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कोवैक्सीन को WHO से मंजूरी मिलने में लग सकता है समय, क्यों हो रही देरी?

WHO की मंजूरी के बिना, कोवैक्सीन को दुनिया के ज्यादातर देशों में स्वीकृत वैक्सीन नहीं माना जाएगा.

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भारत बायोटेक की कोविड वैक्सीन - Covaxin को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) से मंजूरी मिलने में और देरी हो सकती है. NDTV ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि WHO ने भारत बायोटेक को और टेक्निकल सवाल भेजे हैं, जिससे मंजूरी मिलने में और समय लग सकता है. इस देरी से कोवैक्सीन लेने वाले भारतीयों की विदेश यात्रा प्रभावित हो सकती है.

WHO की इमरजेंसी यूज ऑथोराइजशन (EUA) के बिना, कोवैक्सीन को दुनिया के ज्यादातर देशों में स्वीकृत वैक्सीन नहीं माना जाएगा.
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हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि कोवैक्सीन को जल्द ही मंजूरी मिल सकती है. पवार ने 24 सितंबर को कहा था, "अप्रुवल के लिए दस्तावेज जमा करने की एक प्रक्रिया है. कोवैक्सीन के लिए WHO का इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन जल्द ही हो सकता है."

हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने 19 अप्रैल को WHO की मंजूरी के लिए आवेदन किया था.

WHO का इम्युनाइजेशन पर एक्सपर्ट्स की स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी ग्रुप (SAGE) 5 अक्टूबर को कोवैक्सीन को मंजूरी देने पर चर्चा के लिए बैठक कर सकता है.

WHO से मंजूरी पाने के लिए कितने चरण?

WHO से मंजूरी पाने के लिए वैक्सीन को इन चरणों से गुजरना होगा:

  • मैन्युफैक्चरर के EoI (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) की स्वीकृति

  • WHO और मैन्युफैक्चरर के बीच प्री-सेशन मीटिंग

  • WHO के समीक्षा के लिए डोजियर की स्वीकृति

  • एसेसमेंट की स्थिति पर फैसला

  • अप्रुवल पर आखिरी फैसला

हालांकि, कोवैक्सीन के मामले में, WHO ने भारत बायोटेक के EoI को खारिज कर दिया था और कहा कि 'और जानकारी की जरूरत है.'

लगभग तीन महीने बाद, केंद्र ने संसद को बताया कि WHO के EUL (इमरजेंसी यूज लिस्टिंग) के लिए सभी जरूरी दस्तावेज 9 जुलाई तक जमा कर दिए गए हैं.

इसलिए, जब 5 अक्टूबर को SAGE की बैठक होती है, तो वो तीनों चरणों के क्लिनिकल ट्रायल डेटा की समीक्षा कर सकते हैं और इसपर फैसला ले सकते हैं कि क्या वो EoI को स्वीकार करना चाहते हैं.

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FDA ने भारत बायोटेक के प्रस्ताव को क्यों ठुकराया?

11 जून को, अमेरिका के फूड और ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भी कोवैक्सीन अप्रुवल के लिए भारत बायोटेक के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

कोवैक्सीन को मंजूरी देने से FDA के इनकार को क्लिनिकल ट्रायल्स पर उपलब्ध आंकड़ों की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. कंपनी ने कथित तौर क्लिनिकल ट्रायल्स का केवल आंशिक डेटा पेश किया था, और तीसरे फेज के ट्रायल का डेटा शामिल नहीं किया था.

कोवैक्सीन के रास्ते में कई रुकावटें

भारत बायोटेक के लिए परेशानी, दिसंबर 2020 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की मंजूरी के लिए कंपनी के आवेदन के साथ ही शुरू हो गई थी. इस आवेदन में डेटा की कमी थी बताई गई थी.

जनवरी 2020 में, भोपाल के पीपल्स अस्पताल में, जो कोवैक्सिन की सबसे बड़ी क्लिनिकल ट्रायल साइट थी, वहां ट्रायल में शामिल लोगों ने खराब बर्ताव का आरोप लगाया था. ट्रायल के दो स्पॉन्सर् - भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने आरोपों को निराधार बताते हुए इससे इनकार किया था.

मार्च में, ब्राजील की वैक्सीन रेगुलेटरी बॉडी Anvisa ने बताया था कि कंपनी ने कुछ स्टेप्स को छोड़ दिया था, जिसमें ये सुनिश्चित होना था कि वैक्सीन में SARS-COV-2 वायरस पूरी तरह से मार दिया गया है. इसने यह भी बताया कि कंपनी के पास ये साबित करने के लिए सबूत नहीं थे कि वायरस 'मानव शरीर में मल्टीप्लाई करने में असमर्थ था.'

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किन देशों में कोवैक्सीन को मिली है मंजूरी?

भारत ने जनवरी 2021 में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. भारत के अलावा आठ देशों ने कोवैक्सिन को मंजूरी दी है - जिसमें गुयाना, ईरान, मॉरीशस, मैक्सिको, नेपाल, पैराग्वे, फिलीपींस, जिम्बाब्वे शामिल हैं.

कोवैक्सीन को यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA), यूके में मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) और कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मान्यता नहीं मिली है. इसिलए जो लोग इन देशों की यात्रा करना चाहते हैं, उन्हें वैक्सीनेटेड नहीं माना जाएगा. इन देशों की यात्रा करने वाले लोगों को वहां के स्थानीय कोविड और क्वॉरन्टीन प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ेगा.

इसलिए, WHO की मंजूरी दूसरे देशों में जाने के इच्छुक लोगों के लिए जरूरी है.

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