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भारत की कोरोना वैक्सीन Covaxin को फिर नहीं मिली WHO से मंजूरी, ये है वजहें

WHO की कमेटी ने कहा है कि कोवैक्सीन के मूल्यांकन के लिए भारत बायोटेक से अतिरिक्त स्पष्टीकरण की जरूरत है.

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भारत में बनी कोरोना वायरस की वैक्सीन- कोवैक्सीन को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO Covaxin Approval) से मंजूरी मिलने में और समय लग रहा है. WHO के इमरजेंसी यूजर लिस्टिंग (EUL) के लिए टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (TAG) ने फैसला किया है कि कोवैक्सिन के वैश्विक इस्तेमाल के लिए अंतिम EUL पूरा मूल्यांकन करने के लिए भारत बायोटेक से अतिरिक्त स्पष्टीकरण की जरूरत है.

26 अक्टूबर को हुई एक्सपर्ट्स की बैठक के बाद, WHO ने कहा कि TAG इस हफ्ते के अंत तक मैन्युफैक्चरर से स्पष्टीकरण मिलने की उम्मीद करता है, और मूल्यांकन के लिए 3 नवंबर तक फिर से बैठक कर सकता है."

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  • 26 अक्टबूर को WHO ने भारत बायोटेक से अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगा है.

  • 18 अक्टूबर WHO ने कहा था कि वो भारत बायोटेक से कुछ अतिरिक्त जानकारी का इंतजार कर रहे हैं.

  • सितंबर में WHO ने भारत बायोटेक को कुछ टेक्नीकल सवाल भेजकर उनका जवाब मांगा था.

WHO ने कहा है कि भारत बायोटेक रोलिंग बेसिस पर डेटा सबमिट कर रहा है और WHO के एक्सपर्ट्स उसे रिव्यू कर रहे हैं. रोलिंग बेसिस का मतलब है कि डेटा एक साथ न देकर, जैसे-जैसे सामने आ रहा है, वैसे सबमिट किया जा रहा है.

EUL के लिए के लिए टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (TAG) एक स्वतंत्र सलाहकार ग्रुप है जो WHO को कोविड वैक्सीन के EUL प्रक्रिया के तहत इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश देता है.
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24 घंटे में मिलने वाली थी मंजूरी!

इससे पहले, 26 अक्टूबर को WHO की प्रवक्ता डॉ मार्ग्रेट हैरिस ने कहा था कि TAG डेटा को रिव्यू कर रहा है और "अब अगर सब ठीक रहा, और अगर कमेटी संतुष्ट होती है, तो हम अगले 24 घंटों के अंदर सिफारिश की उम्मीद करेंगे."

हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने 19 अप्रैल को WHO की मंजूरी के लिए आवेदन किया था.

WHO की इमरजेंसी यूज ऑथोराइजशन (EUA) के बिना, कोवैक्सीन को दुनिया के ज्यादातर देशों में स्वीकृत वैक्सीन नहीं माना जाएगा.

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कोवैक्सीन के रास्ते में कई रुकावटें

भारत बायोटेक के लिए परेशानी, दिसंबर 2020 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की मंजूरी के लिए कंपनी के आवेदन के साथ ही शुरू हो गई थी. इस आवेदन में डेटा की कमी थी बताई गई थी. जनवरी 2020 में, भोपाल के पीपल्स अस्पताल में, जो कोवैक्सिन की सबसे बड़ी क्लिनिकल ट्रायल साइट थी, वहां ट्रायल में शामिल लोगों ने खराब बर्ताव का आरोप लगाया था. ट्रायल के दो स्पॉन्सर् - भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने आरोपों को निराधार बताते हुए इससे इनकार किया था.

मार्च में, ब्राजील की वैक्सीन रेगुलेटरी बॉडी Anvisa ने बताया था कि कंपनी ने कुछ स्टेप्स को छोड़ दिया था, जिसमें ये सुनिश्चित होना था कि वैक्सीन में SARS-COV-2 वायरस पूरी तरह से मार दिया गया है. इसने यह भी बताया कि कंपनी के पास ये साबित करने के लिए सबूत नहीं थे कि वायरस 'मानव शरीर में मल्टीप्लाई करने में असमर्थ था.'

किन देशों में कोवैक्सीन को मिली है मंजूरी?

भारत ने जनवरी 2021 में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. भारत के अलावा आठ देशों ने कोवैक्सिन को मंजूरी दी है - जिसमें गुयाना, ईरान, मॉरीशस, मैक्सिको, नेपाल, पैराग्वे, फिलीपींस, जिम्बाब्वे शामिल हैं.

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