 6.9 फीसदी रह सकती है.
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