ICMR के एपिडेमियोलॉजी हेड डॉ समीरन पांडा का कहना है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर, दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी. ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन और कोरोना से बचने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने से इसे रोकने में मदद होगी. डॉ समीरन पांडा ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन का इस डेल्टा प्लस वेरिएंट पर प्रभाव के बारे में स्टडी जारी है.
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में भी ऐसी ही स्टडी पब्लिश की गई है जिसमें बताया गया है कि तीसरी लहर के दूसरी लहर के मुकाबले गंभीर होने की आशंका नहीं है. इस स्टडी में डॉ समीरन पांडा का भी योगदान है.
उनका कहना है कि अब तक 10 राज्यों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 49 मामले सामने आए हैं. ये आंकड़ा इशारा नहीं करता कि कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई है.
इसे तीसरी लहर की शुरुआत कहना भ्रामक होगा.डॉ समीरन पांडा, हेड ऑफ एपिडेमियोलॉजी, ICMR
डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है?
वायरस का डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) जो भारत में दूसरी लहर का एक बड़ा कारण माना गया, वो अब म्यूटेट हो गया है और इसने रूप बदल लिया है, इसे डेल्टा प्लस (AY.01) कहा जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट वैक्सीन और कोरोना इन्फेक्शन के बाद बनी एंटीबॉडीज दोनों का असर कम कर सकता है.
भारत के टॉप वायरोलॉजिस्ट्स में से एक और INSACOG के पूर्व सदस्य, प्रोफेसर शाहिद जमील को डर है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट कोविड के टीकाकरण के साथ-साथ पहले के संक्रमित लोगों में बनी इम्यूनिटी को तोड़ने में सक्षम हो सकता है. प्रोफेसर जमील ने समझाया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि डेल्टा प्लस में न केवल मूल डेल्टा वेरिएंट बल्कि एक और म्यूटेशन (K417N) की भी विशेषताए हैं. K417N दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट में पाया गया था.
प्रोफेसर जमील ने बताया कि, अल्फा और डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा बीटा वेरिएंट पर वैक्सीन कारगर नहीं है.दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एस्ट्राजेनेका टीकों की एक खेप लौटा दी थी, यह दावा करते हुए कि यह वहां के वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी नहीं था.
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